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Venus Mission: बनारस की धरती से ब्रह्मांड नापने की तैयारी, शुक्र अभियान में जुटे BHU के वैज्ञानिक; मैपिंग शुरू

Venus Mission India 2024 प्रोफेसर श्रीवास्तव ने बताया कि वे लोग शुक्र के धरातल के जिस हिस्से का अध्ययन कर रहे हैं वहां लगभग ज्वालामुखी के 15 हॉटस्पाट चिह्नित किए गए हैं जहां काफी संख्या में ज्वालामुखी केंद्र हैं। सभी केंद्रों का तुलनात्मक अध्ययन किया जा रहा है फिलहाल वहां कोई सक्रिय ज्वालामुखी नहीं मिला है लेकिन पूर्व में सक्रियता के कारण लावा बहने से धरातल काफी उबड़-खाबड़ है।

By Jagran NewsEdited By: Narender SanwariyaUpdated: Fri, 25 Aug 2023 07:00 AM (IST)
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बनारस की धरती से ब्रह्मांड नापने की तैयारी, शुक्र अभियान में जुटे BHU के वैज्ञानिक; मैपिंग शुरू
Venus Mission India 2024: वाराणसी, जागरण संवाददाता। चंद्रयान-3 (Chandrayaan 3) की सफलता के बाद प्रधानमंत्री ने शुक्र व सूर्य अभियान को भी शीघ्र आरंभ करने का संकल्प व्यक्त किया है। इधर काशी हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) में ब्रह्मांड नापने की कोशिशें पहले से ही आरंभ हो गई हैं। विज्ञानियों की टीम शुक्र अभियान की नींव तैयार कर रही है। विज्ञानी सौरमंडल (Solar System) के इस सबसे चमकीले ग्रह की सतह का अध्ययन कर उसकी मैपिंग करने में जुटे हैं। यह टीम मिशन वीनस की तैयारी में लगे अंतरराष्ट्रीय शुक्र शोध समूह (IVRG) के हिस्से के रूप में कार्य कर रही है। इसमें अमेरिका, कनाडा, मोरक्को, रूस और भारत शामिल है। इसका नेतृत्व रूस के टाम्स्क स्टेट यूनिवर्सिटी के डॉ रिचर्ड अन्स्र्ट और सह-नेतृत्व कार्लटन यूनिवर्सिटी, कनाडा के डॉ हाफिदा एल बिलाली तथा ब्राउन यूनिवर्सिटी, अमेरिका के डॉ जेम्स हेड कर रहे हैं। भारत में यह जिम्मेदारी केवल बीएचयू को मिली है।

भारत के बराबर क्षेत्रफल की भूमि का करेंगे अध्ययन

इसरो के मिशन चंद्रयान 3 (Chandrayaan 3 Latest Updates) की सफल लैंडिंग के बाद बीएचयू की टीम को भारत के क्षेत्रफल के बराबर की शुक्र की धरती के मैंपिंग व अध्ययन की जिम्मेदारी मिली है। शुक्र का यह हिस्सा नेहालेनिया व बेलेटलेस कोरोना के नाम से जाना जाता है। यह हिस्सा शुक्र की धरती के पांच अक्षांश से 14 अक्षांश व 10.9 देशांतर से 19.9 देशांतर के बीच स्थित है। विश्वविद्यालय के भू-विज्ञानी प्रोफेसर राजेश श्रीवास्तव के निर्देशन में सहायक प्रोफेसर डॉ अमिय कुमार सामल, पीएचडी की दो छात्राएं ट्विंकल चड्ढा व हर्षिता सिंह भी शुक्र पर शोध करने वाले अंतरराष्ट्रीय विज्ञानियों की टीम का हिस्सा बन कार्य में जुटी हैं।

शुक्र ग्रह पर किन चीजों का अध्ययन

पिछले दिनों इस टीम में आइआइटी भुवनेश्वर की शोध छात्रा आस्था मिश्रा भी यहां आकर शामिल हो गई हैं। मैग्मेटिक इकाइयों का कर रहे अध्ययन: भू-विज्ञानी प्रोफेसर राजेश श्रीवास्तव ने बताया कि बीएचयू की शोध टीम शुक्र ग्रह पर ज्वालामुखी प्रवाह, डाइक और विवर्तनिक इकाइयों में प्रमुख दरार क्षेत्र का अध्ययन कर रही है। इससे शुक्र ग्रह पर दर्ज ज्वालामुखीय गतिविधियों की पहचान में मदद मिलेगी।

शुक्र ग्रह का आकार और संरचना

शोध के दौरान मेंटल प्लूम (पृथ्वी के अंदर उष्मा के गहन संकेंद्रण द्वारा उत्पन्न गतिविधि, जिससे अत्यधिक बल के साथ लावा ऊपर बढ़ता है) के साथ इन इकाइयों का संबंध और शुक्र ग्रह की जलवायु पर ज्वालामुखी गतिविधि के प्रभाव का आकलन भी किया जा रहा है। बताया कि शुक्र ग्रह आकार और आंतरिक संरचना में पृथ्वी की तरह है, लेकिन इनमें अंतर भी हैं।

शुक्र ग्रह का धरातल कैसा है

प्रोफेसर श्रीवास्तव ने बताया कि वे लोग शुक्र के धरातल के जिस हिस्से का अध्ययन कर रहे हैं, वहां लगभग ज्वालामुखी के 15 हॉटस्पाट चिह्नित किए गए हैं, जहां काफी संख्या में ज्वालामुखी केंद्र हैं। सभी केंद्रों का तुलनात्मक अध्ययन किया जा रहा है, फिलहाल वहां कोई सक्रिय ज्वालामुखी नहीं मिला है लेकिन पूर्व में सक्रियता के कारण लावा बहने से धरातल काफी उबड़-खाबड़ है। इनकी वजह से पर्वत, घाटियों व रिफ्टिंग (ज्वालामुखी के कारण भूगर्भ की प्लेटों की टूटन) की संख्या बहुतायत में है। अन्य क्षेत्रों में शोधकर्ताओं को सक्रिय ज्वालामुखी भी मिले हैं।

भविष्य के शोध का बनेगा आधार

प्रोफेसर श्रीवास्तव बताते हैं कि शुक्र ग्रह की सतह का बीएचयू के विज्ञानियों द्वारा शोध-अध्ययन, आने वाले वर्षों में शुक्र की खोज के लिए चलाए जाने वाले नासा के वेरिटास और डावसी, यूरोप के एन विजन, रूस के वेनेरा-डी और भारत के शुक्रयान-एक अभियानों लिए महत्वपूर्ण साबित होगा। इससे तय वैज्ञानिक लक्ष्यों को हासिल करने की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान मिल सकता है। उन्होंने बताया कि भारत भी 2025 तक अभियान शुक्रयान-एक आरंभ कर सकता है।

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