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वाराणसी ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी मामले में ऐसे खारिज हुआ कार्बन डेटिंग का फैसला, जानिए क्‍या दी गई दलीलें

12 सितंबर को ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी प्रकरण में अदालत ने मुकदमा सुनने योग्य है यह आदेश दिया था। इसके बाद कई दिनों तक इस पर सुनवाई है। कार्बन डेटिंग मामले में कोर्ट में इस दौरान कई दलीलें दी गई।

By devendra nath singhEdited By: Saurabh ChakravartyUpdated: Fri, 14 Oct 2022 08:02 PM (IST)
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12 सितंबर को ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी प्रकरण में अदालत ने मुकदमा सुनने योग्य है यह आदेश दिया था

वाराणसी, जागरण संवाददाता। 12 सितंबर को ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी प्रकरण में अदालत ने मुकदमा सुनने योग्य है यह आदेश दिया था। इसके बाद कई दिनों तक इस पर सुनवाई है। कार्बन डेटिंग मामले में कोर्ट में इस दौरान कई दलीलें दी गई। मंदिर और मस्जिद पक्ष ने कोर्ट में अपनी बात रखी।

-12 सितंबर को ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी प्रकरण में अदालत ने मुकदमा सुनने योग्य है यह आदेश दिया था

-22 सितंबर को मंदिर पक्ष की वादी मंजू व्यास, रेखा पाठक, लक्ष्मी देवी, सीता साहू की ओर से शिवलिंग के कार्बन डेटिंग या अन्य वैज्ञानिक तकनीक (जीपीआर) से जांच की मांग प्रार्थना पत्र अदालत मे दिया गया।

-29 सितंबर को मस्जिद पक्ष व मंदिर पक्ष की राखी सिंह की ओर से इस प्रार्थना पत्र पर आपत्ति दाखिल की गई

-7 अक्टूबर को जिला जज की अदालत में मस्जिद पक्ष व मंदिर पक्ष की राखी सिंह के वकीलों ने आपत्ति पर अपनी दलीलें दी।

-11 अक्टूबर को अदालत ने एक बार फिर वादी संख्या मंजू व्यास, रेखा पाठक, लक्ष्मी देवी, सीता साहू के वकील को कार्बन डेटिंग या अन्य वैज्ञानिक विधि को स्पष्ट करने को कहा

-14 अक्टूबर को मंदिर पक्ष के शिवलिंग के वैज्ञानिक जांच की मांग को खारिज कर दिया

यह दी गई दलीलें

समर्थन

-श्रृंगार गौरी प्रकरण के उचित निस्तारण के लिए ज्ञानवापी परिसर में मिला शिवलिंग की वैज्ञानिक जांच आवश्यक है।

-भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के विशेषज्ञों की टीम शिवलिंग की लंबाई, चौड़ाई, ऊंचाइ, आयु, उसके संगठकों की जांच कार्बन डेटिंग या अन्य वैज्ञानिक तकनीक से की जाए विरोध

-भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण को अधिनियम की धारा 22 के तहत यह शक्ति प्राप्त है कि वह संरक्षित क्षेत्रों से खुदाई कर सकती है यदि उक्त क्षेत्र में प्राचीन अवशेष मौजूद हैं।

-सुप्रीम कोर्ट ने रामजन्म भूमि अयोध्या के मुकदमे में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की शक्तियों व क्षेत्राधिकार का उल्लेख किया है।

विरोध

-ज्ञानवापी में मिली आकृति के स्वरूप का निर्धारण होना बाकी है कि वह शिवलिंग है या फव्वारा।

-सुप्रीम कोर्ट ने उस स्थान को संरक्षित करने को कहा है जहां मंदिर पक्ष शिवलिंग मिलने की बात कह रहा है।

-कार्बन डेटिंग तकनीक से पवित्र शिवलिंग को क्षति पहुंचेगी इससे मुकदमे का उद्देश्य निष्फल होगा।

-जांच के दौरान शिवलिंग टूट गया तो उसकी पूजा नहीं जा सकेगी। इससे हिंदू सनातन भक्तों की धार्मिक भावना को चोट पहुंचेगी और शिवलिंग की पवित्रता हमेशा के लिए समाप्त हो जाएगी।

कार्बन डेटिंग के जरिए प्राचीन वस्तुओं की आयु के बारे में पता किया जाता है

कार्बन डेटिंग के जरिए प्राचीन वस्तुओं की आयु के बारे में पता किया जाता है। इसमें कार्बन-12 एवं कार्बन-14 के मध्य अनुपात निकाला जाता है। कार्बन-14 कार्बन का रेडियोधर्मी आइसोटोप है, इसका अर्ध आयुकाल 5730 वर्ष का है। कार्बन काल विधि के माध्यम से तिथि निर्धारण होने पर इतिहास एवं वैज्ञानिक तथ्यों की जानकारी होने में सहायता मिलती है।

रेडियोकार्बन डेटिंग तकनीक का आविष्कार 1949 में शिकागो विश्वविद्यालय के विलियर्ड लिबी और उनके साथियों ने किया था। 1960 में उन्हें इसके लिए रसायन विज्ञान के नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया। उन्होंने कार्बन डेटिंग के माध्यम से पहली बार लकड़ी की आयु पता की थी।

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