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Bal Diwas: चाचा नेहरु ने अल्मोड़ा जेल में लिखे थे 'मेरी आत्मकथा' व 'भारत एक खोज' किताब के अंश, कुल 317 दिन रहे थे बंद

Bal Diwas 2024 बच्चों के प्रिय चाचा नेहरु व भारत के पहले प्रधानमंत्री ने ब्रिटिश हुकूमत से संघर्ष करते हुए नौ वर्ष जेल में गुजारे। अलग-अलग समय में अंग्रेजों के खिलाफ आजादी के आंदोलन के दौरान चाचा नेहरु कुल 317 दिन अल्मोड़ा जेल में बंद रहे। अल्‍मोड़ा जेल में एक परिसर में जहां पर जवाहर लाल नेहरु बंद हुए थे वहां उनसे जुड़ी यादों को आज भी संजोया गया है।

By chandrashekhar diwedi Edited By: Nirmala Bohra Updated: Wed, 13 Nov 2024 02:48 PM (IST)
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Bal Diwas 2024: चाचा नेहरु कुल 317 दिन अल्मोड़ा जेल में बंद रहे। जागरण
जागरण संवाददाता, अल्मोड़ा। Bal Diwas 2024: आपको यह तो पता है कि 14 नवंबर को बाल दिवस भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरु की याद में मनाया जाता है। बच्चे उन्हें प्यार से चाचा नेहरु कहा करते थे।

कम ही लोग जानते हैं कि पंडित नेहरु ने अपनी प्रसिद्ध किताब ''मेरी आत्मकथा'' व ''भारत एक खोज'' के कुछ अंश अल्मोड़ा जेल में लिखे। अलग-अलग समय में अंग्रेजों के खिलाफ आजादी के आंदोलन के दौरान चाचा नेहरु कुल 317 दिन अल्मोड़ा जेल में बंद रहे।

नौ वर्ष जेल में गुजारे

बच्चों के प्रिय चाचा नेहरु व भारत के पहले प्रधानमंत्री ने ब्रिटिश हुकूमत से संघर्ष करते हुए नौ वर्ष जेल में गुजारे। उनके जेल यात्रा के 3259 दिनों में से 317 दिन अल्मोड़ा जेल में बीते। सबसे पहले वह 28 अक्टूबर 1934 को नेहरू अल्मोड़ा जेल पहुंचे। उन्हें यहां पर 311 दिन रखा गया।

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इस दौरान उन्होंने मेरी आत्मकथा किताब के कुछ अंश यहां पर लिखे। तीन सितंबर 1935 को रिहा किया गया। इसके बाद 10 जून 1945 से 15 जून 1945 तक वह अल्मोड़ा जेल में रहे। इस जेल यात्रा के दौरान उन्होंने चर्चित पुस्तक ''भारत एक खोज'' के महत्वपूर्ण अंश भी लिखे। जिसे बाद में दूरदर्शन में सीरियल के रूप में दिखाया गया और काफी सराहना मिली।

उनकी जेल यात्रा की गवाही देता है नेहरु वार्ड

जेल में एक परिसर में जहां पर जवाहर लाल नेहरु बंद हुए थे वहां पर उनसे जुड़ी यादों को आज भी संजोया गया है। उनकी इस्तेमाल की गयी वस्तुएं बिस्तर, फर्नीचर, थाली, लोटा, गिलास, दीपदान, गांधी चरखा आदि आज भी सुरक्षित रखे हुए हैं। जिस बैरक में नेहरू को कैद करके रखा जाता था, उसे आज नेहरू वार्ड कहा जाता है। यहां पुस्तकालय कक्ष व किचन भी है। आजादी के आंदोलन के दौरान 500 से अधिक स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को यहां बंद किया गया था।

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आज भी नहीं बन सकी संरक्षित इमारत

1872 में बनी इस जेल में आजादी से पहले आंदोलनकारियों को बंद किया जाता था। आजादी के बाद खूंखार अपराधियाें को यहां रखा जाता है। ऐतिहासिक जेल को संरक्षित स्मारक बनाने की लंबे समय से मांग उठ रही है। लेकिन अभी तक जेल को अन्यत्र शिफ्ट नहीं किया जा सका है। आज भी यह इमारत कुछ तय दिनों में ही खोली जाती है। अगर यह संरक्षित इमारत बन गई होती तो शोधार्थियों के साथ आने वाली पीढ़ी के लिए भी अपने इतिहास को जानने में मदद मिलती।

भारत की विविधता, सांस्कृतिक धरोहर का सजीव वर्णन

पंडित जवाहरलाल नेहरू की लिखित पुस्तक डिस्कवरी आफ इंडिया काफी चर्चित रही। यह पुस्तक उन्होंने 1946 में लिखी। जब वह जेल में थे। पुस्तक में प्राचीन इतिहास से आधुनिक इतिहास का विश्लेषण किया गया है। किताब में भारत की विविधता, सांस्कृतिक धरोहर और सामाजिक जीवन का सजीव वर्णन मिलता है।

टीवी के भारत में आने के शुरुआती समय में हर कोई इस सीरियल को दिवाना होता था। 1935 में उन्होंने मेरी आत्मकथा या एन आटोबायोग्राफी किताब लिखी। इसमें नेहरु जी ने अपने बचपन, शिक्षा, राजनीतिक जीवन, स्वतंत्रता संग्राम में उनकी भूमिका के बारे में लिखा है। वहीं उन्होंने अपने विचारों व आदर्शों को भी इस किताब में व्यक्त किया है।

ऐतिहासिक धरोहरों को संरक्षित किया जाना चाहिए। ताकि आने वाली पीढ़ी अपने इतिहास को जान सके। यह हमारी पहचान से भी जुड़ा सवाल है। - एड. केएस बिष्ट, सदस्य संचालक मंडल, गांधी स्मारक निधि

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