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Vijayadashami 2024: वाराणसी में जलेगा सबसे ऊंचा रावण, नालंदा की आतिशबाजी से गूंजेगा आसमान

बरेका में इस बार 75 फीट ऊंचा रावण का पुतला जलाया जाएगा जो पूरे शहर में सबसे ऊंचा होगा। मलदहिया में रावण के पुतले के साथ बिहार के नालंदा से मंगाई गई आतिशबाजी देखने को मिलेगी। रामनगर की रामलीला में 65 फीट ऊंचा रावण जलेगा। बरेका के खेल कूद मैदान में 11 अक्टूबर को सभी पुतले खड़े कर दिए जाएंगे।

By Shailesh Asthana Edited By: Vivek Shukla Updated: Thu, 10 Oct 2024 01:12 PM (IST)
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रामनगर में बनकर तैयार कुंभकरण का 55 फीट ऊंचा विशालकाय पुतला।

जागरण संवाददाता, वाराणसी। विजयदशमी पर्व पर रावण, कुंभकर्ण व मेघनाद का पुतला दहन आकर्षण का केंद्र होता है। शहर में तीन स्थानों पर होने वाले पुतला दहन को देखने के लिए लोगों की भीड़ उमड़ती है। इस बार भी बरेका में सबसे ऊंचा रावण का पुतला जलाने की योजना है।

बरेका में 75 फीट, रामनगर की रामलीला में 65 फीट तो मलदहिया में 40 फीट का रावण जलाया जाएगा। मलदहिया के रावण के पुतले के दहन के साथ गूंजने वाली विशेष आतिशबाजी को बिहार के नालंदा से मंगाया गया है।

बरेका में रावण मेघनाद, कुंभकर्ण के साथ जलेगी सोने की लंका

बरेका के खेल कूद मैदान में सभी पुतले क्रेन की सहायता से 11 अक्टूबर को मैदान में खड़े कर दिए जाएंगे। वहां रावण का पुतला 75 फीट, कुंभकर्ण का 65 फीट तो मेघनाद का पुतला 55 फीट का होगा। इनके निर्माण में मड़ुआडीह निवासी शमसाद खान के स्वजन समेत लगभग एक दर्जन कारीगर 20 अगस्त से लगे हुए थे।

बरेका में रावण का पुतला बनाते कलाकर। जागरण

पुतलों के निर्माण में 150 बांस, एक कुंतल 20 किलो तांत, दो कुंटल पेपर, एक कुंटल मैदा और 200 सूती साड़ी,100 लीटर डिस्टेंपर, 50 किलो सुतली, आठ लीटर स्टिनर का प्रयोग किया गया है। इनके अलावा, इस बार सोने की लंका का भी निर्माण किया जा रहा है, जिसे रावण के दहन के समय ही जलाया जाएगा। पुतलों के साथ एक आतिशबाजी का संयोजन एक घंटे तक चलेगा।

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रामनगर में जलता है 60 फीट ऊंचा रावण

रामनगर मेंकी विश्व प्रसिद्ध रामलीला में शनिवार की रात 10 बजकर 25 मिनट पर लंका मैदान में रावण का पुतला दहन होगा। पुतला निर्माण में लगे राजू खान ने बताया कि प्रत्येक वर्ष यहां रावण का पुतला 60 फीट ऊंचा व 30 फीट चौड़ा बनाया जाता है। जिसे बांस की फट्टी से बनाकर अमेरिकन नायलान रस्सी से बांधा जाता है। विभिन्न रंगों के कागज, पन्नी से कवर किया जाता है।

अस्सी से निकली लंका की नक्टैया में लाग विमान। जागरण

पुतले के बीच में पताई भरी जाती है जिसे श्रीराम के तीर मारने के बाद डीजल से जलाया जाता है। इसके साथ ही यहां कुंभकर्ण का 55 फीट व मेघनाथ का 50 फीट ऊंचा पुतला बनता है। रामनगर में कुंभकरण व मेघनाथ के पुतला दहन की परंपरा नहीं है, यहां तीर मारने के बाद मृत्यु स्वरूप कुंभकरण व मेघनाथ के पुतलों को गिरा दिया जाता है।

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