World Honey Bee Day : आफिस पर लगा ताला तो मधुमक्खियों ने दिया निवाला, पांच माह की मेहनत से बेहतर कमाई
अनुदान पर मधुमक्खी पालन का रोजगार शुरू करने का दो माध्यम है। यदि आप खादी और ग्रामोद्योग आयोग से जुड़कर रोजगार शुरू करते हैं तो खादी हर वर्ष बजट के अनुसार पहले आओ पहले पाओ के आधार पर प्रशिक्षण देता है।
वाराणसी [सौरभ चंद्र पांडेय]। काम कोई भी छोटा नहीं होता है। यदि लगन-मगन से किया जाए तो उससे भी नाम और पहचान बनाई जा सकती है। कोरोना ने जब ट्रैवेल एजेंसी के आफिस पर ताला लटका दिया तो शिवपुर के नारायणपुर निवासी प्रवीण सिंह को मधुमक्खियों ने निवाला देकर गृहस्थी की गाड़ी को चालू रखा है। दो वर्ष पहले शहर के ट्रैवेल कारोबार में प्रवीण की गिनती बड़े टूर ऑपरेटरों में होती थी।
कोरोना महामारी ने जैसे ही देश में अपना जाल बिछाया तब सरकार ने अंतरराष्ट्रीय विमानों पर रोक लगा दिया। प्रवीण को उस समय जरा भी एहसास नहीं हुआ कि उनके कारोबार की गाड़ी बेपटरी हो गयी है। देखते ही देखते तीन माह में 12 में से चार गाड़ी बेचनी पड़ गयी। इधर बढ़ते महामारी के कारण स्टाफ के खर्चों का भार भी बढ़ रहा था। पूरा जीवन तनावग्रस्त हो गया था। इस विषम परिस्थिति में पत्नी प्रियंका सिंह ने पति के मानसिक स्थिति को भांपते हुए कोई दूसरा रोजगार शुरू करने का सलाह दिया। अब समस्या यह थी कि रोजगार ऐसा हो जो हमें आत्मनिर्भर बना दे और महामारी जैसी विकट स्थिति में भी गृहस्थी की गाड़ी को चालू रखे। यह दिवस आधुनिक मधुमक्खी पालन के जनक एंटोन जनसा के जन्म दिवस पर मनाया जाता है।
पिता ने दिया मार्गदर्शन तो मिला नया रास्ता
प्रियंका ने पति की स्थिति को अपने ससुर उदय नारायण सिंह (पूर्व विभागाध्यक्ष कृषि संकाय उदय प्रताप कॉलेज) के समक्ष रखा। काफी सोच विचार के बाद उन्होंने बहु और बेटे को मधुमक्खी पालन करने का सलाह दिया। उन्होंने बताया कि बिल्कुल कम खर्चे में इस व्यवसाय से लाखों रूपये कमाए जा सकते हैं
खादी ने बना दिया आत्मनिर्भर
पिता के मशविरे पर प्रवीण ने इस पर अध्ययन करना शुरू किया। फिर उन्होंने रोजगार के लिए खादी और ग्रामोद्योग आयोग में संपर्क किया। वहां से उन्होंने एक सप्ताह का प्रशिक्षण प्राप्त किया। उसके बाद खादी से ही अनुदान पर 10 मधुमक्खियों का बॉक्स खरीदकर रोजगार शुरू किया।
कम लागत में पांच माह में कमाए एक लाख रुपये
प्रवीण ने बताया कि गत जुलाई माह में खादी से प्रशिक्षण लेकर रोजगार शुरू किया। नवंबर से मार्च के बीच लगभग चार क्विंटल शहद का उत्पादन हुआ जिससे लगभग एक लाख रुपये की आय हुई। इस 10 मधुमक्खियों के बॉक्स से उन्होंने अब तक 40 बॉक्स तैयार कर लिया है। जिसे वह हरहुआ क्षेत्र के कुछ किसानों को वितरित कर दिए हैं।
इस तरह शुरू कर सकते हैं रोजगार
अनुदान पर मधुमक्खी पालन का रोजगार शुरू करने का दो माध्यम है। यदि आप खादी और ग्रामोद्योग आयोग से जुड़कर रोजगार शुरू करते हैं तो खादी हर वर्ष बजट के अनुसार पहले आओ पहले पाओ के आधार पर प्रशिक्षण देता है। खादी और ग्रामोद्योग आयोग के निदेशक डीएस भाटी के अनुसार प्रशिक्षण के बाद सामान्य और पिछड़ी जाति के लाभार्थियों को मधुमक्खी बॉक्स खरीदने पर लागत का 80 फीसद और एससी-एसटी वर्ग के लाभार्थियों को 90 फीसद अनुदान देकर रोजगार करने में सहायता करता है। वहीं जिला उद्यान अधिकारी संदीप गुप्ता के अनुसार विभाग में इस रोजगार के लिए पंजीकरण कराने पर लाभार्थी को 40 फीसद का अनुदान प्राप्त होता है।
कोरोना महामारी में शहद का लाभ
चौकाघाट स्थित राजकीय आयुर्वेद कॉलेज के वैद्य अजय गुप्ता के अनुसार शहद में कई ऐसे मिनरल और विटामिन होते हैं जो शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं। यह मिनरल और विटामिन मधुमक्खियों को फलों और फूलों के नेक्टर (रस) से प्राप्त होता है। इसके साथ ही यदि आयुर्वेदिक दवाओं का सेवन शहद के साथ किया जाता है तो दवा की पोटेंशी में वृद्धि हो जाती है।
बेहद कम पूंजी में शुरू किया जा सकता है मधुमक्खी पालन का रोजगार
80 किसान हैं जिले में जो मधुमक्खी पालन करते हैं
2000 मधुमक्खी बॉक्स हैं जिले में
600 क्विंटल शहद का उत्पादन होता है जिले में
40 फीसद का अनुदान देता है उद्यान विभाग
80 फीसद का अनुदान देता है सामान्य वर्ग के लाभार्थियों को खादी ग्रामोद्योग
90 फीसद का अनुदान देता है एससी-एसटी वर्ग के लाभार्थियों को खादी ग्रामोद्योग