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MS Dhoni in Uttarakhand: पत्नी साक्षी संग अपने पैतृक गांव पहुंचे धोनी, बुजुर्गों का लिया आशीर्वाद

MS Dhoni in Uttarakhand अल्मोड़ा जिले के अंतर्गत जैती तहसील का ल्वाली महेंद्र सिंह धोनी का पैतृक गांव है। मंगलवार को नैनीताल पहुंच चुके माही बुधवार पूर्वाह्न करीब पौने 11 बजे पत्नी साक्षी के साथ पैतृक गांव पहुंचे तो खुशी में लोग झूम उठे। उन्होंने यहां गंगनाथ मंदिर गोलू देवता देवी माता और नरसिंह मंदिर में पूजा अर्चना की।

By Jagran NewsEdited By: Swati SinghUpdated: Thu, 16 Nov 2023 09:14 AM (IST)
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अल्मोड़ा में पैतृक गांव में पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी और उनकी पत्नी साक्षी

जागरण संवाददाता, अल्मोड़ा। भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी करीब 20 साल बाद बुधवार को अपने पैतृक गांव ल्वाली पहुंचे। पत्नी साक्षी संग उन्होंने गांव के मंदिरों में ईष्ट देवताओं की पूजा-अर्चना की और वनडे विश्वकप में भारतीय टीम की जीत की प्रार्थना की। साथ ही बुजुर्गों से आशीर्वाद लेते हुए युवाओं व बच्चों को क्रिकेट के टिप्स देते हुए करीब ढाई घंटे गांव में बिताए।

अल्मोड़ा जिले के अंतर्गत जैती तहसील का ल्वाली महेंद्र सिंह धोनी का पैतृक गांव है। मंगलवार को नैनीताल पहुंच चुके माही बुधवार पूर्वाह्न करीब पौने 11 बजे पत्नी साक्षी के साथ पैतृक गांव पहुंचे तो खुशी में लोग झूम उठे। उन्होंने यहां गंगनाथ मंदिर, गोलू देवता, देवी माता और नरसिंह मंदिर में पूजा अर्चना की।

धोनी ने दोगुनी की भैया दूज की खुशियां

भैया दूज पर गांव पहुंचे माही ने पर्व की खुशियां दोगुनी कर दी। गांव की बहनों और बुजुर्गों ने उनके सिर पर च्यूड़े (चावल) रखकर उनके सुखद जीवन की कामना की।

इस दौरान ग्रामीणों ने उनके साथ खूब सेल्फी भी ली। माही व साक्षी ने भी सभी से कुशलक्षेम जानी।

युवाओं ने लिए हेलीकॉप्टर शॉट के टिप्स

काफी देर तक युवाओं ने उनसे हेलीकॉप्टर शाट समेत बल्लेबाजी और विकेटकीपिंग के टिप्स भी लिए।

ग्रामीणों ने खेल मैदान और क्रिकेट अकादमी खोलने जैसे प्रस्ताव भी रखे और गांव में खेल मैदान की समस्या बताई। इस पर माही ने अपने स्तर से प्रयास करने का आश्वासन दिया।

एक किमी पैदल चलकर गांव पहुंचे धोनी

धोनी का गांव ल्वाली आज भी सड़क जैसी मूलभूत सुविधा का अभाव झेल रहा है। माही चायखान-बचकांडे तक कार से आने के बाद पगडंडियों से होते हुए घर तक पहुंचे। गांव में मिले सम्मान और दुलार से माही और साक्षी काफी खुश दिखे। लेकिन सड़क के अभाव के कारण धौनी पुत्री को गांव नहीं लाए। उन्होंने दो-तीन साल बाद बेटी के बड़ी होने पर फिर उसे लेकर गांव आने की इच्छा जताई।

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