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    यूपी के इस जिले में तेजी से फैल रहा डायरिया, दो युवतियों की मौत; क्या करें- क्या ना?... जानें सबकुछ

    वाराणसी के चिरईगांव में डायरिया से दो युवतियों की मौत हो गई। दूषित पानी पीने और समय पर इलाज न मिलने के कारण यह हादसा हुआ। कई अन्य लोग भी डायरिया से पीड़ित हैं जिनमें से कुछ की हालत गंभीर है। स्वास्थ्य विभाग की टीम गांव में दवाएं बांट रही है और लोगों को जागरूक कर रही है।

    By Shivam singh Edited By: Sakshi Gupta Updated: Sun, 24 Aug 2025 03:28 PM (IST)
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    डायरिया से दो युवतियों की मौत, सात भर्ती पीड़ितों में एक की हालत गंभीर।

    जागरण संवाददाता, वाराणसी। चिरईगांव के गिरधरपुर गांव में शनिवार को डायरिया ने दो युवतियों की जान ले ली। दोनों की उम्र 22 वर्ष है। उनकी मौत का कारण बना दूषित पेयजल जनित डायरिया और समय से इलाज न मिलना। दोनों उल्टी-दस्त से पांच दिन से पीड़ित थीं।

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    उन्हें किसी सरकारी चिकित्सा इकाई ले जाने के बजाय स्वजन गांव के झोलाछाप के यहां दौड़ लगाते रहे। डिहाइड्रेशन के चलते हालत गंभीर हुई तो डायरिया पीड़ित अंतिमा को शुक्रवार दोपहर चिरईगांव प्राथमिक स्वास्थ्य केेंद्र लाया जहां से डाक्टरों ने उसे पं. दीनदयाल अस्पताल रेफर कर दिया।

    इलाज के दौरान शनिवार को उसने दम तोड़ दिया। दूसरी डायरिया पीड़ित प्रतिमा को स्वजन पांडेयपुर स्थित डा. सुरेश यादव के यहां पहुंचे। उनके अस्पताल में भर्ती कराया। ग्राम प्रधान सुरेंद्र के अनुसार प्रतिमा ने भी इलाज के दौरान दम तोड़ दिया।

    इसके अलावा सात डायरिया पीड़ितों में एक 60 वर्षीय रमावंती की हालत गंभीर है। उसका इलाज पं. दीनदयाल उपाध्याय राजकीय अस्पताल में चल रहा है। अन्य छह में तीन का घर पर और तीन की सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र नरपतपुर में चिकित्सा की जा रही है।

    इसमें नौ वर्षीय तनु, सात वर्षीय नीता, पांच वर्षीय मानसी शामिल हैं। अधीक्षक डा. राजनाथ के अनुसार सभी डायरिया से पीड़ित हैं, स्थिति नियंत्रण में हैं। उन्होंने डायरिया का कारण पेयजल दूषित होना बताया।

    बाढ़ के बाद प्रशासनिक सुस्ती बनी जानलेवा बाढ़ के बाद पीने के पानी की जांच को लेकर जलनिगम सुस्त रहा। स्वास्थ्य विभाग की ओर से बाढ़ चौकियों पर चिकित्सा इंतजाम के दावे भले किए गए यह गोलियां बांटने से आगे नहीं बढ़ सके। आ रहे बीमारों की स्थिति-परिस्थिति का आकलन नहीं किया गया।

    इसका परिणाम यह रहा कि पीने का पानी ही जानलेवा बन गया। कोई झांकने तक नहीं आया गंभीर हालत में पं. दीनदयाल अस्पताल में भर्ती रमावंती की तीमारदार परमशीला ने बताया कि बाढ़ का पानी ‘नार’ में बढ़ा हुआ था। पानी घटने लगा तो गंदगी फैली।

    इससे हैंडपंप में पानी भी गंदा आने लगा, लेकिन कोई देखने तक नहीं आया। समय के साथ लोग पेट की बीमारियों की चपेट में आने लगे। इसने डायरिया का रूप ले लिया। गांव में पांच दिन पहले प्रतिमा बीमार हुई थी। इसके बाद चाचा की पांच लड़की मुस्कान, कुट्टन, तनु, मानसी व नीता भी बीमार हो गई। इसके बाद मेरे घर में परी भी बीमार हो गई, लेकिन दवा आदि घर पर ही चल रहा है।

    रमावंती एक्यूट गैस्ट्रो इंट्राइटिस (डायरिया) है। सीवियर डिहाइड्रेशन (हाई रिस्क) हो गया है। हैंडपंप का पानी पीने की वजह से बीमार हुई हैं। गांव के लोगों को सावधानी बरतने की जरूरत है।

    - डा. मनीष यादव, फिजीशियन, दीनदयाल अस्पताल

    डायरिया से दोनों युवतियों की मौत समय पर समुचित इलाज न मिलने के कारण हुई। स्वजन समय से अस्पताल लाते तो उनकी जान बच जाती। - डा. मनोज कुमार वर्मा, पीएचसी प्रभारी चिरईगांव।

    स्वच्छता बनाए रखें-

    खाना खाने और शौचालय उपयोग के बाद हाथों को साबुन व साफ पानी से अच्छी तरह धोएं। -फल और सब्जियों को अच्छे से धोकर उपयोग करें। - साफ और सुरक्षित पानी पिएं; यदि पानी की गुणवत्ता पर संदेह हो तो उसे उबालें या फ़िल्टर करें।

    खानपान का ध्यान रखें -

    • ताजा और अच्छी तरह पका हुआ भोजन खाएं।
    • बाहर का खाना, विशेष रूप से कच्चा या अधपका भोजन, खाने से बचें।
    • दूषित या बासी भोजन से परहेज करें।
    • डेरी उत्पादों को ठीक से स्टोर करें और उनकी ताजगी जांचें।

    पानी और पेय पदार्थ -

    • केवल बोतलबंद या शुद्ध पानी पिएं।
    • बर्फ का उपयोग करने से बचें, जब तक कि यह शुद्ध पानी से न बनी हो।

    पर्यावरणीय स्वच्छता -

    • रसोई और खाने की जगह को साफ रखें। -खाद्य पदार्थों को ढककर रखें ताकि मक्खियां या कीट न बैठें।
    •  शौचालय की नियमित सफाई करें और खुले में शौच से बचें।

    डाक्टरों की टीम ने बांटी दवाएं ग्राम प्रधान सुरेंद्र की सूचना पर स्वास्थ्य विभाग की टीम डा. संतोष कुमार के नेतृत्व में गांव पहुंची। टीम ने ग्रामीणों को क्लोरीन की गोलियां, ओआरएस पैकेट और दवाएं वितरित कीं। आशा कार्यकर्ताओं और एएनएम को दवाइयां सौंपी गईं। साथ ही ग्रामीणों को डायरिया और उल्टी-दस्त से बचाव के लिए जागरूक किया गया।