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Lok Sabha Election 2024: अल्मोड़ा संसदीय सीट पर फिर 'टम्टा' के बीच होगी चुनावी जंग, चौथी बार होगा आमना-सामना

Lok Sabha Election 2024 उत्तराखंड में लोकसभा चुनावों को लेकर तैयारियां तेज हो गई हैं। मंगलवार को कांग्रेस ने दूसरी सूची जारी कर दी है। इस सूची में उत्तराखंड की तीन लोकसभा सीटों पर प्रत्याशियों का एलान किया गया है। अल्मोड़ा लोकसभा सीटों पर टम्टा आमने-सामने होंगे। बीजेपी के अजय टम्टा और कांग्रेस के प्रदीप टम्टा एक बार फिर से आमने-सामने हैं।

By chandrashekhar diwedi Edited By: Swati Singh Updated: Tue, 12 Mar 2024 08:57 PM (IST)
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अल्मोड़ा संसदीय सीट पर फिर 'टम्टा' के बीच होगी चुनावी जंग, चौथी बार होगा आमना-सामना

चंन्द्रशेखर द्विवेदी, अल्मोड़ा। अल्मोड़ा संसदीय सीट पर एक बार फिर परंपरागत प्रतिद्वंदी आमने-सामने होंगे। भाजपा प्रत्याशी अजय टम्टा जीत की हैट्रिक बनाने के लिए चुनावी मैदान में संघर्ष करते दिखाई देंगे, वहीं कांग्रेस के प्रत्याशी प्रदीप टम्टा जीतने के लिए फिर दमखम दिखाएंगे।

राज्य बनने के बाद भाजपा से अजय टम्टा तो कांग्रेस से प्रदीप टम्टा दलित नेता के रूप में उभरते गए। पहले विधानसभा चुनाव वर्ष 2002 में कांग्रेस ने सोमेश्वर सीट से प्रदीप टम्टा को टिकट दिया, लेकिन अजय टम्टा टिकट की दौड़ में पिछड़ गए। भाजपा ने उन्हें टिकट नहीं दिया। उन्होंने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ा। पार्टी से अजय टम्टा की अदावत काम आई।

2009 से आमने-सामने हैं अजय और प्रदीप

वर्ष 2007 के विधानसभा चुनाव में सोमेश्वर सीट से भाजपा ने अजय टम्टा को टिकट दिया। वह चुनाव जीतने में सफल रहे और सरकार में मंत्री भी बने। वर्ष 2009 में अल्मोड़ा संसदीय सीट आरक्षित हुई। तब भाजपा-कांग्रेस ने अजय और प्रदीप पर ही भरोसा जताया। यह चुनाव कांग्रेस के प्रदीप टम्टा जीतने में सफल रहे। मोदी युग मे एक बार फिर अजय टम्टा की किस्मत पलटी। मोदी लहर में वह वर्ष 2014 व 2019 के लोकसभा चुनाव जीतने में कामयाब रहे।

चौथी बार अल्मोड़ा सीट पर होंगे आमने-सामने

अब 2024 के चुनाव में लगातार चौथी बार अजय टम्टा और प्रदीप टम्टा अल्मोड़ा संसदीय सीट पर दोनों एक बार फिर आमने-सामने होंगे। उम्मीद है कि दोनों के बीच दिलचस्प मुकाबला देखने को मिलेगा। कार्यकर्ता करते रहे नए चेहरे का इंतजार इस बार भाजपा और कांग्रेस के कार्यकर्ता चेहरे बदलने की डिमांड कर रहे थे। कार्यकर्ताओं ने इसके लिए शीर्ष नेतृत्व तक गुहार लगाई। लेकिन परिणाम कार्यकर्ताओं के अनुरूप नहीं आए। शीर्ष नेतृत्व ने फिर से दोनों दिग्गजों पर ही अपनी मुहर लगाई।

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