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Women Reservation Bill: पूर्वांचल की महिलाओं को विधानसभा में मिलेंगी 20 सीटें, वर्तमान में हैं 4 महिला विधायक

Women Reservation Bill संसद में पिछले 26 वर्ष से लटका महिला आरक्षण बिल नारी शक्ति वंदन अधिनियम के रूप में मिलने जा रहा है। इससे संसद और विधानसभाओं में महिलाओं को 33 प्रतिशत सीटों पर प्रतिनिधित्व मिल जाएगा। पूर्वांचल की 61 सीटों में महिलाओं को 20 सीटें मिलेंगी। उत्तर प्रदेश की विधानसभा में पूर्वांचल की महिलाओं का प्रतिनिधित्व देखें तो स्थिति बहुत ही खराब है।

By Jagran NewsEdited By: Abhishek PandeyUpdated: Wed, 20 Sep 2023 03:12 PM (IST)
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पूर्वांचल की महिलाओं को विधानसभा में मिलेंगी 20 सीटें, वर्तमान में हैं केवल चार महिला विधायक
Women Reservation Bill। जागरण संवाददाता, वाराणसी : संसद में पिछले 26 वर्ष से लटका महिला आरक्षण बिल नारी शक्ति वंदन अधिनियम के रूप में मिलने जा रहा है। इससे संसद और विधानसभाओं में महिलाओं को 33 प्रतिशत सीटों पर प्रतिनिधित्व मिल जाएगा।

पूर्वांचल की 61 सीटों में महिलाओं को 20 सीटें मिलेंगी। उत्तर प्रदेश की विधानसभा में पूर्वांचल की महिलाओं का प्रतिनिधित्व देखें तो स्थिति बहुत ही खराब है। 2022 के विधानसभा चुनाव में पूर्वांचल के 10 जिलों की 61 सीटों से मात्र चार महिलाएं ही जीत सकीं।

आजमगढ़, वाराणसी और मीरजापुर मंडल के 10 जिलों में विधानसभा की कुल 61 सीटें हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी और समाजवादी पार्टी के बीच मुकाबला लगभग बराबरी पर छूटा। वहीं बसपा को एक सीट मिली थी तो कांग्रेस का सफाया हो गया था।

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इसमें भाजपा गठबंधन ने जहां 29 सीटों पर विजय हासिल की वहीं सपा गठबंधन को 31 सीटें मिली थीं। इसमें जौनपुर की मछलीशहर सीट से सपा की रागिनी सोनकर और आजमगढ़ की मेहनगर सीट से पूजा सरोज विजयी हुईं। भाजपा की केतकी सिंह बलिया की बांसडीह सीट से विजयी हुईं।

मीरजापुर की छानबे सीट पर रिंकी कोल ने मारी थी बाजी

2023 में मीरजापुर की छानबे सीट पर उपचुनाव में रिंकी कोल विजयी हुईं। इस प्रकार सपा और भाजपा के पास वर्तमान में दो-दो महिला जनप्रतिनिधि हैं। क्षेत्र की 61 सीटों पर महिलाओं का विधानसभा में प्रतिनिधित्व मात्र 6.55 प्रतिशत है। यह विधानसभा में वर्तमान में 11.91 प्रतिशत महिला विधायकों की अपेक्षा काफी कम है।

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इतना ही नहीं वर्तमान लोकसभा में तो महिलाओं का प्रतिशत 15 है। भाजपा से लगायत अन्य दल भले ही राजनीतिक मंचों पर महिला हित की बात करें लेकिन जब टिकट देने की बारी आती है तो वे जीत के समीकरण देखते हुए महिलाओं को किनारे कर देते हैं। इस कारण भी महिलाओं के जीत का औसत बहुत कम है।

केंद्र की नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली कैबिनेट ने नारी शक्ति वंदन अधिनियम को अनुमति दे दी है। इस अधिनियम के अब पास होने की पूरी संभावना है। निश्चित रूप से पूर्वांचल की महिलाओं के पिछड़ेपन को लेकर यह आरक्षण मील का पत्थर साबित होगा।

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