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वाराणसी में भाजपा के गढ़ में विपक्ष ने झोंकी ताकत, जानिए सभी आठ सीटों पर कैसा है हाल

Varanasi Assembly Election 2022 आठ सीटों पर जीत दर्ज कर भाजपा के जनाधार कमजोर होने का संदेश विपक्ष देश में देना चाहती है। लक्ष्य के सापेक्ष विपक्षी दलों ने पूरी ताकत को भी झोंक रखा है। भाजपा की ओर से दमदार प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतारा जा चुका है।

By Abhishek SharmaEdited By: Updated: Wed, 09 Feb 2022 10:41 AM (IST)
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UP Assembly Election 2022 : वाराणसी में चुनाव के लिए सभी दलों की ओर से तैयारियां जोरों पर हैं।
वाराणसी [विनोद पांडेय]। उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव 2022 को लेकर घमासान शुरू हो गया है। राजनीतिक दल के नेता जनता को अपने पक्ष में करने की हर कोशिश में लगे हैं। इस चुनाव के मद्देनजर वर्तमान विधायक अपने कामकाज गिना रहे, तो विपक्षी नए मुद्दों के साथ मैदान में हैं। जीत-हार की बनी रणनीति में भाजपा का गढ़ वाराणसी विपक्षी दलों के लिए प्रतिष्ठा बन गई है। वह जिले की आठ विस सीटों पर जीत दर्ज कर भाजपा के जनाधार कमजोर होने का संदेश पूरे देश में देना चाहती हैं। लक्ष्य के सापेक्ष विपक्षी दलों ने पूरी ताकत झोंक दी है। भाजपा के खिलाफ दमदार प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतारने के लिए कई स्तर से सर्वे करा रही हैं। वहीं, भाजपा के समक्ष गढ़ को बचाने की चुनौती है।

ढांचागत विकास व जनकल्याणकारी योजनाओं से मजबूत किले को अभेद्य बनाने में लगी है। वाराणसी के सांसद व प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वाराणसी का विकास माडल को प्रदेश की जनता के समक्ष रख दिया है। जातिगत समीकरण को भी साधने के लिए संगठन ने रणनीति बनाई है। हालांकि, भाजपा के जातिगत समीकरण को मजबूती देने वाली सुभासपा (सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी) ने रिश्ता तोड़ लिया है। वह सपा के खेमें में शामिल हो गई है। अपना दल का एक गुट भी सपा के साथ है। इसी खेमें में एकजुट होने को बेताब तृणमूल कांग्रेस भी घात लगाई है। कांग्रेस भी आधी आबादी का दाव खेल मजबूत दावेदारी कर रही है। यूं समझें कि सभी दलों ने भीषण संग्राम की नींव रख दी है। इसमें भाजपा के तीन मंत्रियों की प्रतिष्ठा दांव पर फंसी है।

तीन दशक से भाजपा का कब्जा : भाजपा के लिए सबसे ज्यादा प्रतिष्ठित सीट शहर दक्षिणी मानी जाती है। खास वजह भी है। एक तो बीते 32 सालों से यहां भाजपा का कब्जा रहा है। दूसरे, पीएम मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट श्रीकाशी विश्वनाथ धाम इसी विधानसभा क्षेत्र में पड़ता है। विपक्षी दलों ने इस बार भाजपा के इस किले में सेंधमारी की खास योजना तैयार की है। वर्ष 2017 के विधान सभा चुनावों में सपा और कांग्रेस के बीच गठबंधन था। कांग्रेस से पूर्व सांसद राजेश मिश्रा संयुक्त प्रत्याशी के तौर पर करीबी मुकाबले में हार गए थे। सात बार के भाजपा विधायक श्यामदेव राय चौधरी का टिकट काट कर डा. नीलकंठ तिवारी ने जीत हासिल की। पहली बार विधायक बने डा. नीलकंठ तिवारी योगी सरकार में धर्मार्ध और पर्यटन विभाग के स्वतंत्र प्रभार मंत्री हैं। पूरे पांच साल सभी बड़ी सांस्कृतिक और धर्मिक परियोजनों का निर्माण इस विभाग के अंतर्गत हुआ है। विंध्याचल कारिडोर, अयोध्या में श्रीराम मंदिर का निर्माण, श्रीकाशी विश्वनाथ धाम सभी बड़े प्रोजेक्ट नीलकंठ तिवारी के विभागीय नेतृत्व में ही चल रही हैं। ऐसे में सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के प्रतीक स्वरूप दक्षिणी विधान सभा क्षेत्र पर सबकी निगाहेंजमी हुई हैं। 13 दिसंबर को भी धाम के नव्य व दिव्य स्वरूप के लोकार्पण पर पीएम नरेन्द्र मोदी ने कहा था कि अपनी सास्कृतिक और राष्ट्रीय पहचान को बनाए रखते हुए विकास कार्य होने चाहिए। ऐसे में सांस्कृतिक राष्ट्रवाद और धार्मिक तीर्थाटन के पीएम मोदी के सोच को सही साबित करने के लिए भी शहर दक्षिणी सीट भाजपा के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। वर्ष 2017 में डा. नीलकंठ तिवारी को  92560 व कांग्रेस के डा. राजेश मिश्रा 75334 मिले।

तीसरी बार भी भाजपा को आस : शहर उत्तरी सीट बीते दो चुनावों से भाजपा के कब्जे में है। पहले सपा का कब्जा था। वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के रवींद्र जायसवाल ने जीत हासिल की। प्रदेश सरकार में वे मंत्री भी हैं। उन्होंने कांग्रेस के अब्दुल समद अंसारी को हराया था। वर्ष 2012 के चुनाव में भी रवींद्र जायसवाल ने जीत हासिल की थी। उस वक्त उन्होंने बसपा के सुजीत कुमार मौर्य को हराया था। इस बार सपा में कई दावेदार हैं। वहीं, कांग्रेस भी मजबूत प्रत्याशी उतारने की जुगत में है। वर्ष 2017 में रवींद्र जायसवाल को 116017 व अब्दुल समद अंसारी 70515 मत मिले थे।

वर्ष 1991 से एक ही परिवार का कब्जा : कैंट विधानसभा सीट राजनीतिक नजरिये से महत्वपूर्ण है। यहां वर्ष 1991 से लेकर भाजपा से सात चुनावों से भाजपा के श्रीवास्तव परिवार का कब्जा है। पहले दो बार च्योत्सना श्रीवास्तव, उसके बाद उनके पति हरीश चंद्र श्रीवास्तव (दो बार), फिर दो बार च्योत्सना श्रीवास्तव और इस बार बेटा सौरभ श्रीवास्तव काबिज हैं। इस सीट पर कांग्रेस हर बार चुनौती देती है। इस बार भी जोर लगा रही है। सपा भी कड़ी टक्कर देने में लगी है। वर्ष 2017 में भाजपा के सौरभ श्रीवास्तव को 132609 व कांग्रेस के अनिल श्रीवास्तव 71283 मत मिले।

भाजपा को मिलेगी कड़ी चुनौती : पिंडरा विधानसभा क्षेत्र को 1952 में पश्चिमी विधानसभा क्षेत्र कहा जाता था। पांच साल बाद कोलसला के नाम से जाना गया। नए परिसीमन के बाद 2012 में इसका नाम पिंडरा हुआ। इस विधानसभा को वामपंथ का गढ़ कहा जाता था। कामरेड नेता ऊदल नौ बार विधायक रहे। वर्ष 1996 में वर्तमान कांग्रेस नेता अजय राय ने जीत हासिल की। उस वक्त वह भाजपा में थे। कुर्मी बाहुल्य इलाके में अजय राय ने वर्ष 1996 से 2017 तक कब्जा रखा लेकिन वर्ष 2017 में यह सीट भाजपा के खाते में चली गई। डा. अवधेश सिंह ने जीत हासिल की। दूसरे नंबर पर बसपा रही। एक बारगी फिर अजय राय जीत के लिए बेताब हैं तो कई चुनावों में तीसरे नंबर पर रही सपा अपना दल कमेरावादी के गठबंधन से कड़ी टक्कर देने की तैयारी में है। वर्ष 2017 में डा. अवधेश सिंह को 90614 व बसपा के बाबू लाल को 53767 मिले।

कयासों के भंवर में सेवापुरी सीट : सेवापुरी विधानसभा क्षेत्र जो गंगापुर और औराई के आंशिक क्षेत्रों को मिला कर बना है। वर्ष 2012 में हुए परिसीमन के बाद यह सीट अस्तित्व में आई। पहले चुनाव में सपा के सुरेंद्र सिंह पटेल ने अपना दल के नील रतन पटेल 'नीलूÓ को हराया था। वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा का सहयोगी दल रहे अपना दल एस से नील रतन पटेल नीलू ने सपा के सुरेंद्र सिंह पटेल को पराजित किया। वर्ष 2017 में  नील रतन पटेल को 103404 व सुरेंद्र सिंह को 54241 मिले थे।

त्रिकोणीय लड़ाई के आसार : शिवपुर विधानसभा सीट योगी आदित्यनाथ सरकार में मंत्री अनिल राजभर की सीट की वजह से खास बन गई है। वर्ष 2012 में हुए परिसीमन के बाद चिरईगांव सीट का नाम बदलकर शिवपुर विधानसभा सीट कर दिया गया। इस सीट पर अब तक दो बार चुनाव हुए, जिसमें एक-एक बार भाजपा व बसपा ने परचम लहराया। वर्ष 2017 में मंत्री अनिल राजभर सपा के आनंद मोहन को हराया था। भाजपा को जहां 110453 वोट तो सपा को 56194 वोट मिले थे। इस बार यहां मुकाबला त्रिकोणीय हो सकता है।

विजय को बेताब भाजपा : पिछली विधानसभा में सुभासपा के खाते में गई अजगरा सीट पर इन दिनों भाजपा सहित सभी दलों की निगाहें टिकी हैं। कारण, आरक्षित सीट को पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा की सहयोगी दल रही सुभासपा ने बसपा से छीन ली थी। सुभासपा और भाजपा के बीच दूरियां होने के बाद अब भाजपा से जुड़े नेता अपनी दावेदारी को लेकर आश्वस्त दिख रहे हैं। उधर, बसपा हर हाल में अपनी सीट को वापस चाहती है और सपा भी इस सीट पर काबिज होकर वर्चस्व कायम करने की जुगत में है। वर्ष 2012 के परिसीमन के बाद अस्तित्व में आई अजगरा विधानसभा में बसपा के त्रिभुवन राम पहली बार विधायक बने थे। इसके बाद वर्ष 2017 में भाजपा गठबंधन में सुभासपा के कैलाश सोनकर विजयी हुए। अब बदले राजनीतिक परिवेश में भाजपा और सुभासपा अलग-अलग हैं। वर्ष 2017 में कैलाश नाथ सोनकर को 83778 व लालजी सोनकर 62429 मत मिले थे।

सपा व भाजपा में कड़ी टक्कर : रोहनिया विस सीट पर कुर्मी व भूमिहार मतदाता अधिक हैं। वर्ष 2017 में भाजपा के सुरेंद्र नारायण सिंह ने रोहनिया विस सीट पर परचम लहराया। उन्होंने सपा के महेंद्र सिंह पटेल को हराया था। वहीं, वर्ष 2012 में अपना दल की अनुप्रिया पटेल ने बसपा के रमाकांत सिंह को हराया था। वर्ष 2014 में अनुप्रिया पटेल के सांसद बनने के उपचुनाव हुआ। इसमें सपा के महेंद्र सिंह पटेल ने अपना दल एस की उम्मीदवार कृष्णा पटेल को हराया था। सूबे में अपना दल एस और भाजपा का गठबंधन है। इसका असर वर्ष 2022 के चुनाव में देखने को मिल सकता है। वर्ष 2017 में सुरेंद्र नारायण सिंह को 119885 व महेंद्र सिंह पटेल को 62332 मत मिले थे।

वर्ष 2017 के चुनाव परिणाम

कैंट विधानसभा

सौरभ श्रीवास्तव     132609

अनिल श्रीवास्तव     71283

शहर दक्षिणी

डा नीलकंठ तिवारी   92560

डा राजेश मिश्रा       75334

शहर उत्तरी  

 

रविंद्र जायसवाल      116017

अब्दुल समद अंसारी  70515

शिवपुर

अनिल राजभर    110453

आनंद मोहन गुड्डू  56194

पिंडरा

अवधेश सिंह      90614

बाबुलाल           53767

सेवापुरी

नीतरत्न पटेल  103404

सुरेंद्र सिंह         54241

रोहनिया

सुरेंद्र नारायण सिंह  119885

महेंद्र पटेल।            62332

अजगरा

कैलाश नाथ सोनकर    83778

लालजी सोनकर          62429

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वर्ष 2012 के परिणाम

पिण्ड्रा

1- अजय राय, कांग्रेस, विजेता

अजगरा

1-त्रिभुवन राम, बसपा , 60239

2-लालजी, सपा, 58156

3-हरिनाथ, भाजपा, 22855

शिवपुर

1-उदय लाल मौर्या, बसपा, 48716

2-पीयूष यादव, सपा 36084

3- राधा कृष्?ण यादव, एसबीएसपी, 32758

रोहनियां

1- अनुप्रिया पटेल, अपना दल, 57812

2- रामाकांत सिंह, बसपा, 40229

3-मनोज राय, सपा, 26091

वाराणसी उत्तरी

1-रवींद्र जयसवाल, भाजपा, 47980

2-सुजीत कुमार मौर्या, 45644

3-अब्दुल सामद, सपा, 37434

वाराणसी दक्षिण

1-श्यामदेव राय चौधरी, भाजपा, 57,868

2-डा दयाशंकर मिश्रा दयालू, कांग्रेस, 44,046

वाराणसी कैंट

1-च्योतसना श्रीवास्तव, भाजपा, 57,918

2- अनिल श्रीवास्तव, कांग्रेस, 45,066

3-अशफाक अहमद, सपा 37922

सेवापुरी

1-सुरेंद्र सिह पटेल, सपा, 56849

2-नील रतन पटेल, अपना दल, 36942

3- मनीष कुमार सिंह, बसपा, 32316

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वर्ष 2007 के चुनाव परिणाम

वाराणसी उत्तरी

1- हाजीअब्दुल सामद, सपा, 26544

2- शिवनाथ यादव, भाजपा, 24345

3- राबिया कलाम, निर्दलीय, 17652

वाराणसी दक्षिण

1-श्याम देव रॉय चौधरी दाद,भाजपा,33,021

2- डॉ दयाशंकर मिश्रा दयालू, कांग्रेस, 19,319

वाराणसी कैंट

1-ज्योत्सना श्रीवास्तव, भाजपा, 31642

2- मनोज राय, सपा, 26163

3- अनिल श्रीवास्तव, कांग्रेस, 19778

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