देश की पहली अर्बन रोप-वे ट्रांसपोर्ट सुविधा को धरातल पर उतारने की तैयारी है। सिगरा से रथयात्रा के बीच दो टावर स्थापित हो चुके हैं आगे का तीसरा टावर बाद में लगेगा। पहले चरण में कैंट से रथयात्रा के मध्य कुल 18 टावर बनने हैं। अब विद्यापीठ रोप वे स्टेशन को अंतिम रूप देने की कोशिश है। रोप वे प्लेटफार्म बनना शुरू हुआ है।
जागरण संवाददाता, वाराणसी। देश की पहली अर्बन रोप-वे ट्रांसपोर्ट सुविधा को धरातल पर उतारने की तैयारी है। सिगरा से रथयात्रा के बीच दो टावर स्थापित हो चुके हैं, आगे का तीसरा टावर बाद में लगेगा। पहले चरण में कैंट से रथयात्रा के मध्य कुल 18 टावर बनने हैं। अब विद्यापीठ रोप वे स्टेशन को अंतिम रूप देने की कोशिश है। रोप वे प्लेटफार्म बनना शुरू हुआ है।
इलेक्ट्रो मैकेनिकल उपकरणों का इंस्टालेशन किया जाने लगा है। यहीं से रोप लाइन गुजरेगी, क्योंकि यहीं पर गोंडोला की गति धीमी व तेज होगी। गोंडोला पर यात्री यहीं पर सवार होंगे और उतर सकेंगे। पूरा काम स्विट्जरलैंड के इंजीनियरों की निगरानी में किया जा रहा है।
हैदराबाद की निर्माण एजेंसी विश्वसमुद्र को 10 जून तक कार्य पूर्ण करने की मोहलत दी गई है, इसके लिए एनएचएलएमएल (नेशनल हाईवे लाजिस्टिक मैनेजमेंट लिमिटेड) ने समग्रता में रोड मैप तैयार किया है। उधर, दूसरे चरण में गिरिजाघर से गोदौलिया के मध्य भी काम शुरू किया जा रहा है। गिरिजाघर के समीप फाउंडेशन का पाइलिंग कार्य किया जा रहा है। प्रोजेक्ट में 148 गोंडोला का संचालन होगा, दस से अधिक गोंडोला की आमद हो चुकी है। चार टावर का पूरा सामान आ चुका है।
काशी विद्यापीठ स्टेशन को अंतिम रूप दिया जा रहा है। समग्रता में कार्य की निगरानी जारी है।
-पूजा मिश्रा, मैनेजर, एनएचएलएमएल
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