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देश के सबसे बड़े पुलों में से एक… काशी में बन रहा रेल-रोड ब्रिज, पीएम बोले- हम कोई कसर नहीं छोड़ रहे

काशी में गंगा पर बनने वाला नया पुल और काशी रेलवे स्टेशन के पुनर्विकास की परियोजना को कैबिनेट की मंजूरी मिल गई है। इस प्रोजेक्ट से पूर्वांचल की तरक्की के नए रास्ते खुलेंगे। मालवीय ब्रिज के बनने से सड़क और रेल परिवहन मजबूत होगा जिससे बिहार झारखंड और पश्चिम बंगाल तक पहुंच आसान हो जाएगी। नए पुल पर चार रेलवे ट्रैक बनेंगे जिससे ट्रेनों की रफ्तार बढ़ेगी।

By Rakesh Srivastava Edited By: Vivek Shukla Updated: Fri, 18 Oct 2024 08:09 PM (IST)
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नए काशी रेलवे स्टेशन का प्रारूप। स्रोत रेल
जागरण संवाददाता, वाराणसी। बहुप्रतीक्षित नए गंगा ब्रिज (मालवीय पुल) और काशी रेलवे स्टेशन को पुनर्विकसित करने की परियोजना को कैबिनेट की मंजूरी मिलने के साथ ही लोग आर्थिक तरक्की के सपने देखने लगे हैं। इसलिए कि मालवीय ब्रिज सशक्त रेल और सड़क परिवहन के बीच तरक्की का सेतु बनेगा।

उत्तर प्रदेश से पश्चिम बंगाल, झारखंड, बिहार तक पहुंच आसान हो जाएगी। इसी सोच के साथ रेल प्रशासन ने मशक्कत के बाद गत 21 जून को 2642 करोड़ के अनुमानित बजट वाली परियोजना के लिए पुरातत्व विभाग से अनापत्ति प्रमाणपत्र हासिल कर फाइल कैबिनेट मंजूरी को भेजा था।

केंद्रीय कैबिनेट ने दी मंजूरी

केंद्रीय कैबिनेट ने वाराणसी और पंडित दीनदयाल उपाध्याय जंक्शन मल्टी ट्रैकिंग प्रोजेक्ट को मंजूरी दे दी है, जिसमें गंगा नदी पर एक महत्वपूर्ण रेल-रोड ब्रिज भी शामिल है। यह ब्रिज परिवहन क्षमता के लिहाज से देश के सबसे बड़े पुलों में से एक होगा और इसकी सबसे बड़ी विशेषता रेल लाइन के ऊपर छह लेन के फ्लाईओवर का निर्माण है।

केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कैबिनेट फैसलों की जानकारी देते हुए बताया कि इस पूरे प्रोजेक्ट पर 2,642 करोड़ रुपये खर्च होंगे। प्रोजेक्ट के तहत वाराणसी और दीनदयाल उपाध्याय जंक्शन के बीच तीसरी और चौथी लाइन का निर्माण भी किया जाएगा। वैष्णव ने कहा कि यह मल्टी ट्रैकिंग प्रोजेक्ट भीड़भाड़ कम करने के साथ ही परिवहन को नई धार देगा। 

कई प्रांतों में पहुंच होगी आसान

1200 करोड़ की लागत से बनने वाले पुल में पूर्वांचल की तरक्की भी छिपी है। मालवीय ब्रिज जर्जर होने के हावड़ा-नई दिल्ली रेलखंड से पूर्वांचल का हिस्सा मजबूती से जुड़ नहीं पाता था। नए ब्रिज पर चार रेल ट्रैक यात्री ट्रेनों संग मालगाड़ियां भी साथ-साथ दौड़ेंगी।

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वाराणसी से पश्चिम बंगाल, झारखंड, बिहार को जोड़ने के लिए नई ट्रेनें चलाई जा सकेंगी। इससे न सिर्फ सफर आसान होगा, बल्कि माल ढुलाई में तेजी आने से कारोबारियों का रुझान बढ़ेगा।

राजघाट पर बनने के लिए प्रस्तावित मालवीय पुल।- स्रोत रेल


आधा घंटे में पहुंचेंगी डीडीयू से वाराणसी ट्रेनें

जर्जर पुल पर ट्रेनें 25 से 30 की गति से गुजरती हैं, जिनकी नए ब्रिज पर रफ्तार 112 किमी प्रति घंटा की होगी। ऐसे में औसतन एक घंटे में डीडीयू से वाराणसी पहुंचने वाली ट्रेनें 30 मिनट में पहुंचेंगी। नए ब्रिज पर दो की बजाए चार रेलवे ट्रैक बनेंगे, जो व्यासनगर तक बिछाए जाएंगे, जिससे मालगाड़ियाें की भी रफ्तार बढ़ेगी और कारोबार बढ़ेगा।

डेढ़ दशक तक लुटते रहे अब 20 रुपये में निबटेगा काम

चंदौली से वाराणसी पहुंचने के लिए मालवीय पुलिस की इकलौता रास्ता है। इसके जर्जर हाेने से डेढ़ दशक पूर्व बड़े वाहनों की आवाजाही बंद थी। छोटे वाहन 15 किमी. पहुंचाने के लिए 50 रुपये वसूलते हैं, जो बसों का परिचालन शुरू होने पर 20 रुपये में सिमट जाएगा। अनुमानत: 50 हजार लोगों की रोजाना आवाजाही होती है। अभी बसें पड़ाव तक ही आ पाती हैं।

नये मालवीय पुल की खूबियां

  • 1074 मीटर कुल लंबाई।
  • 08 पिलर।
  • 112 किमी. ट्रेनों की रफ्तार।
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अब काशी रेलवे स्टेशन का निर्माण पकड़ेगा रफ्तार

वर्ष 2050 की जरूरतों के दृष्टिगत बनने वाला अंडर ग्राउंड काशी रेलवे स्टेशन का निर्माण गति पकड़ेगा। गंगा ब्रिज को कैबिनेट की मंजूरी न मिलने के कारण निर्माण कार्य शुरू नहीं हो पा रहा था। दरअसल, नया गंगा ब्रिज और काशी रेलवे स्टेशन एक-दूसरे से इंटरकनेक्टेड है।

रेलवे बोर्ड ने काशी स्टेशन की जो डिजाइन मंजूर की है, उस मुताबिक यात्रियों की पहुंच बढ़ाने को इसे राष्ट्रीय राजमार्ग 44 से जोड़ने, दो एंट्री प्वाइंट, अंडर ग्राउंड चार प्लेटफार्म, प्रथम तल पर यात्रियों के ठहरने, टिकट काउंटर, फूड प्लाजा, रिटायरिंग रूम आदि व्यवस्थाएं की जाएंगी।

सुविधाएं बढ़ीं तो यहीं से लोग ट्रेन पकड़ेंगे, जिससे नई ट्रेनें चलाई जा सकेंगी। वर्तमान में औसतन ट्रैफिक 3000 यात्रियों की है। जबकि नए काशी स्टेशन पर 10 हजार लोगों के बैठने की व्यवस्था संग 11 सौ मीटर का प्रथम तल होगा।

जानिए कब क्या हुआ

  • मई 2023 में काशी रेलवे स्टेशन के डिजाइन को मंजूरी मिली।
  • जुलाई 2023 में गंगा ब्रिज पर छह लेन की सड़क और चार रेलवे ट्रैक की डिजाइन मंजूर हुई।
  • मार्च 2024 में आइआइटी रुड़की और बीएचयू के इंजीनियरों ने सुरक्षा एनओसी दी।
  • जून 2024 में पुरातत्व विभाग ने परियोजना को अनापत्ति प्रमाणपत्र दिया।
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