Move to Jagran APP

Varanasi House Collapse: बेटी संग बहन के घर आई प्रेमलता को आज लौटना था, लेकिन मौत ने छीन ली जिंदगी

श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर के प्रवेश द्वार संख्या चार के पास एक गली में मंगलवार तड़के करीब तीन बजे आपस में सटे चार मंजिल के दो मकान ढह गए। दोनों मकान लगभग 80 वर्ष पुराने थे और जर्जर हो चुके थे। हादसे में आजमगढ़ की एक महिला प्रेमलता की मौत हो गई। घर में उपस्थित आठ लोगों के साथ ही मंदिर के गेट पर तैनात एक महिला कांस्टेबल घायल है।

By Rakesh Srivastava Edited By: Vivek Shukla Updated: Wed, 07 Aug 2024 08:04 AM (IST)
Hero Image
श्रीकाशी विश्वनाथ धाम के गेट नंबर चार के पास मकान गिरने के बाद रेक्सयू करते एनडीआरएफ टीम। जागरण
जागरण संवाददाता, वाराणसी। कल चमन था आज इक सहरा हुआ, देखते ही देखते यह क्या हुआ ...। गजल की यह पंक्ति श्रीकाशी विश्वनाथ धाम परिसर से सटे चार मंजिला भवन के जमींदोज होने की घटना में घायलों से बातचीत के दौरान आंसुओं में जीवंत हो उठ रही थी।

अधिकांश जुबां एक ही बात रही कि रात में एक बजे तक रिश्तेदारों की मौजूदगी के कारण परिवार में अपार खुशियां थीं। हंसी-ठिठोली के बीच अपने-अपने बेड पर स्वजन गए ही थे कि एक झटके में कभी न भूलने वाला गम मिल गया।

साढ़ू की पत्नी की मौत का लगा कलंक

पांचों पंडवा गली निवासी रमेश गुप्ता ने बताया कि उनका परिवार चौथी मंजिल पर था। उनकी पत्नी कुसुम की बहन प्रेमलता अपनी बेटी सपना संग एक सप्ताह से आई हुईं थीं। उन्हें मंगलवार को आजमगढ़ के खरिहानी स्थित अपने घर लौटना था। इसलिए सोमवार सुबह से रात तक दर्शन-पूजन और रतजगा की स्थिति रही।

इसे भी पढ़ें-  राजधानी समेत पूर्वी यूपी में आज से तीन दिनों तक बारिश, IMD ने जारी किया 48 जिलों के लिए अलर्ट

रात में पूरी-पकवान बने थे। परिवार एक-दूसरे को छोड़ना नहीं चाहता था। किसी को क्या पता था कि प्रेमलता के जीवन की अंतिम रात है। रमेश सिर में चोट लगने से अर्धचेतना में थे। कैसे घटना हुई के सवाल पर बिलख उठे, बोले साढ़ू को क्या जवाब दूंगा।

मां की कुलशला सभी से पूछती रही सपना

मंडलीय अस्पताल का इंमजरेंसी वार्ड कुशलक्षेम जानने वालों से भरा था। लेकिन उनके कदम सपना के पास पहुंच ठिठक जा रहे थे। वह किसी के सवाल का जवाब देने से पूर्व पूछ बैठ रही थी कि मेरी मां तो ठीक है न, जिसका जवाब हां, हां में देते लोग आगे बढ़ जाते। बताते भी तो कैसे कि अब उसे बगैर मां के ही घर लौटना होगा।

चोट तो ऐसी लगी कि ताउम्र दर्द नहीं जाएगा

कुसुम और उनकी बेटी रितिका इमरजेंसी वार्ड में अगल-बगल बेड पर थीं। दोनों चेतना में थीं और उन्हें आभास था कि प्रेमलता नहीं रहीं। ज्यादा चोट तो नहीं लगी के सवाल पर मां-बेटी बोल पड़ीं कि चोट तो ऐसी लगी, जिसका दर्द ताउम्र सालेगा। इसलिए कि एक सप्ताह से आईं बहन और उनकी बेटी कई बार घर लौटने की जिद कीं लेकिन अपनों के प्यार में बंध कर रह गईं।

आधे मीटर के होल में मनीष को दिखी जिंदगी बचाने की उम्मीद

रमेश के छोटे भाई मनीष गुप्ता का परिवार तीसरी मंजिल था। पत्नी पूजा, बेटा आर्यन और मनीष समेत तीन लोगों का परिवार रहता था। मनीष ने बताया कि भैया के यहां रिश्तेदार आए थे, लिहाजा हम लोगों को सोने में रात साढ़े 12 बज गए थे।

एक ही कमरे में तीनों जन सो रहे थे कि तेज आवाज के साथ मकान जमींदोज हो गया। आंखें खुली तो चारों तरफ अंधेरा नजर आ रहा था, जिंदगी दांव पर लगी दिखी। एक घंटे बाद एक जगह से रोशनी आती दिखी तो जिंदगी बचने की उम्मीद नजर आई, जिससे पहले बेटे आर्यन को निकाला फिर खुद निकला।

पुलिस कर्मियों ने हमारी मदद जरूरी की। बाहर पुलिस कमिश्नर, एनडीआरएफ की टीम दिखी तो अपने और भैया के परिवार के बारे में बताया तो बार-बारी से सभी निकाले गए।

गोल्डेन आवर में रेस्क्यू से बची जिंदगियां : पुलिस कमिश्नर

पुलिस कमिश्नर मोहित अग्रवाल ने बताया कि तड़के तीन बजे मुझे सूचना मिली। पौने चार बजे मैं मौके पर था। चार बजे एनडीआरएफ आ गई थी। इससे पूर्व तक मंदिर सुरक्षा में लगी फोर्स से जो कुछ बन सका, उसे किया।

कहा कि दोनों मकान भरभरा कर गिरे थे, इसलिए अधिकांश लोग मलबे में दबे थे। मकान का स्लैब पड़ोस के मंदिर और एक व्यक्ति के मकान पर अटक जाना ईश्वर की कृपा रही। जबकि गोल्डेन आवर में रेस्क्यू से अधिकांश को बचाने में हम सफल हो पाए।

इसे भी पढ़ें-काशी विश्वनाथ मंद‍िर के पास 100 साल पुराना मकान गिरा, आठ घायल, एक की मौत

जबड़े में गंभीर चोट, फिर भी हालत स्थिर

वाराणसी : चार मंजिल मकान गिरने से चपेट में आई महिला कांस्टेबल बिंदू के जबड़े में गंभीर चोट लगी है। हादसे के बाद सबसे पहले बिंदू को ही मंडलीय अस्पताल लाया गया, जहां से उसे बीएचयू के ट्रामा सेंटर रेफर कर दिया गया। थाना लंका के प्रभारी निरीक्षक शिवाकांत मिश्रा ने बताया बिंदू वर्ष 2016 बैच की सिपाही है। मऊ जिले के मोहम्मदाबाद निवासी बिंदू की तैनाती चौबेपुर थाना में हैं, जहां से उसकी ड्यूटी श्रीकाशी विश्वनाथ धाम मंदिर में लगाई गई थी।

मेरी नजर में मंदिर प्रशासन हादसे का जिम्मेदार

चार मंजिल मकान गिरने की घटना के लिए रमेश गुप्ता (मकान मालिक) श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर प्रशासन को जिम्मेदार ठहराया। उनका कहना था कि मकान बनवाने पर उन्हें रोक दिया जाता था। जब हम कहते कि मकान आप ले लीजिए तो खामोश पड़ जाते। यही वजह रही कि मकान गिरने की घटना में पूरे परिवार की जिंदगी दांव पर लग गई और महिला रिश्तेदार की जान चली गई।

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।