पर्यावरण संरक्षण : वट वृक्ष लगा जिंदगी को दीजिये प्राण वायु, हिंदू धर्म में पेड़-पौधों में देवताओं का वास
हिंदू धर्म में पेड़-पौधों में देवताओं का वास माना जाता है। इसलिए इन वृक्षों की पूजा भी की जाती है। वट सावित्री व्रत हर साल ज्येष्ठ माह की अमावस्या पर पड़ता है। महिलाएं वट सावित्री व्रत का इंतजार करती हैं। इस व्रत का हिन्दू धर्म में विशेष महत्व है।
By Abhishek SharmaEdited By: Updated: Sun, 06 Jun 2021 09:44 AM (IST)
बलिया, जेएनएन। हिंदू धर्म में पेड़-पौधों में देवताओं का वास माना जाता है। इसलिए इन वृक्षों की पूजा भी की जाती है। वट सावित्री व्रत हर साल ज्येष्ठ माह की अमावस्या पर पड़ता है। महिलाएं वट सावित्री व्रत का इंतजार करती हैं। इस व्रत का हिन्दू धर्म में विशेष महत्व है। यह व्रत पति की दीर्घायु और संतान के उज्ज्वल भविष्य के लिए रखा जाता है। यह पर्व 10 जून को मनाया जाएगा। कोविड-19 की दूसरी लहर में लोगों को जब आक्सीजन की दिक्कत हुई तो ऐसे पेड़ याद आ गए। समाज के प्रबुद्ध वर्ग ने भी बरगद का पेड़ लगाने व प्रोत्साहित करने का संकल्प लिया। पेश है सुधीर तिवारी की रिपोर्ट...।
वट वृक्ष की तरह हर किसी की जिंदगी में छाया आए। इससे इसके महत्व को समझना होगा। सबसे अधिक आक्सीजन देने वाला यह पेड़ है। इसमें भगवान विष्णु का वास होता है। हम सभी के धर्म में इस पेड़ का काफी महत्व व उपयोग है। हर किसी को इसे लगाना चाहिए। - प्रो. कल्पलता पांडेय, कुलपति, चंद्रशेखर विश्वविद्यालय, बलिया
बरगद, पाकड़, पीपल व नीम का पौधा सभी को लगाना चाहिए। इसकी सलाह हम मरीजों को भी देते हैं। ऐसे पेड़ों में देवताओं का वास होता है। वहीं वातावरण को काफी हद तक शुद्ध रखते है। इस सावित्री वट पूजा पर एक पेड़ लगाने का संकल्प लेती हूं। -डा. तोषिका सिंह, फिजीशियन, जिला अस्पताल।
सनातन धर्म में वट वृक्ष का बहुत महत्व है। इसे देवतुल्य माना गया है। इसके वृक्ष की कमी के कारण ही आक्सीजन की कमी आई है। छात्रों व अभिभावकों को इसे अधिक से अधिक लगवाने के लिए प्रेरित किया जाएगा। 10 जून को मैं खुद एक बरगद का पौधा लगाऊंगीं। -शिल्पा शर्मा, प्रभारी प्रधानाध्यापक, राजकीय बलिका इंटर कालेज।
वट वृक्ष की धार्मिक मान्यता है। इसका जिक्र पुराणों में भी हुआ है। आक्सीजन युक्त होने के साथ ही वायु प्रदूषण को कम करता है। इसे सड़कों के किनारे लगाने के लिए अपने विभाग की तरफ से पहल करूंगी। पीपल, पाकड़, व बरगद के पौधों को लगाने के लिए अपने कर्मचारियों काे भी प्रेरित करूंगी। -ममता सिंह, वरिष्ठ कोषाधिकारी।
सनातन धर्म में प्रकृति को ईश्वर माना गया है। बरगद के वृक्ष की आस्था इतनी अधिक है कि सुहागिनों के पर्व वट सावित्री व्रत का नाम रखा गया। वट सावित्री व्रत के दिन सुहागिन स्त्रियों के अलावा कुंवारी लड़कियां भी व्रत रखकर वट वृक्ष की पूजा करती हैं। इसकी छाल में विष्णु, जड़ों में ब्रह्मा और शाखाओं में शिव विराजते हैं। -आचार्य भरत पाण्डेय, रतसर।
वट वृक्ष को घोषित करें हेरिटेज वृक्षवट वृक्ष एक विशेष औषधीय वृक्ष है। यह भारत का राष्ट्रीय वृक्ष है। इसकी आयु बहुत अधिक होती है और शाखायें एवं एवं जटाएं स्वतंत्र वृक्ष का रूप लेती जाती हैं। आज आवश्यकता इस बात की है कि 100 वर्ष से अधिक पुराने वट वृक्ष कै हेरिटेज वृक्ष घोषित कर उनको संरक्षण प्रदान किया जाय। -डा. गणेश पाठक, पर्यावरणविद्।
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।