धान की खेती में क्रांति लाने के लिए ट्रैक्टर तैयार, पौधों को नुकसान पहुंचाए बिना खरपतवार को करता है साफ
जलवायु परिवर्तन के दौर में धान की खेती में आने वाली चुनौतियों को देखते हुए सीधी बिजाई (डीएसआर) विधि किसानों के लिए एक बेहतर विकल्प है। अंतरराष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान (इरी सार्क) के विज्ञानियों ने ट्रैक्टर-चलित ड्राई व वेट लैंड वीडर बनाया है जो धान के पौधों को बिना नुकसान पहुंचाए खरपतवार साफ करता है। यह मशीन कम नमी वाली जमीन में भी प्रभावी ढंग से काम करती है।
मुकेश चंद्र श्रीवास्तव, वाराणसी। जलवायु परिवर्तन और अनियमित मानसून के दौर में किसान धान की खेती में आने वाली चुनौतियों से अक्सर जूझते हैं। पारंपरिक खेती में पानी की अधिक खपत, मेहनत और लागत बोझ बन गई है।
हालांकि धान की सीधी बिजाई (डीएसआर) की विधि ने इस समस्या को कुछ हद तक कम किया है। यह विधि न केवल पानी और लागत बचाती है, बल्कि बेहतर मुनाफा भी देती है। इसके बाद खरपतवार नियंत्रण बहुत बड़ी चुनौती थी और इसका समाधान अंतरराष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान के दक्षिण एशिया क्षेत्रीय केंद्र (इरी सार्क) के विज्ञानियों ने निकाल लिया है।
उनके द्वारा डिजाइन किया गया ट्रैक्टर-चलित ड्राई व वेट लैंड वीडर धान की खेती में गेम-चेंजर सिद्ध हो रहा है। पतले टायरों (नैरो व्हील्स) वाला यह ट्रैक्टर धान के पौधों को बिना नुकसान पहुंचाए खरपतवार साफ करता है, जिससे किसानों का समय और पैसा दोनों बचते हैं।
धान की बोआई 25 सेंटीमीटर की दूरी पर की जाती है। इस ट्रैक्टर में लगे नैरो व्हील्स पंक्तियों के बीच आसानी से चलते हैं। यह मशीन कम नमी वाली जमीन में भी प्रभावी ढंग से काम करती है और एक घंटे में एक एकड़ खेत की निराई कर सकती है।
बोआई के 25-30 दिनो बाद इस वीडर का इस्तेमाल सबसे प्रभावी होता है, जो खरपतवार को जड़ से उखाड़ देता है। हाल ही में वाराणसी के पनियारा गांव में इस यंत्र का सफल प्रदर्शन किया गया, जिसने किसानों को नई उम्मीद दी है।
इरी सार्क ने इस वर्ष खरीफ सीजन में वाराणसी, चंदौली, जौनपुर, गाजीपुर, गोरखपुर, देवरिया, महाराजगंज और कुशीनगर जैसे आठ जिलों में 500 एकड़ से अधिक क्षेत्र में डीएसआर विधि के समूह-प्रदर्शन की योजना बनाई है।
इरी सार्क के निदेशक डा. सुधांशु सिंह बताते हैं कि खरपतवार के कारण धान की पैदावार में 20-30 प्रतिशत तक की कमी आ सकती है। इस वीडर से न केवल खरपतवार नियंत्रण आसान होगा, बल्कि पौधों को भी कोई नुकसान नहीं पहुंचेगा।
यह हल्के वजन का ट्रैक्टर न सिर्फ निराई में माहिर है, बल्कि जल्द ही इसे खाद छिड़काव के लिए भी तैयार किया जाएगा। इससे किसानों की लागत और समय की बचत होगी। यह तकनीक उन छोटे और मझोले किसानों के लिए भी वरदान है, जो संसाधनों की कमी से जूझते हैं।
यह नया वीडर धान की खेती को और लाभकारी बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है। कम लागत, कम समय और अधिक उत्पादन के साथ यह तकनीक किसानों को आत्मनिर्भर बनाने में मदद करेगी। इरी सार्क की इस पहल से पूर्वांचल के खेतों में हरियाली के साथ-साथ समृद्धि भी आएगी।
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