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काशी यात्रा पर आए आंध्र प्रदेश के दो श्रद्धालु गंगा में डूबे, दो अन्‍य को साथियों व स्थानीय नाविकों ने बचाया

काशी यात्रा पर आंध्र प्रदेश के विशाखापट्टन से आए चार श्रद्धालु रविवार को केदार घाट पर गंगा में डूबने लगे। दो को स्वजनों ने स्थानीय नाविकों की मदद से बचा लिया। दो गहरे पानी में जाने से डूब गए। एनडीआरएफ देर तक उनकी तलाश गंगा में करती रही।

By devendra nath singhEdited By: Anurag SinghUpdated: Sun, 16 Oct 2022 07:11 PM (IST)
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काशी यात्रा पर आंध्र प्रदेश के विशाखापट्टन से आए चार श्रद्धालु रविवार को केदार घाट पर गंगा में डूबने लगे।
वाराणसी, जागरण संवाददाता। काशी यात्रा पर आंध्र प्रदेश के विशाखापट्टन से आए चार श्रद्धालु रविवार को केदार घाट पर गंगा में डूबने लगे। दो को स्वजनों ने स्थानीय नाविकों की मदद से बचा लिया। दो गहरे पानी में जाने से डूब गए। एनडीआरएफ देर तक उनकी तलाश गंगा में करती रही। घाट पर रहने वाले मल्लाहों की मदद भी ले गई लेकिन उनका पता नहीं चल सका।

 15 श्रद्धालुओं का दल बीते शनिवार को शाम छह बजे वाराणसी पहुंचा था। सभी ने गोदौलिया स्थित लक्ष्मी वेंकटेश अतिथिगृह में ठहरे थे। अगली सुबह एमजीके रेड्डी, एम यरवुल रेड्डी, टी बालकृष्णन, एम माधव रेड्डी, पी प्रसाद राव समेत सभी पूजा-पाठ के लिए केदार घाट पहुंचे थे। पूजा समाप्त होने के बाद 10.30 बजे गंगा स्नान करने लगे। जहां स्नान कर रहे थे वहां कुछ सीढ़ियों के बाद ही गहराई है। बाढ़ की वजह से इसका पता नहीं चल पाया। टी बालकृष्णन का पैर फिसल गया और वह गहरे पानी में घाट किनारे बंधी नाव के नीचे गया। एम यरवुल रेड्डी उसे बचाने के लिए आगे बढ़ा तो वह भी डूबने लगा।

 साथ स्नान कर रहे अन्य सभी भी बचाने के लिए आगे बढ़े। पानी में तेज बहाव की वजह से एम यरवुल रेड्डी व पी प्रसाद भी डूबने लगे। घाट पर मौजूद नाविकों मन्नी, विशाल आदि ने भी गंगा में छलांग लगाकर यरवुल रेड्डी व पी प्रसाद को सुरक्षित बाहर निकाला। एम यरवुल रेड्डी व टी बालकृष्णन डूब गए। स्थानीय लोगों ने तत्काल इसकी सूचना पुलिस को दी। एडीआरएफ की टीम भी मौके पर आ पहुंची। देर तक दोनों की तलाश होती रही। पुलिस ने स्थानीय गोतोखोरों की मदद ली लेकिन कुछ पता नहीं चल सका।

श्रद्धालुओं ने कहा, सुरक्षा का नहीं कोई इंतजाम

एम यरवुल रेड्डी व टी बालकृष्णन के साथ आए श्रद्धालुओं का कहना था कि घाट पर सुरक्षा का कोई इंतजाम नहीं है। घाट पर किसी तरह का संकेतक नहीं है। तेज बहाव में स्नान के लिए कोई जंजीर आदि भी नहीं लगाई गई है। घाटों के बनावट की सही जानकारी नहीं होने की वजह से यह हादसा हुआ। स्थानीय भाषा की जानकारी नहीं होने पर किसी से पूछ भी नहीं पाए थे।

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