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Almora Bus Accident: पलक झपकते ही तीखे मोड़ पर थमती गई सांसें, कोई बोला एक्सल टूटा; कुछ ने कहा- पट्टा गया

Almora Bus Accident अल्मोड़ा बस दुर्घटना ने उत्तराखंड में सड़क सुरक्षा की चिंताओं को उजागर किया है। इस दुखद घटना में 36 लोगों की मौत हो गई और कई घायल हो गए। ग्रामीणों ने सड़क सुरक्षा में लापरवाही का आरोप लगाते हुए तंत्र पर गुस्सा निकाला। इस लेख में हम दुर्घटना के विवरण बचाव कार्यों और सड़क सुरक्षा के महत्व पर चर्चा करेंगे।

By deep bora Edited By: Abhishek Saxena Updated: Tue, 05 Nov 2024 10:26 AM (IST)
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भीषण हादसे के बाद क्षतिग्रस्त बस का फाइल फोटो।
संस, जागरण. सल्ट (रानीखेत)। कूपी में भीषण बस दुर्घटना के बाद गम व गुस्से का माहौल रहा। आक्रोशित ग्रामीणों ने सड़क सुरक्षा में लापरवाही का आरोप लगा तंत्र पर गुबार निकाला। दो टूक कहा कि जिंदगी की कीमत चार लाख रुपये नहीं है।

हादसे में लोगों ने अपनों को खो दिया और मुख्यमंत्री मुआवजे की घोषणा कर रहे। सवाल पूछा कि मुआवजे से जिंदगी वापस मिल सकती है। उन्होंने आयुक्त दीपक रावत के समक्ष भी सड़कों की बदहाली का दुखड़ा रोया। आयुक्त ने दुर्घटना को दुखद बताते हुए सड़क सुरक्षा व डिजाइन आदि सभी पहलुओं पर त्वरित कदम उठाने का भरोसा दिलाया।

बस हादसे में मृतकों का आंकड़ा बढ़ने के साथ ही गमगीन ग्रामीणों का गुस्सा भी बढ़ता गया। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार, शासन प्रशासन व अधिकारी सुदूर पर्वतीय क्षेत्रों की समस्याओं को हल्के में लेते आए हैं। ग्रामीणों ने कहा कि दुर्घटना के बाद तंत्र चुस्ती दिखा रहा है। जबकि खस्ताहाल सड़कों को ठीक किए जाने व दुर्घटना जोन पर सुरक्षात्मक उपाय किए जाने का मुद्दा लोग अरसे से उठाते आ रहे हैं। मगर इस तरफ कभी ध्यान नहीं दिया गया।

ग्रामीणों ने सीएम की ओर से मुआवजे की घोषणा पर भी कड़ा एतराज जताया और कहा कि जिंदगी की कीमत आंकने से खोए हुए लोग वापस नहीं मिल सकते। हालांकि आयुक्त दीपक रावत ने लोगों को शांत कराया और कहा कि जनसुरक्षा के मद्देनजर सड़कों पर सुरक्षात्मक कार्यों की समीक्षा कर उन्हें अविलंब दुरुस्त कराया जाएगा।

दरवाजे पर खड़ा युवा यात्री छिटक कर पहाड़ी पर अटका तो बची जान

दिवाली की छुट्टी मनाकर वापस कार्यस्थल को लौट रहे यात्रियों को जरा भी अहसास नहीं था कि आगे क्या होने वाला है। पौड़ी गढ़वाल के बारात की नाथ स्टेशन से खचाखच भरी बस रामनगर की ओर निकली। यात्री आपस में गपशप तो कुछ मोबाइल पर व्यस्त थे। राज्य आंदोलनकारी सुमनलता भदौला रसिया महादेव भैरंगखाल मरचूला स्टेट हाईवे पर कूपी सारूड़ क्षेत्र में डरावनी आवाज हुई।

कुछ ने कहा कमानी का पट्टा टूट गया तो कोई बोला एक्सल टूटा। तभी ज्यूखड़ाचौड़ा के पास तीखे मोड़ पर चीखपुकार मची और फिर पलक झपकते ही बस सीधा देवलगढ़ घाटी में समा गई। वहीं दरवाजे पर खड़ा युवा यात्री छिटक कर पहाड़ी पर ही अटक गया।

गौलीखाल व बारात की नाथ स्थित गढ़वाल मोटर यूजर्स को-आपरेटिव सोसायटी के स्टेशन से सोमवार की प्रात: बस में अधिसंख्य पौड़ी जिले के ही लोग सवार हुए। इनमें सबसे वरिष्ठ 76 वर्षीय दयावंती पाथनी पत्नीद रामप्रसाद निवासी धूमाकोट व सबसे कम पांच साल का आरव पुत्र दीपक निवासी बाराथ मल्ला शामिल रहा।

कुल 60 यात्री हंसी खुशी अपने अपने गंतव्य तक पहुंचने के लिए उत्साहित थे। इनमें दस महिलाएं थीं। मगर सल्ट ब्लाक के ज्यूखड़ाचौड़ा बैंड के पास पहुंचते ही तीखे मोड़ पर सामूहिक चीख निकली। फिर सड़क से नीचे देवलगढ़ (देवता नाले) की पहाड़ी से टकराती पलटती बस की दहशत भरी आवाज। उधर बस के दुर्घटनाग्रस्त होने से पूर्व तीखे मोड़ पर दरवाजे से छिटक कर पहाड़ी पर अटके युवा यात्री ने ग्रामीणों को बताया कि संभवत: वाहन का एक्सल टूटा। यही कारण रहा कि चालक स्टेयरिंग नहीं घुमा सका और बस खाई में जा गिरी।

रेस्क्यू दलों के पहुंचने से पहले निकाले घायल व शव

सल्ट: बस के खाई में गिरते ही समीपवर्ती कूपी सारूड़ गांव के लोग सारे काम छोड़ यात्रियों की जान बचाने को नाले की तरफ उतरे। दुर्घटना स्थल से कूछ दूर दुरूह पगडंडी से रास्ता तलाश देवलगढ़ घाटी में पहुंच नाला पार किया। फिर बुरी तरह क्षतिग्रस्त बस में फंसे यात्रियों को बाहर निकालने का अभियान शुरू किया। रेस्क्यू के बीच पुलिस प्रशासन को भी हादसे के बारे में बताया गया।

कूपी सारूड़ गांव के महिपाल सिंह के अनुसार बस सोमवार की प्रात: करीब पौने आठ बजे खाई में गिरी। उसने ज्यूखड़ा चौड़ा स्थित दुर्घटना स्थल से कुछ पहले ही इस बस को ओवरटेक किया था। थोड़ी देर में उसे फोन पर ग्रामीणों ने बताया कि यात्रियों से भरी बस देवलगढ़ के नाले में जा गिरी है। इस पर ग्रामीण खड़ी पहाड़ी से नीचे उतरे। मानवता के नाते खुद ही रेस्क्यू शुरू किया। कई घायलों को बाहर भी निकाला। हालांकि सूचना पर बाद में सल्ट पुलिस का बचाव दल फिर बाद में रानीखेत व अन्य क्षेत्रों से एसडीआरएफ की टीम भी राहत व बचाव को पहुंच गई।

दुर्घटना जोन पर पैराफिट न क्रश बैरियर

भैरंगखाल मरचूला स्टेट हाईवे पर ज्यूखड़ा चौड़ा बैंड पर जहां से यात्री बस खाई में गिरी, वहां पर सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं हैं। यह हाल तब है जब इसी रोड पर एक दशक पूर्व बस दुर्घटना हो चुकी है। तब छह सात लोग जान गंवा बैठे थे। मगर तंत्र ने इससे सबक नहीं लिया। तीखे मोड़ पर पैराफिट तो दूर क्रश बैरियर तक नहीं है। इसकी परिणति दिल दहला देने वाले एक और हादसे के रूप में सामने आई।

पहाड़ में सड़क सुरक्षा के तमाम दावों व कोशिशों के बावजूद सुदूर क्षेत्रों में यातायात रामभरोसे है। सल्ट के कूपी क्षेत्र में सोमवार को बस हादसे ने दुर्गम पहाड़ों पर सड़क सुरक्षा के उपायों की पोल खोल दी। खस्ताहाल सड़क और सुरक्षात्मक कार्यों के अभाव से ग्रामीण भड़क उठे थे।

कब क्या घटनाक्रम 

  • लगभग 7:45 बजे बस दुर्घटनाग्रस्त हुई।
  • 8:20 पर कूपी गांव के लोग पहुंचे। आसपास के ग्रामीण भी पहुंचे।
  • रेस्क्यू शुरू किया।
  • 9:15 बजे सल्ट पुलिस पहुंची।
  • 9:45 बजे धूमाकोट से एसडीआरएफ का दल पहुंचा।
  • 10:45 के आसपास रुद्रपुर, नैनीताल व अल्मोड़ा से भी एसडीआरएफ टीम पहुंची।
  • 11:00 बजे सभी घायल व शव निकाले गए।
  • 2 घंटे 40 तक रेस्क्यू पूरा। घायलों को चिकित्सालयों में भेजने के बाद शवों को हाथीढौर स्थित होटल परिसर क्षेत्र में शिनाख्त के लिए रखा गया।

दो नाले पार कर पहुंचना पड़ा

जहां से यात्री बस गिरी है, उधर से खाई में उतरने का सुगम रास्ता नहीं था। ऐसे में रेस्क्यू टीमों को करीब एक किमी दूर मरचूला बाजार के पास हाथीढौर होकर बदनगढ़ नाले को पार कर सौ मीटर दूर देवता नाला तक पहुंचना पड़ा। दोनों नालों का संगम स्थल होने के कारण यहां पानी का बहाव बेहद तेज रहता है। बचाव दल व ग्रामीणों को लट्ठों की मदद से मानव श्रंखला बनाकर देवतानाला पार दुर्घटनाग्रस्त बस तक पहुंचना पड़ा। तब जाकर क्षतिग्रस्त बस के भीतर फंसे शवों व घायलों को मशक्कत के बाद निकाला जा सका।

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