UP Lok Sabha Election 2024: चुनावी मोर्चे पर डटी सियासी 'शक्ति', इन दोनों लोकसभा सीट पर महिलाएं देती हैं कड़ी टक्कर
UP Lok Sabha Election 2024 मीरजापुर और लालगंज सीट में महिलाएं कड़ी टक्कर देतीं दिख रही हैं। मीरजापुर में सपा से फूलन देवी दो बार संसद में पहुंची थीं। उनके बाद अपना दल की अनुप्रिया पटेल ही दो बार सांसद बनी हैं। वह 2014 और 2019 के चुनाव में दो लाख से अधिक वोटों से पुरुष उम्मीदवारों को शिकस्त दे चुकी हैं।
संग्राम सिंह, जागरण, वाराणसी। सियासत के सूरमा पूर्वांचल की चुनावी गर्मी बढ़ा चुके हैं। ‘आधी आबादी’ भी दृढ़ता से मोर्चे पर डटीं है, लेकिन उनकी राजनीतिक हिस्सेदारी इस बार बहुत कम है जबकि महिला आरक्षण बिल संसद में पास हो चुका है। उसे लागू होने में अभी कुछ साल लगेंगे लेकिन मतदाता सूची में महिला वोटरों की संख्या लगातार बढ़ रही है।
इसके बाद भी दलों ने महिलाओं को टिकट देने में कंजूसी बरती है। 10 जिलों में 13 लोकसभा सीटों पर प्रमुख दलों ने 45 से अधिक प्रत्याशी मैदान में उतारे हैं लेकिन महिला प्रत्याशी सिर्फ चार ही हैं, इसमें दो प्रत्याशी राजनीतिक घराने से ताल्लुक रखती हैं। जाहिर है कि इस बार भी दलों ने गैर राजनीतिक पृष्ठभूमि की ‘शक्ति’ को कम आंका है।
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मीरजापुर और लालगंज सीट में महिलाएं कड़ी टक्कर देतीं दिख रही हैं। मीरजापुर में सपा से फूलन देवी दो बार संसद में पहुंची थीं। उनके बाद अपना दल की अनुप्रिया पटेल ही दो बार सांसद बनी हैं। वह 2014 और 2019 के चुनाव में दो लाख से अधिक वोटों से पुरुष उम्मीदवारों को शिकस्त दे चुकी हैं।
इस चुनाव में वह जीत की ‘तिकड़ी’ लगाने की तैयारी में हैं। उन्होंने अपना दल एस की राष्ट्रीय अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री के रूप में राष्ट्रीय स्तर की राजनीति में पहचान बनाई है। वह पिता डा. सोनेलाल पटेल की विरासत को संभाल रही हैं। मां कृष्णा पटेल अलग हैं।
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मां के साथ दूसरी बेटी सिराथू से विधायक पल्लवी पटेल हैं। मां-बहन अलग पार्टी अपना दल कमेरावादी की संस्थापक हैं। वर्ष 2012 में अनुप्रिया रोहनिया से विधायक रह चुकी हैं।उनके पति आशीष पटेल प्रदेश में तकनीकी शिक्षा मंत्री हैं। लालगंज सीट पर वर्ष 2009 तक पुरुषों का ही दखल था, लेकिन 2014 में पहली बार भाजपा से नीलम सोनकर को संसद में भागीदारी का मौका मिला।2019 के चुनाव में उन्हें बसपा की संगीता आजाद के हाथों करारी शिकस्त मिली थी। इस बार नीलम फिर भगवा का परचम लहराने के लिए दमखम लगा रहीं हैं। बदली राजनीतिक परिदृश्य के बीच संगीता उनके साथ खड़ी हैं। नीलम 2005 से राजनीति में सक्रिय हैं। इस सीट पर बसपा की डा. इंदू चौधरी लड़ाई को रोचक बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ रही हैं।
भले ही वह किसी सियासी घराने से ताल्लुक नहीं रखतीं लेकिन उनका जनता से सीधा जुड़ाव रहा है। जौनपुर सीट पर बसपा की श्रीकला सिंह रेड्डी लड़ाई को त्रिकोणीय बना चुकी थीं, लेकिन अंतिम क्षण में बसपा ने उनका टिकट काट दिया है। बसपा के प्रत्याशी बदलने से सियासी माहौल बदल गया है।जौनपुर से प्रत्याशी श्रीकला जिला पंचायत अध्यक्ष हैं। वह धनंजय सिंह की पत्नी हैं। वह चुनाव लड़ेंगी या नहीं, इस पर अंतिम निर्णय होना बाकी है। भाजपा के कृपाशंकर सिंह और सपा के बाबू सिंह कुशवाहा मुकाबले में हैं। वैसे आजादी के बाद से अब तक इस सीट पर किसी महिला को संसद तक पहुंचने का अवसर नहीं मिला है।
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