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Uttarakhand Forest Fire: अल्‍मोड़ा में बेकाबू होती जा रही जंगल की आग...41 दिनों में लील गई नौ जिंदगियां

Uttarakhand Forest Fire अल्मोड़ा जिले में वनाग्नि का दौर जारी है। आग से अमूल्य वन संपदा नष्ट हो रही है। बेकाबू होती जा रही जंगल की आग की चपेट में आने से अल्मोड़ा जनपद में 41 दिनों के भीतर नौ लोगों की मौत हो चुकी है। अल्मोड़ा जिले में अब तक 305 हेक्टेयर जंगल जलकर खाक हो गया। जबकि सात लाख 85 हजार से अधिक का नुकसान हो चुका है।

By santosh bisht Edited By: Nirmala Bohra Updated: Fri, 14 Jun 2024 11:37 AM (IST)
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Uttarakhand Forest Fire: अल्मोड़ा में दावानल से 41 दिन में नौ की मौत

संस, जागरण, अल्मोड़ा : Uttarakhand Forest Fire: बेकाबू होती जा रही जंगल की आग की चपेट में आने से अल्मोड़ा जनपद में 41 दिनों के भीतर नौ लोगों की मौत हो चुकी है। मृतकों में चार नेपाली श्रमिक, डांगीखोला का एक ग्रामीण, तीन वन कर्मी व एक पीआरडी जवान शामिल हैं। जबकि बिनसर अभयारण्य के जंगल में गुरुवार को लगी आग से झुलसे चार लोग जिंदगी के लिए जंग लड़ रहे हैं।

अल्मोड़ा जिले में वनाग्नि का दौर जारी है। आग से अमूल्य वन संपदा नष्ट हो रही है। वहीं इस बार फायर सीजन 41 दिनों के भीतर ही नौ लोगों की जिंदगी लील चुका है। दो मई को स्यूनराकोट के जंगल में आग बुझाने के दौरान चार नेपाली श्रमिक बुरी तरह झुलए गए थे। जिसमें दीपक ने मौके पर ही दम तोड़ दिया था। जबकि गंभीर रूप से झुलसे ज्ञान, पूजा और तारा की उपचार के दौरान मौत हो गई।

वहीं, 17 मई को डांगीखोला ग्राम पंचायत में आग बुझाने के दौरान स्थानीय निवासी ग्रामीण महेंद्र सिंह की मौत हो गई। इधर, अब बिनसर अभयारण्य क्षेत्र के गैराड़ जंगल में आग बुझाने गए तीन वन कर्मी व एक पीआरडी जवान की आग की लपटों में घिरकर मौत हो गई है।

41 दिनों के भीतर नौ लोगों की मौत से वन विभाग की आग की घटनाओं को रोकने के लिए किए गए सुरक्षा इंतजामों की भी पोल खोल कर रख दी है। वहीं जंगल की आग से कितनी वनस्पतियां, कितने कीट-पतंगे व वन्य जीव जंतु प्रभावित हुए हैं, विभाग के पास कोई इसके आकंड़े ही नहीं है।

अब तक 305 हेक्टेयर जंगल जलकर खाक

अल्मोड़ा जिले में अब तक 305 हेक्टेयर जंगल जलकर खाक हो गया। जबकि सात लाख 85 हजार से अधिक का नुकसान हो चुका है। अल्मोड़ा वन प्रभाग में 124 हेक्टेयर, सिविल सोयम में 138 हेक्टेयर, भूमि वन संरक्षण रानीखेत 33 हेक्टेयर और अति भूमि संरक्षण वन प्रभाग रामनगर में आठ हेक्टेयर जंगल जलकर खाक हो चुके है।

बिनसर की घटना ने खोली वन विभाग की पोल

वनाग्नि के दौरान वन विभाग के स्थाई व अस्थाई कर्मचारियों की मौत ने वन विभाग की कार्यप्रणाली की पोल खोलकर रख दी है। कर्मचारी किस परिस्थितियों में काम कर रहे हैं, इसका भी अंदाजा हो गया है। कर्मचारियों के पास न तो पर्याप्त फायर उपकरण है और न ही सुरक्षा के उपाय। जबकि प्रतिवर्ष फायर सीजन में जंगल की आग बुझाने में करोड़ों रुपये खर्च किए जाते हैं। इसके बाद भी इस तरह के हालात हैं।