Varanasi-Kolkata Expressway पर पलक झपकते ही तय होगा सफर, बनेंगे 32 पुल; 6 फ्लाईओवर, प्रोजेक्ट को मिले 2998 करोड़
Varanasi-Kolkata Expressway बनारस से कोलकाता का सफर अब आसान होगा। बनारस-रांची-कोलकाता ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे का निर्माण नवंबर से शुरू होगा। एनकेएस प्रोजेक्ट प्राइवेट लिमिटेड गुड़गांव और पीएनसी इन्फ्राटेक प्राइवेट लिमिटेड आगरा को निर्माण एजेंसी नियुक्त किया गया है। दोनों कंपनियों से अनुबंध प्रक्रिया पूरी कर ली गई है। तीन जिलों के 89 गांवों में करीब 338 करोड़ रुपये से जमीन अधिग्रहण हुआ है।
By Edited By: Prince SharmaUpdated: Fri, 20 Oct 2023 06:45 AM (IST)
संग्राम सिंह, वाराणसी। बनारस से कोलकाता का सफर अब आसान होगा। बनारस-रांची-कोलकाता ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे का निर्माण नवंबर से शुरू होगा। 692 हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण पूरा हो चुका है। भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ने सर्वे रिपोर्ट को अंतिम रूप दिया है।
एनकेएस प्रोजेक्ट प्राइवेट लिमिटेड गुड़गांव और पीएनसी इन्फ्राटेक प्राइवेट लिमिटेड आगरा को निर्माण एजेंसी नियुक्त किया गया है। दोनों कंपनियों से अनुबंध प्रक्रिया पूरी कर ली गई है। निर्माण एजेंसियों को चंदौली, कैमूर और रोहतास में 90 किलोमीटर सिक्स लेन कार्य करना होगा। चार बड़े व 28 छोटे पुल बनाए जाएंगे। छह फ्लाईओवर, 44 अंडरपास व माइनर ब्रिज, छह इंटरचेंज और तीन टोल प्लाजा बनाने के लिए स्थान चिह्नित किया गया है।
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तीन पैकेज में करीब 2998 करोड़ लागत से परियोजना दो वर्ष में पूरी करनी होगी। चंदौली के रेवासा गांव से प्रोजेक्ट शुरू होगा, जो रोहतास के कोनकी गांव में खत्म होगा। बजट स्वीकृत हो चुका है। तीन जिलों के 89 गांवों में करीब 338 करोड़ रुपये से जमीन अधिग्रहण हुआ है।
चंदौली के रेवासा से शिहोरिया कैमूर तक
- 27 किलोमीटर लंबाई
- 994 करोड़ लागत
- 193 हेक्टेयर भूमि अधिग्रहित
कैमूर के शिहोरिया से शिवगांव भभुआ तक
- 27 किलोमीटर लंबाई
- 891 करोड़ लागत
- 321 हेक्टेयर भूमि अधिग्रहित
कैमूर के शिवगांव से कोनकी रोहतास तक
- 36 किलोमीटर लंबाई
- 1113 करोड़ लागत
- 178 हेक्टेयर भूमि अधिग्रहित
सौ किमी प्रति घंटा होगी वाहनों की रफ्तार
एक्सप्रेसवे उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल से गुजरेगा। कुल परियोजना 610 किलोमीटर लंबी होगी। परियोजना भारतमाला योजना का हिस्सा है। एक्सप्रेसवे पर वाहनों की औसत रफ्तार सौ किलोमीटर प्रति घंटा रहेगी। करीब छह घंटे में बनारस से कोलकाता तक दूरी तय की जा सकेगी। यह एक्सप्रेसवे पुराने राष्ट्रीय राजमार्ग दो के समानांतर बनेगा। कैमूर में पांच किलोमीटर लंबा टनल भी बनेगा। यूपी में करीब 22 किलोमीटर कार्य होगा।
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।परियोजना से होंगे कई लाभ
एक्सप्रेसवे से ट्रैफिक में कमी आएगी। अलग-अलग शहरों के बीच यात्रा का समय कम होगा, इससे उन शहरों में कनेक्टिविटी में सुधार होगा जिससे होकर यह गुजरेगा। पश्चिम बंगाल, यूपी, बिहार व झारखंड में समुद्री व्यापार के लिए कोलकाता और हल्दिया बंदरगाहों का इस्तेमाल होता है। एक्सप्रेसवे से माल की आवाजाही का समय कम होगा। इससे व्यापार को बढ़ावा मिलेगा। उद्योगों का विकास होगा और रोजगार सृजन होगा। यह भी पढ़ें- Mahakumbh 2025: चार हजार हेक्टेयर में बसेगा कुंभ मेला, प्रबंधन में ली जाएगी AI की मदद; इन सुविधाओं से होगा लैसनवंबर से काम शुरू करने जा रहे हैं। जमीन अधिग्रहण कार्य पूरा हो चुका है। परियोजना से कोलकाता तक सफर आसान हो जाएगा। कई प्रांतों से बनारस की कनेक्टिविटी मजबूत होगी। कार्यदायी एजेंसियों को प्रोजेक्ट कैसे पूरा करना है, यह समझा दिया गया है।
- आरएस यादव, परियोजना निदेशक, एनएचएआइ वाराणसी