प्रधान डाकघर में तैनात डाक निरीक्षक को रिश्वत लेना मंगलवार को भारी पड़ गया। लखनऊ से आइ सीबीआइ की चार सदस्यीय टीम ने ग्रामीण डाक सेवक (जीडीएस) से स्थानांतरण के लिए 10 हजार रुपये लेते समय निरीक्षक को रंगे हाथ पकड़ लिया। उसे गिरफ्तार कर टीम लखनऊ मुख्यालय ले गई। वहां कागजी कार्रवाई पूरी करने के साथ उससे पूछताछ की जा रही है।
जागरण संवाददाता, वाराणसी। प्रधान डाकघर में तैनात डाक निरीक्षक को रिश्वत लेना मंगलवार को भारी पड़ गया। लखनऊ से आइ सीबीआइ की चार सदस्यीय टीम ने ग्रामीण डाक सेवक (जीडीएस) से स्थानांतरण के लिए 10 हजार रुपये लेते समय निरीक्षक को रंगे हाथ पकड़ लिया। उसे गिरफ्तार कर टीम लखनऊ मुख्यालय ले गई। वहां कागजी कार्रवाई पूरी करने के साथ उससे पूछताछ की जा रही है।
छावनी क्षेत्र स्थित प्रधान डाकघर में तैनात डाक निरीक्षक (एसडीआइ नार्थ) मंदीप कुमार से जीडीएस ने पारिवारिक कारणों से स्थानांतरण की गुहार लगाई थी। इसके बदले में उससे 10 हजार रुपये मांगे जा रहे थे। इसमें असमर्थता जताने पर मामला लटका हुआ था। इससे आजिज आकर जीडीएस ने इसकी शिकायत सीबीआइ से की थी।
सीबीआइ टीम के दिशा निर्देश अनुसार आरोपित को पकड़ने का प्लान बनाया गया। तय योजना अनुसार मंगलवार शाम लगभग छह बजे जीडीएस रुपये देने गया। रुपये लेते ही सीबीआइ टीम ने डाक निरीक्षक को पकड़ लिया। हाथ धुलाने के साथ अन्य कार्रवाई कर उसे गिरफ्तार कर लिया गया।
उपभोक्ताओं को डाक विभाग की सेवाएं सहजता से उपलब्ध कराने के लिए गांव-गांव डाक सेवक की तैनाती की गई है।
बताया जा रहा है कि उनके स्थानांतरण में रिश्वत का खेल पहले से चल रहा था। विवशतावश इससे डाक सेवक समझौता भी कर ले रहे थे, लेकिन इस बार बात नहीं बनी और रिश्वतखोरी का मामला सामने आ गया।
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