हरित ऊर्जा के प्रयोग की दुनिया को राह दिखाएगा बनारस, आइआइटी बीएचयू में जुटेंगे अनेक देशों के विज्ञानी
विश्व के पर्यावरण को और भी बेहतर बनाने के लिए हरित ऊर्जा के प्रयोग की दुनिया को बीएचयू आइआइटी राह दिखाएगा। इसके लिए वाराणसी के आइआइटी बीएचयू में जुटेंगे अनेक देशों के विज्ञानी जुटेंगे और इसपर मंथन करेंगे।
By Abhishek SharmaEdited By: Updated: Thu, 09 Jun 2022 07:02 PM (IST)
वाराणसी, जागरण संवाददाता। जीवाश्म ईंधन यानी कोयला, पेट्रोल और डीजल की बजाय हरित ऊर्जा के विकल्पों पर शोध विमर्श, उपयोग और अपनाने के विविध उपायों पर पूरी दुनिया के लिए निकलेगी बनारस से राह। जी हां, हरित ऊर्जा के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए अगले महीने आइआइटी बीएचयू में विश्वस्तरीय सम्मेलन का आयोजन होगा। इसमें केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी, पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव के अलावा देश के प्रमुख पर्यावरणविद व बड़े उद्योगपतियों के अलावा आस्ट्रेलिया, दक्षिण कोरिया, हांगकांग, सिडनी व चीन आदि कई देशों के विज्ञानी प्रतिभाग करेंगे।
आइआइटी बीएचयू के हाइड्रोजन विज्ञानी और सिरामिक इंजीनियरिंग विभाग के डा. प्रीतम सिंह ने बताया कि आगामी 23 से 25 जुलाई तक होने वाले इस वैश्विक सम्मेलन की थीम ‘बियांड फासिल्स फ्यूल : द फ्यूचर आफ अल्टरनेटिव एनर्जी टेक्नोलाजी’ है। इसमें भविष्य के ऊर्जा स्रोतों और टेक्नोलाजी जैसे पवन ऊर्जा, सौर ऊर्जा, जैव ईंधन, टाइडल एनर्जी, एनर्जी स्टोरेज साइंस एंड टेक्नोलाजी, जियो थर्मल एनर्जी, इलेक्ट्रो केमिकल एनर्जी और एनर्जी साइंस पर चर्चा होगी। उन्होंने बताया कि सम्मेलन का आयोजन लिथियम बैटरी बनाने वाले और रसायन विज्ञान में नोबल पुरस्कार विजेता जान गुडइनफ के 100वें जन्मदिन पर किया जा रहा है। डा. सिंह जान गुडइनफ के छात्र रहे हैं।
दो दर्जन से अधिक विज्ञानियों की टीम लगी तैयारी में : डा. प्रीतम सिंह ने बताया कि संस्थान के निदेशक प्रोफेसर प्रमोद कुमार जैन आयोजन समिति के प्रमुख हैं। उनके साथ दो दर्जन से अधिक विज्ञानियों की टीम इस आयोजन की तैयारी में लगी है। कार्यक्रम का संयोजक डा. प्रीतम सिंह और रसायन विज्ञान विभाग के डा. टी मैयालगन को बनाया गया है। जबकि शोध और विकास अधिष्ठाता प्रो. विकास दुबे, सिरामिक इंजीनियरिंग के अध्यक्ष प्रो. विनय कुमार सिंह समिति के चेयरमैन होंगे।
हो सकते हैं परमाणु और हाइड्रोजन एनर्जी पर समझौते : डा. सिंह बताते हैं कि इन तीन दिनों में भारत में रिन्यूएबल एनर्जी की जरूरतों और क्षमता पर बात होगी। साथ में प्रकृति के अक्षय ऊर्जा स्रोंतों जैसे, हवा, पानी और सूर्य से ज्यादा-से-ज्यादा उर्जा के दोहन और उपयोगों पर विमर्श की तकनीकों पर चर्चा होगी। इसके अलावा परमाणु और हाइड्रोजन ऊर्जा के बारे में भी चर्चा और समझौते हो सकते हैं।
अब तक इनका प्रतिभाग हो चुका है सुनिश्चित
-आस्ट्रेलिया के कर्टन यूनिवर्सिटी से प्रोफेसर जानपिंग शाओ-हांगकांग पालीटेक्निक यूनिवर्सिटी, साउथ कोरिया से प्रो. मेंग एनआइ-शैनडांग यूनिवर्सिटी से प्रो. जियांग चेंग-यूनिवर्सिटी आफ कलगेरी से प्रो. कुणाल करन-यूएनएसडब्ल्यू सिडनी से प्रो. नीरज शर्मा-आइआइएससी बंगलुरु से प्रो. अनिंदा जे भट्टाचार्या और प्रो. एन रविशंकर-आइआइएसईआर तिरुपति से प्रोफेसर विश्वमोहन के पिल्लई
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