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Varanasi Gyanvapi Case : श्रृंगार गौरी मामले में सुनवाई के लिए कोर्ट ने अगली तिथि 17 अक्टूबर तय कर दी

वाराणसी के ज्ञानवापी केस मामले में जिला जज डा. अजय कृष्ण वेश्वेश ने इस मामले में पक्षकार बनने के लिए दिए गए प्रार्थना पत्रों पर सुनवाई की। इसके साथ ही सुनवाई के लिए अगली तिथि 17 अक्टूबर तय कर दी।

By Jagran NewsEdited By: Saurabh ChakravartyUpdated: Fri, 14 Oct 2022 07:34 PM (IST)
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अगली तिथि 17 अक्टूबर तय कर दी।

जागरण संवाददाता, वाराणसी। ज्ञानवापी परिसर में मिले शिवलिंग के वैज्ञानिक जांच की मंदिर पक्ष की मांग को शुक्रवार को जिला जज की अदालत ने खारिज कर दिया। ज्ञानवापी-श्रृंगार गौरी प्रकरण में राखी सिंह समेत पांच महिलाओं की ओर से दाखिल मुकदमे की सुनवाई की दौरान जिला जज डा. अजय कृष्ण वेश्वेश ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला दिया। कहा कि 17 मई को दिए गए आदेश में शिवलिंग को सुरक्षित रखने को कहा गया है। इसके अतिरिक्त आम जनता की धार्मिक भावनाओं को भी चोट पहुंचेगी। इसके साथ ही अदालत ने इस मामले में पक्षकार बनने के लिए दिए गए प्रार्थना पत्रों पर सुनवाई की। इसके साथ ही सुनवाई के लिए अगली तिथि 17 अक्टूबर तय कर दी।

मंदिर पक्ष की वादी मंजू व्यास, रेखा पाठक, लक्ष्मी देवी, सीता साहू (वादी संख्या दो से पांच) की ओर से दाखिल प्रार्थना पत्र पर जिला जज ने अपने आदेश में कहा कि इसमें 16 मई को ज्ञानवापी परिसर में हुई एडवोकेट कमिश्नर की कार्यवाही के दौरान मिले शिवलिंग के कार्बन डेटिंग व अन्य वैज्ञानिक तकनीकी जैसे ग्राउंड पेनिट्रेटिंग राडार का प्रयोग करते हुए शिवलिंग की संरचना, प्रकृति और आयु का निर्धारण कराने की मांग की गई है।

सुप्रीम कोर्ट ने इस प्रकरण में 17.मई को दिए आदेश में निर्देशित किया है कि शिवलिंगम को सुरक्षित रखा जाए। ऐसी स्थिति में यदि कार्बन डेटिंग तकनीक का प्रयोग करने पर या ग्राउण्ड पेनीट्रेटिंग राडार का प्रयोग करने पर शिवलिंग को क्षति पहुंचती है तो यह सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन होगा। इसके अतिरिक्त ऐसा होने पर आम जनता की धार्मिक भावनाओं को भी चोट पहुंच सकती है।

इसलिए शिवलिंग की आयु, प्रकृति और संरचना का निर्धारण करने के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वे का निर्देश दिया जाना उचित नहीं होगा। ऐसा आदेश करने से इस मुकदमे में न्यायपूर्ण समाधान की कोई संभावना प्रतीत नहीं होती है। इसलिए प्रार्थना पत्र निरस्त किया जाता है।

मंदिर पक्ष

हमारे प्रार्थना पत्र को अदालत ने सुप्रीम कोर्ट के 17 मई के आदेश का हवाला देते हुए खारिज कर दिया है। जबकि सुप्रीम कोर्ट ने 20 मई के अपने आदेश में स्पष्ट किया है कि श्रृंगार गौरी से जुड़े किसी भी प्रकरण या प्रार्थना पत्र पर निचली अदालत सुनवाई करेगी इसलिए हमारे प्रार्थना पत्र को निरस्त करना सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उलंघन हैं।

विष्णु शंकर जैन मंदिर पक्ष के वकील

(मंजू व्यास, रेखा पाठक, लक्ष्मी देवी, सीता साहू)

मस्जिद पक्ष

अदालत ने इस मामले में हमारी आपत्ति को गंभीरता से लिया और इसके बाद फैसला दिया है। हमारी ओर से मांग की गई है थी कि जिसे मंदिर पक्ष शिवलिंग बता रहा है उसे सुप्रीम कोर्ट ने सील करके सुरक्षित करने का आदेश दिया था। कार्बन डेटिंग समेत अन्य वैज्ञानिक तकनीक से उसकी जांच होती जिले शिवलिंग कहा जा रहा है उससे छेड़छाड़ होती। यह सुप्रीम को कोर्ट के आदेश का उलंघन होता।

अखलाक अहमद, मस्जिद पक्ष के वकील

(अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद)

हिंदू धर्म के अनुसार भगवान की मूर्ति को हम जीवित मानते हैं। ऐसे में हम उनकी जांच कैसे कर सकते हैं

ज्ञानवापी परिसर में मिले शिवलिंग के कार्बन डेटिंग करने का मांग का हमने विरोध दिया था। हिंदू धर्म के अनुसार भगवान की मूर्ति को हम जीवित मानते हैं। ऐसे में हम उनकी जांच कैसे कर सकते हैं। किसी भी वैज्ञानिक विधि से शिवलिंग की जांच की जाती को उसे नुकसान पहुंचने की संभावना रहती। इससे जनभावना आहत होती। इसलिए मेरा माना है कि अदालत ने सभी फैसला दिया।

अनुपम द्विवेदी, वकील मंदिर पक्ष

(वादी संख्या एक राखी सिंह)

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