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आस्था का केंद्र लक्ष्मेश्वर शिव मंदिर

अल्मोड़ा: जिला मुख्यालय स्थित 395 साल पुराना लक्ष्मेश्वर शिव मंदिर स्थापत्य कला का अद्भुत नमूना है। इ

By Edited By: Updated: Mon, 07 Mar 2016 09:38 AM (IST)

अल्मोड़ा: जिला मुख्यालय स्थित 395 साल पुराना लक्ष्मेश्वर शिव मंदिर स्थापत्य कला का अद्भुत नमूना है। इस मंदिर की स्थापना चंद वंशीय राजा लक्ष्मी चंद ने कुमाऊं में अपने शासनकाल 1597-1621 के दौरान की। ऐतिहासिक मंदिर नागर शैली में निर्मित है। शिवालय लोगों की अगाध आस्था का केंद्र है। यहां प्रतिवर्ष महाशिवरात्रि, श्रावण व बैशाख मास में बड़ी संख्या में श्रद्धालु जुटते हैं।

मंदिर की स्थापत्य कला देखते ही बनती है। शिवालय के चारों ओर प्रस्तरों पर देवगणों प्रार्थना करते उकेरा गया तो पृष्ठ भाग में विघ्न विनाशक व रिद्धि सिद्धी के प्रदाता भगवान गणेश की प्रतिमा आकर्षक ढंग से उकेरी गई है। मंदिर के चहुंओर पत्थरों से उत्कृष्ट नक्काशी की गई। मंदिर के पास ही विशाल पीपल का पेड़ मंदिर की शोभा को और बढ़ा देता है। पर्यटन की दृष्टि से महत्वपूर्ण यह स्थल काफी मांग के बाद भी अब तक विकसित नहीं हो पाया, जबकि हर साल यहां देशी व विदेशी पर्यटक मंदिर व निकट ही गांधी सभा स्थली के अवलोकन को पहुंचते हैं।

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मंदिर में पूजा का विधान

अल्मोड़ा: मंदिर में शिव लिंग का शुद्ध जल, दूध, घी, शहद, दही आदि से अभिषेक किया जाता है। इसके बाद महाआरती होती। मंदिर के पुजारी सत्यानंद पांडे ने बताया कि महाशिवरात्रि पर्व पर ब्रह्मामुहूर्त से ही यहां काफी संख्या में लोग शिव आराधना को जुटते हैं। महादेव का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। सुबह से ही देर शाम तक व्रती ॐ नम: शिवाय का जाप कर सुख, समृद्धि व निरोगी काया की कामना करते हैं। सोमवार को महाशिवरात्रि पर्व के चलते मंदिर परिसर में साफ-सफाई के साथ ही मंदिर को आकर्षक ढंग से सजाया गया।

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