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UP Weather News: यूपी में अगले सप्ताह फिर उमड़-घुमड़ कर आ सकते बादल, हो सकती है झमाझम बारिश

UP Weather News Update Today मौसम विभाग की मानें तो अगले सप्ताह में एक बार फिर बादल और वर्षा का संयाेग बन सकता है। इसके लक्षण वायुमंडल में फिर से दिखने लगे हैं। उन्होंने बताया कि मौसम में अभी आर्द्रता पर्याप्त (86 से 64 प्रतिशत तक) बनी हुई है जो कहीं चल रही किसी मानसूनी गतिविधि का परिणाम हो सकती है।

By Shailesh Asthana Edited By: Vivek Shukla Updated: Sat, 12 Oct 2024 10:24 AM (IST)
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मौसम विभाग ने अगले सप्‍ताह बारिश का अनुमान लगाया है। जागरण

जागरण संवाददाता, वाराणसी। फिलहाल बादलों के पूरी तरह से हट जाने से आसमान साफ हो चुका है और सूर्य के किरणों की प्रखरता और तीव्रता बढ़ गई है। लोकमान्यताओं में खतरनाक कहे जाने वाले ‘कुआर का घाम’ की तीव्रता बढ़ने लगी है। शुक्रवार को ही अधिकतम तापमान 35.9 डिग्री सेल्सियस जा पहुंचा जो सामान्य से 2.4 डिग्री अधिक रहा।

जबकि न्यूनतम तापमान 25.5 डिग्री सामान्य से 2.9 डिग्री सेल्सियस अधिक रहा। चिलचिलाती धूप के साथ उमस ने लोगों को खूब परेशान किया लेकिन ऐसा अब लगातार रहने वाला नहीं है, संभावना बन रही है कि अगले सप्ताह एक बार फिर बादल, बुन्नी के दिन लौट कर आएंगे।

काशी हिंदू विश्वविद्यालय के मौसम विज्ञानी प्रो. मनोज कुमार श्रीवास्तव कहते हैं कि एक तरह से लगभग विदाई ले चुका प्रतीत होता मानसून अभी पूरी तरह से गया नहीं है। इसके पुन: एक बार वापसी की संभावनाएं बन रही हैं।

बारिश के इंतजार में लोग। जागरण


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हालांकि अभी ऐसी कोई गतिविधि प्रत्यक्ष रूप में बंगाल की खाड़ी या अरब सागर में नहीं दिख रही है, फिर भी इस बात की संभावना बनी हुई है कि एक बार फिर बादलों की वापसी होगी और वे वर्षा करेंगे। मौसम विभाग इस बात की संभावना 16 अक्टूबर से प्रदर्शित कर रहा है हालांकि यह एक-दो दिन बाद भी ऐसा हो सकता है।

"जब बरखा चित्रा में होई, सगरी खेती जाई खोई"

इधर घाघ भड्डरी की कृषि संबंधी कहावतों को मानें तो यदि चित्रा नक्षत्र में वर्षा होती है तो खेती नष्ट हो जाती है। काशी हिंदू विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभाग के प्रो. विनय कुमार पांडेय ने बताया कि 10 अक्टूबर को सूर्य चित्रा नक्षत्र में प्रवेश कर रहे हैं जो 24 अक्टूबर तक रहेंगे।

बारिश को लेकर मौसम विभाग ने अलर्ट जारी किया है।-जागरण 


पुरानी कहावतों के अनुसार यदि चित्रा नक्षत्र में बारिश होती है तो रवि की फसल सही समय पर नहीं बोई जा सकेगी और इस तरह फसल उत्पादन कम होगा। दूसरी ओर खेतों में खड़ी पककर तैयार होती धान की फसल भी वर्षा के कारण भूमि पर गिर जाएगी और नुकसान होगा।

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प्रो. पांडेय बताते हैं कि हस्त नक्षत्र की वर्षा को धान के लिए बेहतर माना गया है लेकिन इस बार हस्त नक्षत्र में वर्षा हुई नहीं। घाघ ने कहा है कि ‘आवत आदर देत नहीं, जात दियो नहीं हस्त, ये दोनों पछतात हैं पाहुन और गिरहस्त।’ यानी आते हुए आर्द्रा नक्षत्र और जाते हुए हस्त नक्षत्र ने यदि वर्षा नहीं की तो फसल की पैदावार कम हो जाती है।

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