Almora News: अल्मोड़ा विश्वविद्यालय का अतीत सुनहरा, छात्रसंघ चुनाव का इतिहास छह दशक पुराना
Almora Universityसोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय में छात्रसंघ चुनाव का इतिहास करीब 60 वर्ष से अधिक का है। उप्र के पहले मुख्यमंत्री के प्रयासों से 1950 में डिग्री कालेज की हुई थी स्थापना कालेज के लिए डीएल साह ने डेढ़ लाख रुपये दान किए थे
By Jagran NewsEdited By: Piyush KumarUpdated: Thu, 15 Dec 2022 03:51 PM (IST)
अल्मोड़ा, जागरण संवाददाता: सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय में छात्रसंघ चुनाव का इतिहास करीब 60 वर्ष से अधिक का है। स्थापना के शुरुआती दौर में जब डिग्री कालेज प्रबंधन समिति चलाती थी, तभी से यहां छात्रसंघ चुनाव हुआ करते थे।
छात्र-छात्राओं का यह छात्रसंघ कभी अपने वैभव पर था। लेकिन लिंगदोह की सिफारिशों के बाद से यह चुनाव एक दायरे में सिमट गया। देश की आजादी के दो वर्ष बाद 1949 में तत्कालीन उत्तरप्रदेश के पहले मुख्यमंत्री गोविंद बल्लभ पंत ने डिग्री कालेज खोलने की कवायद तेज की। वर्ष 1950 में अल्मोड़ा में यहां के लोगों के प्रयास से डिग्री कालेज की स्थापना कर दी गई थी।
आगरा विश्वविद्यालय से मान्यता प्राप्त डिग्री कालेज को दो दशकों से अधिक समय तक प्रबंधन समिति ने चलाया। तब डिग्री कालेज का पदेन अध्यक्ष जिलाधिकारी हुआ करते थे। इसी दौर से छात्रसंघ चुनाव होने लगे थे। तब छात्रों की संख्या काफी कम हुआ करती थी।
इसलिए चुनाव भी उतने आकर्षक नहीं होते थे। तब इसका डिग्री कालेजों में कोई रिकार्ड भी नहीं रखा जाता था। 1971 तक डिग्री कालेज को प्रबंधन समिति ने चलाया।
1972 में राजकीयकरण का दर्जा प्राप्त
1961 से ही इसके राजकीयकरण की मांग उठी। 1962 में मुख्यमंत्री सुचेता कृपलानी ने कालेज का प्रांतीकरण करने की घोषणा की। 1971 में तत्कालीन मुख्यमंत्री कमलापति त्रिपाठी के मंत्रिमंडल ने प्रांतीकरण का निर्णय लिया। 1972 में महाविद्यालय का राजकीयकरण कर दिया गया। 1975 में जब नैनीताल में कुमाऊं विश्वविद्यालय बना तो अल्मोड़ा महाविद्यालय को परिसर कालेज बनाया गया।इसके बाद कालेज की मान्यता भी बढ़ने लगी। छात्रसंख्या भी बढ़ने लगी तो छात्रसंघ चुनाव भी जोर-शोर से होने लगे। एक दौर में छात्रसंघ चुनाव जीतना किसी प्रतिष्ठता से कम नहीं हुआ करता था। 1977 में अल्मोड़ा महाविद्यालय के छात्रसंघ अध्यक्ष रहे पीसी तिवारी ने कहा कि यह कुमाऊं के सबसे पुराने डिग्री कालेजों में एक है। यहां के चुनाव का इतिहास छह दशक पुराना है। पहला अध्यक्ष कौन रहा, इसकी जानकारी नहीं है।
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चुनाव छात्रसंघ के बढ़ते दायरे और इसके प्रभाव को देखते हुए वर्ष 2006 में लिंगदोह कमेटी की सिफारिशें लागू की गई। सिफारिशों ने छात्रसंघ चुनाव को एक दायरे में बांध दिया। जिससे इस चुनाव के प्रति छात्र-छात्राओं का रुझान कम होने लगा।