अल्मोड़ा में उल्टी-दस्त के बाद चार वर्षीय बच्ची की मौत, एक दिन पहले भी अस्पताल आई थी मासूम
डाक्टरों ने बताया कि बच्ची को सामान्य समस्या थी जिसके चलते उसे भर्ती भी नहीं किया गया। लेकिन देर रात एक बार फिर उसकी तबियत बिगड़ गई। उसे फिर से उल्टी-दस्त शुरू हो गए। बताया जा रहा है कि रात में उसे दवा देकर स्वजनों ने सुला दिया।
By Jagran NewsEdited By: Rajesh VermaUpdated: Fri, 18 Nov 2022 10:53 PM (IST)
जागरण संवाददाता, अल्मोड़ा : उल्टी-दस्त के बाद चार वर्षीय मासूम बच्ची की तबियत बिगड़ गयी। जिला अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में लाने पर डाक्टरों ने बच्ची को मृत घोषित कर दिया। बीते दिनों भी बच्ची को उपचार के लिए अस्पताल लाया गया था। वहीं मासूम की मौत से घर में कोहराम मच गया है। स्वजनों का रो-रोकर बुरा हाल है। स्वास्थ्य परीक्षण करवा घर लौटने के बाद मासूम की मौत स्वास्थ्य सुविधाओं पर सवाल खड़े कर रही है।
उल्टी-दस्त से बच्चे की मौत ने एक बार फिर सरकारी अस्पतालों की व्यवस्थाओं की पोल खोल दी है। ताजा घटना जाखनदेवी क्षेत्र की है। यहां रहने वाले कमल किशोर पंत की चार वर्षीय बच्ची भाग्यश्री पंत का गुरुवार को स्वास्थ्य बिगड़ गया था, मासूम को उल्टी-दस्त हो रहे थे। स्वजन उसे लेकर जिला अस्पताल पहुंचे। अस्पताल की ओपीडी में उसका स्वास्थ्य परीक्षण और परामर्श किया। उसे बीमारी के अनुसार दवा दी गई। जिसके बाद उसे वापस घर भेज दिया गया।
डाक्टरों ने बताया कि बच्ची को सामान्य समस्या थी, जिसके चलते उसे भर्ती भी नहीं किया गया। लेकिन देर रात एक बार फिर उसकी तबियत बिगड़ गई। उसे फिर से उल्टी-दस्त शुरू हो गए। बताया जा रहा है कि रात में उसे दवा देकर स्वजनों ने सुला दिया। शुक्रवार की सुबह बच्ची नीली पड़ी थी, जिसके चलते स्वजन बेसुध हालत में मासूम को लेकर अस्पताल पहुंचे। इमरजेंसी वार्ड में डाक्टरों ने मासूम को मृत घोषित कर दिया। मौत की सूचना से स्वजनों का रो-रोकर बुरा हाल रहा। मामले में लोगों ने स्वास्थ्य सुविधाओं पर सवाल उठाए हैं।
पहले भी जिले में उल्टी-दस्त से हो चुकी है बच्चे की मौत
बच्चों में उल्टी-दस्त गंभीर बीमारी भी बन जाती है। उल्टी-दस्त की शिकायत से अगस्त माह में 10 वर्षीय बच्चे की मौत हुई थी। जबकि हवालबाग ब्लाक क्षेत्र में 12 से 15 बच्चे डायरिया की चपेट में आए थे। इसके बावजूद कई बार इस समस्या को गंभीरता से नहीं लिया जाता। भाग्यश्री की मौत से पूर्व स्वजन उसे अस्पताल लाए थे। लेकिन उसमें किसी बड़ी बीमारी की पुष्टि नहीं हो सकी।
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- डा. पीके सिन्हा, पीएमएस जिला अस्पताल अल्मोड़ा