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वाराणसी के मलदहिया चौराहे पर जब गरजे तत्कालीन यूपी के मुख्यमंत्री कल्याण सिंह, तालियों की आवाज से सहम गए माफिया

यूपी में कल्याण सिंह की सरकार का ही असर था कि प्रदेश के कई शातिर माफिया डाकू चोर गिरहकट उप्र छोड़ कर चले गए थे। मुख्तार अंसारी व राजा भैया जैसे बाहुबली पर शिकंजा कस गया था। विपक्ष की घेरेबंदी के बीच मानवाधिकार के तहत भी सवाल उठने लगे थे।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Updated: Sat, 21 Aug 2021 09:58 PM (IST)
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मुख्यमंत्री कल्याण सिंह की बनारस के मलदहिया चौराहे पर अहम सभा हुई थी।
जागरण संवाददाता, वाराणसी। प्रदेश में कल्याण सिंह की सरकार का ही असर था कि प्रदेश के कई शातिर माफिया, डाकू, चोर, गिरहकट उप्र छोड़ कर चले गए थे। गुंडों का सिर मुंडवा दो..., मुंह काला कर गधे पर बैठाकर जुलूस निकालो..., के नारे लगते थे। यह उनकी ही सरकार थी जब इनकाउंटर पर इनकाउंटर हो रहे थे। अपराधियों पर इस कदर शिकंजा कस गया था कि वे प्रदेश छोड़ कर अन्यत्र शरण ले लिए थे।

विधायक मुख्तार अंसारी व राजा भैया जैसे बाहुबली पर शिकंजा कस गया था। विपक्ष की घेरेबंदी के बीच मानवाधिकार के तहत भी सवाल उठने लगे थे तो मुख्यमंत्री कल्याण सिंह की बनारस के मलदहिया चौराहे पर अहम सभा हुई थी। इसमें कल्याण सिंह ने एक बारगी फिर माफियाओं को ललकारते हुए पुलिस अफसरों से कहा कि मानवाधिकार के सवालों से घबराने की जरूरत नहीं है। माफिया है तो उसे गोली मारो। हां, यह जरूर है कि सीने में नहीं बल्कि कमर के नीचे मारो। इसके बाद तो सभा में मौजूद बनारस की जनता ने उनका तालियों की गडग़ड़ाहट के साथ स्वागत किया। इस तालियों की गूंज ऐसी रही कि दूर बैठे माफिया भी सहम गए और जनसभा ने पुलिस अफसरों के गिरते हौसले को बढ़ाने का काम किया।

जब प्रदेश में कल्याण सिंह की सरकार बनी थी तो सड़क से लेकर शिक्षा तक में माफियाओं का ही राज था। शपथ लेने के साथ ही मुख्यमंत्री कल्याण सिंह ने माफिया राज खत्म करने की घोषणा की। कुंड के राजा भैया व मऊ के मुख्तार अंसारी का आपराधिक नेटवर्क खत्म करने में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

...तो पास हुए 25 फीसद छात्र

वह कल्याण सिंह की मुख्यमंत्री थे जब प्रदेश में नकल अध्यादेश लागू किया गया जो अब भी कायम है। अध्यादेश के तहत शिक्षा में नकल मारना संज्ञेय अपराध है। शिक्षा व आध्यात्म की नगरी काशी ने इस अध्यादेश का खुलकर स्वागत किया। हालात ऐसे हुए कि कई छात्रों को जेल तक जाना पड़ा। हालांकि, पूर्वांचल के कई ऐसे जिले भी थे जो सपा के प्रभाव वाले रहे और वहां पर जमकर विरोध भी हुआ। अध्यादेश की ही असर हुआ कि जहां यूपी बोर्ड में परीक्षाओं का परिणाम 85 फीसद रहता था वह घटकर महज 25 फीसद हो गया। अब भी वे छात्र दंभ भरते मिल जाते हैं कि उन्होंने कल्याण की सरकार में यूपी बोर्ड की परीक्षाएं पास की हैं।

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