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Lakshya Sen: ओलंपिक में स्वर्ण सहित जानिए लक्ष्य सेन के और क्या-क्या हैं लक्ष्य

थॉमस कप के हीरो मूलरूप से उत्तराखंड के अल्मोड़ा निवासी हैं। दैनिक जागरण से फोन पर उन्होनें आगामी प्रतियोगिताओं को लेकर जानकारी साझा की। बताया कि उत्तराखंड में खेल के संसाधन कम हैं वह प्रशिक्षण अकादमी के लिए मदद को तैयार हैं। पढ़िए उनकी भविष्य की याेजनाएं विस्तार से...

By Edited By: Updated: Tue, 17 May 2022 08:42 PM (IST)
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लक्ष्य सेन वर्तमान में परिवार के साथ बेंगलुरु में रह रहे हैं।

चंद्रशेखर द्विवेदी, अल्मोड़ा। बैडमिंटन खिलाड़ी लक्ष्य सेन की शानदार शुरुआत के साथ भारतीय टीम ने 73 वर्ष बाद थामस कप जीतकर इतिहास रचा। टीम का अहम हिस्सा रहे लक्ष्य ने भारतीय खिलाडिय़ों का मनोबल ही नहीं बढ़ाया वरन टीम में जोश भर थामस कप जीतने के लिए प्रेरित किया। 

कोचिंग के लिए बेंगलुरु शिफ्ट

उत्तराखंड के अल्मोड़ा मूल के लक्ष्य सेन वर्तमान में परिवार के साथ बेंगलुरु में रह रहे हैं। लक्ष्य सेन की प्रतिभा देख उनके पिता व कोच डीके सेन ने 2011 में 10 साल की उम्र में ही उन्हें प्रकाश पादुकोण एकेडमी बेंगलुरु भेज दिया था। तब तक लक्ष्य राष्ट्रीय स्तर पर कई प्रतियोगिताएं जीत चुके थे।

उनके खेल में लगातार सुधार हो और कोई दिक्कत न आए इसलिए माता-पिता व भाई चिराग सेन भी 2018 में बेंगलुरु शिफ्ट हो गए। पिता डीके सेन उनके कोच के रूप में हमेशा साथ रहते हैं। 

जागरण को बताई भविष्य की योजना

दैनिक जागरण संवाददाता से फोन पर वार्ता में उन्होंने कहा कि मेरा अगला लक्ष्य कामनवेल्थ गेम व ओलिंपिक में स्वर्ण पदक है। क्या इस बार सोचा था कि भारत इतिहास बनाएगा। आत्मविश्वास के साथ जीत का पूरा भरोसा था। हमारी युवा टीम पूरे जोश से भरी हुई थी।

तालमेल भी बहुत अच्छा था। विश्व रैंक के टाप-10 में रहने वाले खिलाड़ी टीम का हिस्सा थे। तो भरोसा था इस बार जरूर इतिहास लिखा जाएगा। 

थामस कप की चुनौतियां

सेन का कहना है था कि थामस कप की सबसे पहली चुनौती थी विश्व रैंकिंग में चोटी के खिलाडिय़ों के साथ मुकाबला। इसके बाद दूसरी चुनौती मैदान ने दी। बैडमिंटन कोर्ट फिसलन वाला था। अच्छी गुणवत्ता का नहीं था। जिससे दिक्कत होना स्वभाविक था। मुझे फीवर और लूजमोशन भी हो गए थे। जिससे थोड़ी कमजोरी थी। पर जीत के जुनून ने लक्ष्य के करीब पहुंचाया। 

सबसे बड़ा प्रतिद्वंद्वी 

कहा कि मलेशिया, इंडोनेशिया मुख्य प्रतिद्वंद्वी टीमें रहीं। मलेशिया पांच बार जीत चुका था और इंडोनेशिया तो लगातार दस से भी अधिक बार जीत चुका था। इसलिए इन टीमों से चुनौती मिलना स्वभाविक था। इसके लिए हम तैयार भी थे। सभी टीमों की कमजोरी व ताकत को प्रैक्टिस के दौरान बखूबी समझा था। 

अगला लक्ष्य

थामस कप के बाद अब इंडोनेशिया व मलेशिया में होने वाली प्रतियोगिता को जीतने पर फोकस रहेगा। इसके बाद कामनवेल्थ खेल है। जिसकी तैयारी चल रही है। उसके बाद लक्ष्य का भी वही लक्ष्य है जो सभी खिलाडिय़ों का होता है। ओलिंपिक में शामिल होकर देश को गोल्ड दिलाना। 

उत्तराखंड में संभावनाएं 

उत्तराखंड में बैडमिंटन काफी लोकप्रिय है। अगर जिले स्तर पर खेल सुविधा व संसाधनों को बढ़ाया जाए तो अच्छे खिलाड़ी निकल सकते है। यहां अभी अंतरराष्ट्रीय स्तर की सुविधा नहीं मिल पाती है। इसके लिए एकेडमी की कमी भी खलती है। 

सीएम धामी ने प्रतियोगिता से लौटते वक्त वीडियो काल में बात की थी। उन्होंने आमंत्रित किया है। अगर सरकार मदद करें तो एकेडमी खोलने की कोशिश की जाएगी। जिससे भविष्य के शटलर तैयार हो सकें। 

उभरते खिलाडिय़ों को संदेश 

कड़ी मेहनत, अनुशासन, समर्पण ये तीन चीजें हो तो किसी को सफल होने से कोई नहीं रोक सकता है। 

तीन पीढिय़ां बैडमिंटन में

16 अगस्त 2001 को अल्मोड़ा में जन्मे लक्ष्य मूलरूप से जिले के सोमेश्वर के ग्राम रस्यारा निवासी हैं। 80 वर्षों से अधिक समय से सेन परिवार अल्मोड़ा के तिलकपुर मोहल्ले में रहता है। उनके दादा सीएल सेन ने राष्ट्रीय स्तर की बैडमिंटन प्रतियोगिताओं में कई खिताब जीते।

लक्ष्य को छह वर्ष की उम्र में मैदान में उतारने में दादा का बड़ा योगदान रहा। लक्ष्य के भाई चिराग सेन भी अंतरराष्ट्रीय स्तर के बैडमिंटन खिलाड़ी हैं।

माता निर्मला सेन पूर्व में निजी स्कूल में शिक्षिका थी। बाद में उन्होंने बच्चों की देखभाल के लिए नौकरी छोड़ दी। 2018 में परिवार बेंगलुरू में शिफ्ट हो गया। जहां लक्ष्य और चिराग दोनों विभिन्न प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेने के साथ प्रशिक्षण भी प्राप्त करते हैं।

लक्ष्य की उपलब्धियां 

लक्ष्य ने लिनिंग सिंगापुर यूथ इंटरनेशनल सीरीज में स्वर्ण, इजरायल जूनियर इंटरनेशनल के डबल और सिंगल में स्वर्ण, इंडिया इंटरनेशनल सीरीज के सीनियर वर्ग में स्वर्ण, योनेक्स जर्मन जूनियर इंटरनेशनल में रजत, डच जूनियर में कांस्य, यूरेशिया बुल्गारियन ओपन में स्वर्ण, एशिया जूनियर चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक, यूथ ओलंपिक में रजत, वल्र्ड चैंपियनशिप में कांस्य पदक भारत को दिलाया है।

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