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Holi 2024: मंत्रमुग्ध कर बरबस अपनी ओर आकर्षित करती है कुमाऊंनी होली, तीन चरण होते हैं खास

Holi 2024 अपने आप में विशिष्ट पहचान वाली कुमाऊंनी होली तीन चरणों में सम्पन्न होती है। पौष माह के प्रथम रविवार से बसंत पंचमी तक पहला बसंत पंचमी से शिवरात्रि तक दूसरा और शिवरात्रि से छलड़ी तक तीसरा चरण माना गया है। पुरुष होल्यारों के बीच खड़ी होली की भी विशेष पहचान है। हालांकि पुराने होल्यार होली के बदलते स्वरूप को लेकर काफी चिंतित हैं।

By ganesh pandey Edited By: Nirmala Bohra Updated: Thu, 21 Mar 2024 12:03 PM (IST)
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Holi 2024: अपने आप में विशिष्ट पहचान वाली कुमाऊंनी होली तीन चरणों में सम्पन्न होती है।
गणेश पांडेय, दन्यां: Holi 2024: खुद में विशिष्ट पहचान वाली कुमाऊंनी होली तीन चरणों में सम्पन्न होती है। कुमाऊं की खड़ी व बैठकी होली गायकों और श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर बरबस अपनी ओर आकर्षित करने में सक्षम होती है।

ये होते हैं होली के तीन चरण

कुमाऊं में खड़ी व बैठकी दो प्रकार की होली काफी प्रचलित है। बैठकी होली पौष माह के प्रथम रविवार से शुरू होकर छलड़ी तक गाई जाती है। पौष माह के प्रथम रविवार से बसंत पंचमी तक पहला, बसंत पंचमी से शिवरात्रि तक दूसरा और शिवरात्रि से छलड़ी तक तीसरा चरण माना गया है।

प्रथम चरण में भक्ति के पद, दूसरे चरण में राधा कृष्ण की लीलाएं तथा अंतिम चरण में देवर भाभी व रास लीला पर आधारित गुदगुदी रचनाओं का गायन होता है। पुरुष होल्यारों के बीच खड़ी होली की भी विशेष पहचान है।

ढोलक की धुन में कदमों को मिलाते हुए पुरुष होल्यार गोल घेरे में सस्वर होली गायन करते हैं। पिछले कुछ सालों से रंग पर्व होली का स्वरूप भी काफी बदल गया है। पुराने होल्यार होली के बदलते स्वरूप को लेकर काफी चिंतित हैं।

गुझिया का स्वाद और पकवानों की सुगंध यादगार

रंगों की मस्ती गुझिया का स्वाद और पकवानों की सुगंध होली को यादगार बना देती है। वर्तमान में नई पीढ़ी हमारे पुराने रीति रिवाजों और त्योहारों से विमुख होती जा रही है। यह चिंतनीय है। समाज में फैल रही तरह तरह की विकृतियां हमारे त्योहारों को लील रही है, इसके लिए हमें सजग रहना होगा।

- नैननाथ रावल, वरिष्ठ लोक गायक

होली बसुधैव कुटम्बकम की भावना को बढ़ाने वाला पावन शब्द है। एकता और भाई चारे के रंग से होली के आनंद को बढ़ाने की आवश्यकता है। दुखद पहलू यह है कि आधुनिकता का लबादा ओढ़े कुछ लोग होली के त्योहार को हुड़दंग और अश्लीलता का पर्याय मानने लगे हैं, यह नितांत चिंता की बात है।

- रेवाधर जोशी, नायल दन्यां

दिनचर्या का मशीनीकरण होने से हमारे पास अब फुर्सत नहीं है। अब लोक पर्व और पुराने रीति रिवाजों को मनाने की महज औपचारिकताएं शेष रह गई हैं। खुशी की बात यह है कि गांवों में अभी भी पुरानी संस्कृति जीवित है। महिला होल्यारों का योगदान काफी अहम है।

- अनिला पंत, वरिष्ठ होली गायिका

रंगों से सरोबार दोस्तों के साथ खुशियों मनाना, देर रात तक जारी रहने वाली फाग की धुन और मौज मस्ती। यही तो है होली का असली स्वरूप। अफसोस इस बात का है कि अब शराब का बढ़ता प्रचलन हुड़दंग और अश्लीलता पैदा करता है। यही वजह है कि लोग अब होली से दूर होने लगे हैं।

- बिशन सिंह गैड़ा, वरिष्ठ होली गायक ध्याड़ी

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