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यूपीएससी की इंजीनियरिंग सर्विस परीक्षा में आइआइटी-बीएचयू के दो छात्र पहले और दूसरे रैंक पर

यूपीएससी की इंजीनियरिंग सर्विस परीक्षा- 2020 में आइआइटी-बीएचयू के दो छात्र पहले और दूसरे रैंक पर रहे। सोमवार को घोषित फाइनल रिजल्ट में आइआइटी में सिविल इंजीनियरिंग विभाग के गौरव वर्मा ने आल इंडिया टॉप किया तो इसी विभाग के प्रशांत सिंह अखिल भारतीय स्तर पर दूसरे टॉपर रहे।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Updated: Tue, 13 Apr 2021 12:14 AM (IST)
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आइआइटी में सिविल इंजीनियरिंग विभाग के गौरव वर्मा ने आल इंडिया टॉप किया।
वाराणसी, जेएनएन। संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की इंजीनियरिंग सर्विस परीक्षा- 2020 में आइआइटी-बीएचयू के दो छात्र पहले और दूसरे रैंक पर रहे। सोमवार को घोषित फाइनल रिजल्ट में आइआइटी में सिविल इंजीनियरिंग विभाग के गौरव वर्मा ने आल इंडिया टॉप किया तो इसी विभाग के प्रशांत सिंह अखिल भारतीय स्तर पर दूसरे टॉपर रहे। सिविल इंजीनियरिंग विभाग के डा. निखिल साबू ने बताया कि परीक्षा के तहत कुल 495 सीटों में से टॉप 100 में पांच छात्र आइआइटी-बीएचयू से ही रहे। अन्य छात्रों में अमन सिंह, राहुल जायसवाल, कोमल प्रताप सिंह शामिल हैं।

गौरव वर्तमान में तमिलनाडु के त्रिचनापल्ली में ऑयल इंडिया कारपोरेशन में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। कासगंज निवासी गौरव ने बताया कि उन्होंने वर्ष 2019 में ही आइआइटी-बीएचयू से बीटेक पूर्ण किया। वह बेहद गरीब किसान परिवार से आते हैं। उनका पूरा परिवार खेती पर आधारित है। पिता पन्नालाल वर्मा बचपन से ही गौरव को पढ़ाई के लिए प्रेरित करते रहे हैं, माता मिथिलेश देवी गृहिणी हैं।

बलिया के शिशिर को पीसीएस में चौथी रैंक, पहली कोशिश में मिली सफलता

मेहनत और लगन से हर मुकाम हासिल किया जा सकता है. शहर के हरपुर मोहल्ला निवासी सिंहासन सिंह के इकलौते बेटे शिशिर कुमार सिंह ने कुछ ऐसा ही कर दिखाया है. उन्होंने कड़े परिश्रम से पीसीएस परीक्षा में चौथी रैंक लाकर जिले का नाम रोशन किया है। इससे परिवार में खुशी की लहर छा गई है।

बकौल शिशिर, बलिया केंद्रीय विद्यालय में दसवीं तक की पढ़ाई करने के बाद ये डीपीएस बोकारो पढ़ने के लिए चले गए। वहां पर 10वीं और 12वीं परीक्षा पास करने के बाद एसएन आईआईटी में दाखिला ले लिया। इसके बाद पीसीएस की तैयारी में लग गये। पहली कोशिश में ही वे टॉप टेन में आ गए। उन्होंने बताया कि रिजल्ट से ज्यादा ध्यान तैयारी पर युवाओं का होना चाहिए। रिजल्ट आने के बाद सबको खुशी होती है लेकिन आगे प्रशासनिक सेवा में बेहतर काम करने के बाद बधाई मिले तो उसे ही असली खुशी माना जाता है। ऐसा भी होता है की  रिजल्ट में कामयाब नहीं होने वाले बेहतर प्रशासक हो सकते हैं। इसका श्रेय उन्होंने अपने माता-पिता को दिया है। बहन रचना सिंह पढ़ाई करती हैं और माता कमलेश देवी गृहिणी हैं। पिता मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव का कार्य करते हैं।

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