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UP Elections 2022 : बलिया के सभी सात विधानसभा क्षेत्रों में नए-नवेलों से लेकर धुरंधर तक चुनावी मैदान में

बलिया के अधिकांश सीटों पर सीधी टक्कर के आसार हैं। इस बार दो मंत्रियों की प्रतिष्ठा भी दांव पर है। अबकी साथ गलबहियां करने वाले भी आमने-सामने हैं। भगवा लाल नीला पीला इस बार हर रंग जनता की कसौटी पर परखा जा रहा है।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Updated: Fri, 18 Feb 2022 08:10 AM (IST)
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बलिया में चुनावी महासमर का रंग चटख होता जा रहा है।

बलिया, समीर तिवारी। जिले में चुनावी महासमर का रंग चटख होता जा रहा है। यहां छठे चरण में तीन मार्च को मतदान होना है। नए-नवेलों से लेकर धुरंधर तक मैदान में डट चुके हैं। जिले के सभी सात विधानसभा क्षेत्रों में शह-मात का खेल जारी है। अधिकांश सीटों पर सीधी टक्कर के आसार हैं। इस बार दो मंत्रियों की प्रतिष्ठा भी दांव पर है। अबकी साथ गलबहियां करने वाले भी आमने-सामने हैं। बागी उम्मीदवार भी मुश्किलें खड़ी कर सकते हैैं। वर्ष 2017 के चुनाव में भाजपा को पांच सीटें मिलीं थीं जबकि सपा व बसपा के खाते में मात्र एक-एक सीट आई थी। 'भगवा, लाल, नीला, पीला इस बार हर रंग जनता की कसौटी पर परखा जा रहा है।

बिल्थरारोड : इस बार नए चेहरे, सबमें आगे बढऩे की होड़

2017 का चुनाव परिणाम

प्रत्याशी----पार्टी----मत

धनंजय कन्नौजिया--भाजपा--77,504

गोरख पासवान--सपा--59,185

घूरा राम--बसपा --47,297

जिले की अकेली सुरक्षित विधानसभा सीट के लिए इस बार नए चेहरों के बीच मुकाबला है। 2017 में यहां भाजपा के धनंजय कन्नौजिया ने सपा के गोरख पासवान को 18,309 मतों से हराया था। इस बार भाजपा ने अपने सीटिंग विधायक का टिकट काटकर बसपा से आए छट्ठू राम को उम्मीदवार बनाया है। वहीं सपा से गठबंधन करने वाली सुभासपा ने हंसू राम को मैदान में उतारा है।

लगभग साढ़े चार लाख की आबादी वाले क्षेत्र में साढ़े तीन लाख वोटर हैं। यह क्षेत्र पिछड़ा वर्ग बहुल है। इनकी भागीदारी 40 फीसद के आसपास है। वहीं अनुसूचित जाति के मतदाता 25 फीसद तो सामान्य वर्ग 10 फीसद के आसपास हैं। भाजपा और बसपा के प्रत्याशी 2012 के चुनाव मैदान में थे। तब छट्ठू राम बसपा से दूसरे और प्रवीण प्रकाश सुभासपा से तीसरे नंबर पर थे। इस बार यहां भाजपा व बसपा में सीधा मुकाबला देखा जा सकता है।

बैरिया : पल-पल बदल रहे समीकरण, मंत्री की अग्निपरीक्षा

2017 का चुनाव परिणाम

प्रत्याशी----पार्टी----मत

सुरेंद्र सिंह--भाजपा--64,868

जयप्रकाश अंचल--सपा--47,791

जवाहर--बसपा--27,974

बैरिया में इस बार नगर विधायक व मंत्री आनंद स्वरूप शुक्ला की अग्निपरीक्षा है। भाजपा ने यहां के सीटिंग विधायक सुरेंद्र सिंह का टिकट काटकर सबको चौंका दिया। इससे नाराज सुरेंद्र ने बागी रुख अख्तियार कर लिया। उन्होंने विकासशील इंसान पार्टी के टिकट पर ताल ठोक दी है। सपा से पूर्व विधायक जयप्रकाश अंचल तो बसपा से सुभाष यादव मैदान में हैं। यहां मुकाबला त्रिकोणीय दिख रहा है। लगभग छह लाख की आबादी वाले क्षेत्र में करीब साढ़े तीन लाख वोटर हैं। 2017 में सुरेंद्र सिंह ने जयप्रकाश अंचल को 17,077 मतों से मात दी थी। यह क्षेत्र सामान्य वर्ग बहुल है। इनकी भागीदारी 45 फीसद के आसपास है। वहीं अनुसूचित जाति सात फीसद तो अन्य मतदाताओं की संख्या करीब 10 फीसद हैं।

रसड़ा :: बसपा के किले की घेरेबंदी, गढ़ दरकाने की कोशिश

2017 का चुनाव परिणाम

प्रत्याशी----पार्टी----मत

उमाशंकर सिंह--बसपा--92,272

रामइकबाल सिंह--भाजपा--58,385

सनातन पांडेय--सपा--37,006

रसड़ा से बसपा ने लगातार तीसरी बार विधायक उमाशंकर सिंह पर भरोसा जताया है। पार्टी के गढ़ बनते इस क्षेत्र में विरोधी दलों ने भी पूरी ताकत लगा दी है। भाजपा ने पुराने नेता बब्बन राजभर पर दांव खेला है तो सुभासपा ने महेंद्र राजभर को मौका दिया है। यहां भी त्रिकोणीय मुकाबले के आसार दिखाई दे रहे हैं। लगभग पांच लाख की आबादी वाले क्षेत्र में करीब साढ़े तीन लाख वोटर हैं। 2017 में उमाशंकर सिंह ने भाजपा के रामइकबाल सिंह को 33,887 मतों से हराया था। यह क्षेत्र अनुसूचित जाति वर्ग बहुल है। इनकी भागीदारी 50 फीसद के आसपास है। वहीं सामान्य वर्ग के मतदाता करीब 10 फीसद हैं।

बांसडीह :: सीधी टक्कर ने इस बार भी रोमांचक की लड़ाई

2017 का चुनाव परिणाम

प्रत्याशी----पार्टी----मत

रामगोविंद चौधरी-सपा-51,201

केतकी सिंह--निर्दल--49,514

अरविंद राजभर--सुभासपा--40,234

बांसडीह में पिछले चुनाव में रोचक मुकाबला दिखा था। इस सीट पर हार-जीत में मतों का अंतर जिले में सबसे कम था। तब यह सीट भाजपा-सुभासपा गठबंधन के तहत सुभासपा के खाते में चली गई थी। ऐन चुनाव के वक्त बदले समीकरण के बाद पहले से दावेदार केतकी सिंह ने निर्दल उम्मीदवार के तौर पर मोर्चा खोल दिया। उन्होंने सपा के दिग्गज नेता रामगोविंद चौधरी को कड़ी टक्कर दी। तब सात बार विधायक रह चुके रामगोविंद 1,687 मतों से विजयी होकर आठवीं बार विधानसभा पहुंचे। दूसरे नंबर पर केतकी व तीसरे पर सुभासपा के अरविंद राजभर रहे। इस बार भाजपा-निषाद पार्टी के गठबंधन के तहत यह सीट निषाद पार्टी के खाते में गई है। पार्टी ने केतकी सिंह को मैदान में उतारा है। सपा से विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रामगोविंद फिर से चुनाव लड़ रहे हैं। वहीं कांग्रेस से पुनीत पाठक व बसपा से मानती बिंद उम्मीदवार हैं। ऐसे में इस सीट पर सपा-भाजपा गठबंधन में सीधी टक्कर दिख रही है। लगभग साढ़े पांच लाख की आबादी वाले क्षेत्र में चार लाख के करीब वोटर हैं। यह क्षेत्र अनुसूचित जाति वर्ग बहुल है। इनकी भागीदारी 50 फीसद के आसपास है।

सिकंदरपुर :: फिर से कमल व साइकिल में मुकाबला

2017 का चुनाव परिणाम

प्रत्याशी----पार्टी----मत

संजय यादव--भाजपा--69,536

जियाउद्दीन रिजवी--सपा--45,988

राजनारायन यादव--34,968

सिकंदरपुर में भाजपा व सपा के बीच सीधा मुकाबला देखा जा रहा है। कभी सपा का गढ़ रहे इस क्षेत्र में पिछली बार कमल खिला था। भाजपा के संजय यादव चुनाव जीते थे। इस बार भी पार्टी ने उन पर दोबारा दांव खेला है। वहीं सपा ने भी फिर से पूर्व मंत्री जियाउद्दीन को मैदान में उतारा है। कांग्रेस से बृजेश सिंह गाट व बसपा से संजीव कुमार वर्मा मैदान में हैं। कभी इत्र नगरी के तौर पर पहचाने जाने वाले सिकंदरपुर में सियासी समीकरण थोड़े-बहुत बदले हैं। पिछले चुनाव में संजय व रिजवी के बीच कड़ा मुकाबला हुआ था। संजय ने 23,548 मतों से जीत हासिल की थी। बसपा के राजनारायण तीसरे नंबर पर थे। लगभग साढ़े पांच लाख की आबादी वाले क्षेत्र में करीब साढ़े तीन लाख वोटर हैं। यह क्षेत्र पिछड़ा वर्ग बहुल है। इनकी भागीदारी 50 फीसद के आसपास है।

फेफना : बदली तस्वीर, मंत्री के सामने दोहरी चुनौती

2017 का चुनाव परिणाम

प्रत्याशी----पार्टी----मत

उपेंद्र तिवारी--भाजपा--70588

अंबिका चौधरी--बसपा--52691

संग्राम सिंह यादव--सपा--50016

फेफना में इस बार समीकरण काफी बदल गए हैं, लेकिन सीधा मुकाबला भाजपा व सपा के बीच ही दिख रहा है। भाजपा ने यहां से विधायक व मंत्री उपेंद्र तिवारी को फिर उम्मीदवार बनाया है। वे इससे पहले लगातार दो बार चुनाव जीत चुके हैं। इस बार उन्हें दोहरी चुनौती का सामना करना पड़ सकता है। दरअसल पिछली बार सपा में विवाद के बाद यहां पार्टी के कद्दावर नेता अंबिका चौधरी का टिकट कट गया। इससे नाराज होकर उन्होंने बसपा का दामन थाम लिया और चुनाव लड़े। सपा से संग्राम सिंह मैदान में थे। 2017 में उपेंद्र ने 17,897 मतों से अंबिका को शिकस्त दी थी। सपा तीसरे नंबर पर रही। अब अंबिका फिर से सपा के हो गए हैं। पार्टी ने संग्राम ङ्क्षसह को दोबारा मौका दिया है।

बलिया नगर :: हैवीवेट मुकाबला, आमने-सामने दो दिग्गज

2017 का चुनाव परिणाम

प्रत्याशी----पार्टी----मत

आनंद स्वरूप शुक्ला--भाजपा--92889

लक्ष्मण गुप्ता--सपा--52878

नारद राय--बसपा--31515

नगर विधानसभा क्षेत्र में इस बार हैवीवेट मुकाबला हो रहा है। यहां दो दिग्गजों के बीच लड़ाई है। भाजपा ने लखनऊ की सरोजनीनगर सीट से मंत्री स्वाती सिंह का टिकट काटने के बाद पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष दयाशंकर सिंह को मैदान में उतारा है। मंत्री आनंद स्वरूप शुक्ला को बैरिया भेजने के बाद पार्टी ने दयाशंकर को मौका दिया है। वे वर्ष 2002 में भाजपा क टिकट पर यहीं से चुनाव लड़ चुके हैं। वहीं सपा ने पूर्व मंत्री नारद राय को टिकट दिया है। वे 2012 में सपा के टिकट पर जीते थे। 2017 में पार्टी में दो फाड़ के बाद उनका टिकट गया। ऐसे में नारद बसपा के टिकट पर चुनाव मैदान में कूदे लेकिन उन्हें निराशा हाथ लगी। वे तीसरे नंबर पर रहे। भाजपा के आनंद ने सपा के लक्ष्मण गुप्ता को 40011 मतों से हराया। वह जनपद में सबसे अधिक मतों से विजयी हुए। चेहरे भले ही बदल गए हों लेकिन इस बार भी भाजपा व सपा में सीधी टक्कर है। इस विधानसभा क्षेत्र में मिली-जुली आबादी हे। इसमें हर वर्ग के लोग शामिल हैं। यहां से बसपा ने मदन वर्मा व कांग्रेस ने जैनेंद्र पांडेय को उम्मीदवारी दी है।

एक-दूसरे को पटखनी देने को तैयार

कुल मतदाता --24,43,963

पुरुष मतदाता --13,33,563

महिला मतदाता -- 11,10,324

अन्य मतदाता -- 76

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मतदान केंद्र--1,401

मतदेय स्थल--2,825

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कुल सीटें - 07

कुल नामांकन-- 122

रद नामांकन-- 37

नाम वापसी-- 03

कुल प्रत्याशी-- 82

इनपुट सहयोग : इश्तियाक अहमद, रवींद्र सिंह, रणजीत बहादुर सिंह, विजय मद्धेशिया, धीरज मिश्र व राकेश मिश्र।

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