Maha Shivratri 2024: आठ मार्च को है महाशिवरात्रि, जानें पूजा करने की सही विधि; शिव योग में सफल होते हैं ये कार्य
शिवरात्रि का पर्व भगवान् शिव के दिव्य अवतरण का मंगलसूचक है। उनके निराकार से साकार रूप में अवतरण की रात्रि ही महाशिवरात्रि कहलाती है। वे हमें काम क्रोध लोभ मोह मत्सरादि विकारों से मुक्त करके परम सुख शान्ति ऐश्वर्यादि प्रदान करते हैं। यह महाशिवरात्रि का व्रत व्रतराज के नाम से विख्यात है। यह शिवरात्रि यमराज के शासन को मिटाने वाली है और शिवलोक को देने वाली है।
फाल्गुनकृष्णचतुर्दश्यामादिदेवो महानिशि ।
शिवलिङ्गतयोद्भूतः कोटिसूर्यसमप्रभ।।
ईशान संहिता के इस वाक्य के अनुसार ज्योतिर्लिंग का प्रादुर्भाव होने से यह पर्व महाशिवरात्रि के नाम से विख्यात है। इस व्रत को सभी कर सकते हैं। इसे न करने से दोष भी लगता है। अतः सभी शिव भक्तों के इसे अवश्य करना चाहिए।शिवरात्रि का पर्व भगवान् शिव के दिव्य अवतरण का मंगलसूचक है। उनके निराकार से साकार रूप में अवतरण की रात्रि ही महाशिवरात्रि कहलाती है। वे हमें काम, क्रोध, लोभ, मोह, मत्सरादि विकारों से मुक्त करके परम सुख, शान्ति ऐश्वर्यादि प्रदान करते हैं।
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यह महाशिवरात्रि का व्रत ''व्रतराज'' के नाम से विख्यात है। यह शिवरात्रि यमराज के शासन को मिटाने वाली है और शिवलोक को देने वाली है। शास्त्रोक्त विधि से जो इसका जागरण सहित उपवास करेंगे उन्हे मोक्ष की प्राप्ति होगी। शिवरात्रि के समान पाप और भय मिटाने वाला दूसरा व्रत नही है। इसके करने मात्र से सब पापों का क्षय हो जाता है। इस वर्ष शिवरात्रि में शिव योग का संयोग भी प्राप्त हो रहा है को प्राणी मात्र के लिए कल्याण कारक है। यह सफलतादायक योग होता है। शिव का अर्थ वेद होता है। कहा भी गया है ''वेद: शिव: शिवो वेद:'' वेद शिव हैं और शिव वेद हैं अर्थात् शिव वेदस्वरूप हैं। अस्तु