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World Inflammatory Bowel Disease Day : आंतों में हो दिक्कत में न लें हल्के में, तत्काल दिखाएं गैस्ट्रोएंट्रोलाॅजिस्ट की सलाह

आबीडी से पीड़ित होने पर कोविड-19 का खतरा बढ़ने का कोई प्रमाण नहीं है। इसलिए मरीजों को आबीडी का मौजूदा उपचार जारी रखने और लक्षणों को दूर रखने की सलाह दी जाती है। बीमारी अनियंत्रित होने पर मरीज अपने डाॅक्टर की राय ले सकते हैं।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Updated: Wed, 19 May 2021 04:40 PM (IST)
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लोगों में अब आइबीडी (इनफ्लेमेटरी बाॅवेल डिजीज) की समस्या बढ़ते जा रही है।
वाराणसी, जेएनएन। World Inflammatory Bowel Disease Day लोगों में अब आइबीडी (इनफ्लेमेटरी बाॅवेल डिजीज) की समस्या बढ़ते जा रही है। इसका प्रभाव पुरुष और महिलाओं पर एक समान होता है। साखकर यह समस्या 15 से 35 वर्ष तक की उम्र के किशोरों और युवाओं में पाई जा रही है। इसे उत्तेजक आंत रोग कहा जाता है। यह आंतों में उत्तेजना पैदा करने वाले विकारों का समूह है। हालांकि इसका अभी तक प्रमुख कारण नहीं पता चल सका है। यह समस्या पीड़ित व्यक्ति की रोग- प्रतिकार प्रणाली (शरीर की सुरक्षा प्रणाली) की असामान्य गतिविधि के कारण होती है। अन्य कारणों में आनुवांशिक और पर्यावरण संबंधी शामिल हैं। तनाव और कुछ खाने की चीजें भी इसके लक्षणों को बढ़ा सकती हैं। आइबीडी में दो विकार शामिल है, क्राॅन्स डिजीज (सीडी) और अल्सरेटिव कोलाइटिस (यूसी)। यह कहना है चिकित्सा विज्ञान संस्थान बीएचयू स्थित गैस्ट्रोएंट्रोलॉजी विभाग के डा. देवेश प्रकाश यादव का। उन्होंने बताया कि 19 माई को विश्व आइबीडी दिवस है, जिसका उद्देश्य आइबीडी के प्रति लोगों को जागरूक करना है।

डा. देवेश ने स्पष्ट किया कि आबीडी से पीड़ित होने पर कोविड-19 का खतरा बढ़ने का कोई प्रमाण नहीं है। इसलिए मरीजों को आबीडी का मौजूदा उपचार जारी रखने और लक्षणों को दूर रखने की सलाह दी जाती है। बीमारी अनियंत्रित होने पर मरीज खुराक/उंपचार में किसी भी तरह के बदलाव के लिए अपने डाॅक्टर की राय ले सकते हैं। साथ ही मरीजों को कोरोना वायरस के प्रसार की रोकथाम के लिए सामान्य लोगों को दिए गए निर्देश का भी पालन करना चाहिए। अगर किसी आइबीडी मरीज को कोविड-19 के लक्षण महसूस होते हैं, तो वह आइबीडी का उपचार कुछ हफ्ते के लिए बंद कर सकते हैं। हालांकि इसके लिए डॉक्टर का परामर्श जरूरी है। उन्होंने बताया कि यहां पर जनवरी से ही आइबीडी क्लिनिक भी चल रही है।

डा. देवेश बताते हैं कि अगर कोई मरीज दस्त, तुरंत शौच जाने की जरूरत, पेट में ऐठन, शौच में रक्त, वजन घटना, भूख की कमी और बुखार जैसे लक्षणों से पीड़ित है तो उसे किसी गैस्ट्रोएंट्रोलाॅजिस्ट की सलाह लेनी चाहिए। अगर कोई मरीज आइबीडी पीड़ित पाया जाता है, तो उसे घबराना नहीं चाहिए। कारण कि इसको नियंत्रित रख कर सामान्य/लगभग सामान्य जीना संभव है। कोविड-19 पैदा करने वाला कोरोना वायरस अभी भी फैल रहा है और भारत समेत दुनिया भर में कई लोगों की जिंदगी को प्रभावित कर रहा है। ऐसे में आइबीडी मरीजों में संक्रमित होने के जोखिम और उनके इलाज के प्रबंध को लेकर चिंता बढ़ी है।

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