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वक्फ बोर्ड लखनऊ ने वाराणसी के सैकड़ों एकड़ में फैले यूपी कालेज कैंपस पर ठोका था दावा, पुराने छात्रों में आक्रोश

यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने वाराणसी के उदय प्रताप कॉलेज को वक्फ संपत्ति होने का दावा किया है। कॉलेज प्रबंधन और पूर्व छात्रों ने इस दावे का विरोध किया है। उनका कहना है कि कॉलेज की स्थापना 1909 में हुई थी और यह इंडोमेंट ट्रस्ट की जमीन पर बना है। ट्रस्ट की जमीन न तो खरीदी जा सकती है और न ही बेची जा सकती है।

By Ashok Singh Edited By: Nitesh Srivastava Updated: Mon, 25 Nov 2024 09:49 PM (IST)
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वाराणसी स्थित उदय प्रताप कॉलेज (फाइल फोटो)। जागरण
जागरण संवाददाता, वाराणसी। संसद के वर्तमान सत्र में वक्फ संशोधन बिल आने को है। इसके पक्ष-विपक्ष में पूरे देश में माहौल गरम हैं। ऐसे में यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड लखनऊ की तरफ से उदय प्रताप कालेज (यूपी कालेज) की जमीन को वक्फ की संपत्ति होने का दावा की बात सामने आई है। यह बात प्रकाश में आने के बाद कालेज के प्राचीन छात्रों में आक्रोश है।

पूर्वांचल ही नहीं समीपवर्ती बिहार तक यूपी कालेज का शिक्षण के क्षेत्र में बड़ा नाम है। करीब 500 एकड़ में फैले परिसर में यूपी डिग्री कालेज, इंटर कालेज, रानी मुरार बालिका, राजर्षि शिशु विहार, राजर्षि पब्लिक स्कूल संचालित होता है। करीब 20,000 विद्यार्थी शिक्षा ग्रहण करते हैं। ऐसी 115 वर्ष पुरानी संस्थान पर यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड लखनऊ के सहायक सचिव आले अतीक ने वक्फ एक्ट 1995 के तहत 2018 में कालेज प्रबंधक को नोटिस भेजा।

लिखा कि वसीम अहमद निवासी भोजूबीर तहसील सदर, वाराणसी ने कहा है कि ग्राम छोटी मसजिद नवाब टोक मजारात हुजरा उदय प्रताप कालेज भाेजूबीर की संपत्ति कालेज के नियंत्रण में है। इसे सुन्नी बोर्ड कार्यालय में पंजीकृत कराया जाए। इस संबंध में 15 दिनों के अंदर जवाब दें नहीं तो आपकी कोई आपत्ति नहीं सुनी जाएगी।

इस संबंध में उदय प्रताप शिक्षा समिति के तत्कालीन सचिव यूएन सिन्हा ने जवाब दिया था कि उदय प्रताप कालेज की स्थापना 1909 में हुई है। कालेज की जमीन इंडाउमेंट ट्रस्ट की है। चैरिटेबल इंडाउमेंट एक्ट के अंतर्गत आधार वर्ष के उपरांत ट्रस्ट की जमीन पर अन्य किसी का मालिकाना हक स्वयं समाप्त हो जाता है।

राजर्षि ने इंडाउमेंट ट्रस्ट का गठन कर की थी स्थापना

राजर्षि जूदेव ने उदय प्रताप कालेज एंड हिवेट क्षत्रिया स्कूल इंडाउमेंट ट्रस्ट का गठन कर 1909 में कालेज की स्थापना की थी। उदय प्रताप कालेज प्राचीन छात्र एसोसिएशन के उपाध्यक्ष व ट्रस्ट के सचिव आनंद विजय का कहना है कि नियमानुसार ट्रस्ट की जमीन न तो खरीदी जा सकती है न ही बेची जा सकती है।

ट्रस्ट आज भी उत्तर प्रदेश धर्मादा संदाय से संचालित है। बाद में 1964 में संस्था के विस्तार के लिए जमीनों की खरीद के लिए उदय प्रताप शिक्षा समिति का दो वर्ष के लिए गठन किया गया था। इतना ही नहीं 1991 में प्रधानमंत्री चंद्रशेखर छात्रसंघ उद्धाटन समारोह में मंच से कालेज को स्वायत्तशासी करने की घोषणा कर दी थी।

ऐसे गौरवशाली कालेज पर वक्फ बोर्ड का दावा करना राजर्षि के सपने के साथ खिलवाड़ है। ट्रस्ट और प्राचीन छात्र इसका कड़ा विरोध करता है। ऐसे लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए।

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