क्या होती है GPR तकनीक? ASI ने प्राप्त की सैकड़ों वस्तुओं की आभासी छवियां; पढ़ें ज्ञानवापी केस में अब तक क्या-क्या हुआ
Gyanvapi Case भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) ने जिला अदालत के आदेश पर ज्ञानवापी का वैज्ञानिक सर्वेक्षण किया ताकि निर्धारित किया जा सके कि मस्जिद का निर्माण मंदिर की पहले से मौजूद संरचना पर किया गया था या नहीं। मंदिर पक्ष का दावा है कि 17वीं शताब्दी की मस्जिद का निर्माण पहले से मौजूद मंदिर के ऊपर किया गया है। सर्वे पिछले वर्ष चार अगस्त से दो नवंबर तक लगातार चला।
विधि संवाददाता, वाराणसी। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) ने जिला अदालत के आदेश पर ज्ञानवापी का वैज्ञानिक सर्वेक्षण किया ताकि निर्धारित किया जा सके कि मस्जिद का निर्माण मंदिर की पहले से मौजूद संरचना पर किया गया था या नहीं। मंदिर पक्ष का दावा है कि 17वीं शताब्दी की मस्जिद का निर्माण पहले से मौजूद मंदिर के ऊपर किया गया है।
सर्वे पिछले वर्ष चार अगस्त से दो नवंबर तक लगातार चला। इस अवधि में ज्ञानवापी परिसर में वैज्ञानिक विधि से जांच-सर्वे किया गया इसमें पुराविद्, रसायनशास्त्री, भाषा विशेषज्ञ, सर्वेयर, फोटोग्राफर समेत तकनीकी विशेषज्ञों की टीम ने जांच की।
38 दिनों में तैयार की गई रिपोर्ट
परिसर की बाहरी दीवारों (खास तौर पर पश्चिमी दीवार), शीर्ष, मीनार, तहखानों में परंपरागत तरीके से और ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (जीपीएस), ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार (जीपीआर) समेत अन्य अत्याधुनिक मशीनों के जरिए साक्ष्यों को जांचा गया। सर्वे दो नवंबर पूरा हो गया और इसके 38 दिनों में रिपोर्ट तैयार की गई।रिपोर्ट तैयार करने में सर्वाधिक समय जीपीआर से मिली जानकारी का अध्ययन करने में लगा। ज्ञानवापी परिसर में जीपीआर के उपयोग से मिले आंकड़ों का अध्ययन काउंसिल आफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च-नेशनल जियोफिजिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीएसआइआर-एनजीआरआइ) की टीम ने किया। सर्वे के दौरान विशेषज्ञों के दल ने ज्ञानवापी में जीपीआर के जरिए सैकड़ों वस्तुओं की आभासी छवि प्राप्त की थी। इनका सटीक अध्ययन करके विशेषज्ञों के विचार-विमर्श के बाद वास्तविक छवि तैयारी करने में बहुत सतर्कता बरती है।
यह है जीपीआर
जीपीआर का उपयोग धरती के नीचे मौजूद आकृतियों का पता लगाने के लिए किया जाता है। इसके लिए विद्युत चुबंकीय विकिरण का उपयोग किया जाता है। जीपीआर का उपयोग चट्टान, मिट्टी, बर्फ, ताजा पानी सहित विभिन्न प्रकार के माध्यमों में किया जा सकता है। आधुनिक मशीन जमीन के नीचे 15 मीटर (49 फीट) गहराई तक झांक सकती है।कब क्या हुआ
-18 अप्रैल 2021 को लक्ष्मी देवी, सीता साहू, मंजू व्यास और रेखा पाठक ने मां शृंगार गौरी समेत दृश्य, अदृश्य देवी-देवताओं की दैनिक पूजा-अर्चना करने की अनुमति मांगी।
-26 अप्रैल 2022 को सिविल जज (सीनियर डिवीजन) रवि कुमार दिवाकर ने ज्ञानवापी परिसर में एडवोकेट कमिश्नर की कार्यवाही का आदेश दिया।
-21 जुलाई 2023 को शृंगार गौरी मुकदमे में ही जिला जज डा. अजय कृष्ण विश्वेश ने सील वुजूखाने को छोड़कर पूरे ज्ञानवापी परिसर में एएसआइ सर्वे का आदेश दिया।
- 4 अगस्त से 2 नवंबर 2023 तक ज्ञानवापी परिसर में वैज्ञानिक विधि से सर्वे हुआ।
-18 दिसंबर 2023 को एएसआइ ने सर्वे रिपोर्ट जिला अदालत को सौंपी।
-3 जनवरी 2024 को एएसआइ ने प्रार्थना पत्र देकर सिविल जज सीनियर डिविजन फास्ट ट्रैक कोर्ट में रिपोर्ट दाखिल करने से पहले इसे सार्वजनिक नहीं करने की मांग की थी, जिसे अदालत ने स्वीकार कर लिया था।
-24 जनवरी 2024 को जिला जज की अदालत ने मंदिर और मस्जिद पक्ष को रिपोर्ट सौंपने का आदेश दिया।
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