अल्मोड़ा में दशकों पुराने जिला पुस्तकालय की हालत खराब
अल्मोड़ा जनपद मुख्यालय में दशकों पहले स्थापित जिला पुस्तकालय का कोई पुरसाहाल नहीं।
डीके जोशी, अल्मोड़ा :जनपद मुख्यालय में दशकों पहले स्थापित जिला पुस्तकालय का कोई पुरसाहाल नहीं है। अनदेखी का आलम यह है कि पिछले 23 सालों से यहां पुस्तकालयाध्यक्ष का पद ही खाली पड़ा है। केटलॉगर, जिल्दसाल, बुकबाइंडर समेत कई अन्य पदों पर भी यहां कर्मचारियों का अभाव बना है। भवन के टिन की छत खस्ताहाल है। हल्की बारिश में ही पाठकों का सुकून छिन जाता है।
बुजुर्गो के अनुसार वर्ष 1960 बने इस पुस्तकालय की राज्य गठन के बाद से ही उपेक्षा शुरू हो गई। हालांकि विगत वर्ष छत के कुछ भाग का सुधारीकरण किया गया, लेकिन वह नाकाफी साबित हो रहा है। पुस्तकालय में जहां लाइब्रेरियन का पद पिछले 23 सालों से रिक्त पड़ा है, वहीं जरूरी व्यवस्थाओं के लिए अन्य पदों पर भी सालों से नियुक्तियां नहीं हो पाई हैं। हर साल पुस्तकों की आमद होती है। आज 50 हजार से भी अधिक किताबें हैं।
वरिष्ठ नागरिकों डॉ. जेसी दुर्गापाल, हेम चंद्र जोशी, आनंद सिंह ऐरी, पूरन चंद्र तिवारी, जंग बहादुर थापा के अनुसार विभाग व सरकार को पुस्तकालय की दशा सुधारने की तरफ जल्द से जल्द ठोस पहल करनी होगी।
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जिला पुस्तकालय में सुविधाएं विकसित करने के लिए शासन व विभाग गंभीर है। इसे डिजिटल लाइब्रेरी के रूप में विकसित करने के लिए प्रस्ताव शासन व शिक्षा निदेशालय को भेजा गया है। जिला पुस्तकालय में रिक्त पड़े पुस्तकालयाध्यक्ष समेत अन्य रिक्त पदों की सूचना हर माह भेजी जाती है।
- हर्ष बहादुर चंद, मुख्य शिक्षा अधिकारी, अल्मोड़ा
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