वाराणसी का प्रसिद्ध लोटा भंटा मेला रामेश्वर में आज से शुरू, भगवान श्रीराम से जुड़ा है मेले का महात्म्य
वाराणसी का प्रसिद्ध लोटा भंटा मेला सोमवार से रामेश्वर में वरुणा नदी के तट पर शुरू हो गया है। सुबह से ही आस्थावानों की भीड़ बाटी चोखा का भोग भगवान शिव को लगाने के लिए कतार लगी हुई है।
वाराणसी, जागरण संवाददाता। Varanasi famous Lota Bhanta fair starts in Rameshwar : वरुणा व पंच शिवाला संगम क्षेत्र में लोटा-भंटा मेला आज सोमवार से शुरू हो चुका है। दूर दूर से आस्थावानों की भीड़ भोले को बाटी चोखा का भोग लगाने में जुटी हुई है। आस्था का रेला शुरू होने के साथ ही कंडों पर आलू, बैंगन और टमाटर को भूनकर चोखा और आटे व सत्तू से बाटी बनाकर प्रसाद ग्रहण करने और उसका भोग रामेश्वर में महादेव को लगाने के लिए आस्थावानों की कतार लगी हुई है।
शहर बनारस में देव दीपावली के बाद प्राचीन उत्सव लोटा-भंटा का मेला श्रद्धालु धूमधाम से मनाते हैं। मेला का आयोजन सोमवार 15 नवंबर को वरुणा व पंच शिवाला संगम क्षेत्र में किया जाएगा।यह मेला जंसा, रामेश्वर, पंचशिवाला-हरहुआ के बीच वरुणा नदी के कछार में हर साल मार्गशीर्ष (अगहन) महीने की षष्ठी तिथि पर लगता है। श्रद्धालु पहले गंगा-वरुणा नदी में स्नान करते हैं। इसके बाद देवालयों में दर्शन-पूजन करते हुए बाटी-चोखा सगे संबंधियों संग ग्रहण करते हैं।
लोटा-भंटा मेला का महात्म्य भगवान श्रीराम से जुड़ा है, जहां शिव व राम का पहला मिलन स्थल रामेश्वर महादेव मंदिर के नाम से जाना जाता है। राधा-कृष्ण मंदिर के महंत राममूर्ति दास और रामेश्वर महादेव मंदिर के पुजारी आचार्य पं. अनूप तिवारी ने बताया कि रावण वध के बाद भगवान श्रीराम ने प्रायश्चित करने के लिए यहां एक मुट्ठी रेत का शिवलिंग बना कर लोटा जल से पूजा कर बाटी-चोखा प्रसाद बनाकर भगवान शिव को भोग लगाया।
मान्यता है कि रामेश्वरम के बाद काशी में भगवान राम ने रेत से शिवलिंग की स्थापना की थी। वरुणा तट पर रेत से बनी रामेश्वर महादेव का शिवलिंग आज भी भगवान राम की स्मृतियों को ताजा करती है। वहीं आस्थावानों का यह रेला संतान की कामना से बाबा का आशीर्वाद लेने के लिए उमड़ा तो सुबह से बाटी चोखा की सुवास वातावरण में घुल गई।