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अल्मोड़ा विश्वविद्यालय के SSJ परिसर में अस्थायी नियुक्ति व पद समाप्त, कुलपति के इस्तीफा देते ही बड़ा फैसला

SSJ University Almora विश्वविद्यालय के कुलसचिव सुधीर बुड़ाकोटी ने बताया कि प्रो. एनएस भंडारी ने कुलपति रहते हुए इन पदों व नियुक्तियों को सृजित किया था। उनके पद से कार्यमुक्त होने की तिथि से ये पद व नियुक्तियां भी समाप्त कर दी गई हैं।

By Jagran NewsEdited By: Rajesh VermaUpdated: Mon, 07 Nov 2022 09:45 PM (IST)
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प्रो. नरेंद्र सिंह भंडारी ने तीन दिन पहले कुलपति पद से इस्तीफा दे दिया था।
संवाद सहयोगी, अल्मोड़ा : SSJ University Almora : सोबन सिंह जीना परिसर में सृजित की गई अस्थायी नियुक्तियों व पदों को समाप्त कर दिया गया है। ये सभी पद पूर्व कुलपति नरेंद्र सिंह भंडारी के कार्यकाल में उनके द्वारा सृजित किए गए थे। कुलसचिव ने आदेश जारी कर परिसर के सभी विभागों को इसकी सूचना दे दी है।

प्रो. भंडारी ने सृजित किए थे सभी पद

विश्वविद्यालय के सोबन सिंह जीना परिसर में परिसर निदेशक का पद रिक्त होने के कारण तत्कालीन कुलपति प्रो. नरेंद्र सिंह भंडारी (Prof. Narendra Singh Bhandari) ने उसके स्थान पर अधिष्ठाता प्रशासन, अधिष्ठाता परीक्षा, अधिष्ठाता वित्त, अधिष्ठाता शैक्षिक एवं अधिष्ठाता ग्रीन ऑडिट के पद सृजित किए थे। इन व्यवस्थाओं को नितांत अस्थाई रखा गया था। लेकिन यह पद किसी पद के सापेक्ष नहीं है और उक्त व्यवस्था राज्य विश्वविद्यालय के संरचना के अनुरूप नहीं है।

प्रो. प्रवीण सिंह बिष्ट बने रहेंगे परिसर निदेशक

विश्वविद्यालय के कुलसचिव सुधीर बुड़ाकोटी ने बताया कि इन पदों व नियुक्तियों को तत्कालीन कुलपति प्रो. एनएस भंडारी के पद से कार्यमुक्त होने की तिथि से समाप्त कर दिए गए हैं। उन्होंने बताया कि परिसर निदेशक का पद रिक्त है, लेकिन पूर्व से ही प्रो. प्रवीण सिंह बिष्ट अधिष्ठाता प्रशासन के पद पर कार्य कर रहे थे, इसलिए उन्हें परिसर निदेशक के कार्यालय के सभी दायित्वों का निर्वहन करने के निर्देश भी जारी किए गए हैं।

प्रो. भंडारी कुलपति पद से दे दिया था इस्तीफा

प्रो. नरेंद्र सिंह भंडारी ने 4 दिन पहले कुलपति पद से इस्तीफा दे दिया था। विश्वविद्यालय बनने के बाद वह यहां के पहले कुलपति थे। उन्होंने त्यागपत्र देने के पीछे व्यक्तिगत कारण बताए थे। मगर उनकी नियुक्ति शुरू से ही सवाल उठते रहे। इसे लेकर हाई कोर्ट में याचिका भी दायर की गई थी, जिसके बाद हाई कोर्ट ने प्रो. भंडारी की नियुक्ति को अवैध करार दे दिया था। बाद में यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। वहां अभी इस पर फैसला नहीं आया है।

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