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यूपी पर्यटन ने पूछी प्रश्‍नोत्‍तरी, क्‍या आप पहचानते हैं वाराणसी के इस चर्चित स्‍मारक को

समय समय पर लोगों को जागरुक करते रहने वाले पर्यटन विभाग ने इस बार वाराणसी के एक स्‍मारक की तस्‍वीर शेयर कर इसे पहचानने की चुनौती दी है। यूपी पर्यटन ने इस बाबत तस्‍वीर के साथ प्रश्‍नोत्‍तरी जारी करते हुए तस्‍वीर को पहचानने की चुनौती दी है।

By Abhishek SharmaEdited By: Updated: Wed, 24 Nov 2021 02:03 PM (IST)
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तस्‍वीर के साथ प्रश्‍नोत्‍तरी जारी करते हुए तस्‍वीर को पहचानने की चुनौती दी है।
वाराणसी, इंटरनेट डेस्‍क। उत्‍तर प्रदेश के पर्यटन स्‍थलों के बारे में समय समय पर लोगों को जागरुक करते रहने वाले पर्यटन विभाग ने इस बार वाराणसी के एक स्‍मारक की तस्‍वीर शेयर कर इसे पहचानने की चुनौती दी है। यूपी पर्यटन ने इस बाबत तस्‍वीर के साथ प्रश्‍नोत्‍तरी जारी करते हुए तस्‍वीर को पहचानने की चुनौती दी है। चुनौती को कुछ लोगों ने लिया और सही जवाब भी दिया है। दरअसल यह चर्चित स्‍मारक वाराणसी का भारत माता मंदिर है जिसका वर्ष 1936 में राष्‍ट्रपिता महात्‍मा गांधी ने लोकार्पण किया था।

यूपी पर्यटन ने लिखा है कि - 'वाराणसी विभिन्न विशेषताओं, मनोदशाओं और भावनाओं का एक उत्कृष्ट समूह है।इसलिए, यदि आपने इस शहर को अच्छी तरह से देखा है, तो आप इस स्मारक के नाम का सही अनुमान लगा सकते हैं। अपने उन दोस्तों को टैग करें जो इस शहर से ताल्लुक रखते हैं।'

स्‍वतंत्रता सेनानी व राष्‍ट्र रत्‍न शिवप्रसाद गुप्‍त की संकल्‍पना और इंजीनियरिंग का यह भवन नायाब नमूना है। इसके भीतर संगमरमर के टुकड़ों का शानदार तरीके से प्रयोग किया गया है। स्‍थापना काल से ही यह भवन अपनी भव्‍यता और अनोखेपन की वजह से चर्चा में रहा है। माना जाता है कि भारत का मानचित्र यहां जो स्‍थापित हुआ वह अखंड भारत की संकल्‍पना का एक बड़ा केंद्र बिंदु गुलामी के दौर में रहा है। 

आजादी के नायकों में शुमार शिवप्रसाद गुप्‍त काशी के रईसों में एक माने जाते थे। उन्‍होंने गुलामी के दौर में एक भारत की संकल्‍पना को आकार देने और सभी धर्मों के लोगों के लिए एक छत के नीचे राष्‍ट्र के लिए मंदिर बनाने की संकल्‍पना को अमलीजामा पहनाने के लिए इसका निर्माण शुरू कराया था। काशी के शिल्‍पी दुर्गाप्रसाद ने काफी मशक्‍त और शोध के बाद संगमरमर के टुकड़ों पर भारत का नक्‍शा तैयार कर उसे भारत माता मंदिर का स्‍वरुप दिया। यह चित्र 31 फीट दो इंच और 30 फीट दो इंच के लंबाई- चौड़ाई में जमीन पर पत्‍थरों से उकेरा गया है। मंदिर में ही वंदेमातरम को लिपिबद्ध करने के साथ ही राष्‍ट्रवाद के ख्‍यात मंदिर के तौर पर भारत माता मंदिर काशी के भव्‍य स्‍मारकों में अपनी विशिष्‍ट पहचान रखता है। 

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