Uttarakhand: मूल निवासी हुए भूमिहीन, बाहर के लोगों ने कब्जाई जमीन; अब होगी जब्त
Uttarakhand Land Law अधिकतर ने पहाड़ के पर्यटन क्षेत्रों में कृषि बागवानी के नाम पर बेशकीमती भूमि खरीदी कई पूंजीपतियों को लीज पर एकड़ों के हिसाब जमीनें दी गई। और लचर भूू-कानूनों का फायदा उठा बाहरी लोग लगातार उनकी खाली जमीनों पर काबिज होते रहे। अब तक 700 नाली से अधिक भूमि संबंधी मामले सामने आ चुके हैं ।
जागरण संवाददाता, अल्मोड़ा। Uttarakhand Land Law: जहां एक ओर संसाधनों के अभाव में पर्वतीय क्षेत्रों से पलायन बढ़ता चला गया। वहीं लचर भू-कानूनों का फायदा उठा बाहरी लोग लगातार उनकी खाली जमीनों पर काबिज होते रहे।
अधिकतर ने पहाड़ के पर्यटन क्षेत्रों में कृषि, बागवानी के नाम पर बेशकीमती भूमि खरीदी, कई पूंजीपतियों को लीज पर एकड़ों के हिसाब जमीनें दी गई। लेकिन आज तक उन जमीनों पर कृषि-बागवानी का कार्य नहीं हुआ।
दो दशकों तक यह खेल स्थानीय नेताओं, प्रशासकों के जरिए चलता रहा। अब प्रशासन नियम विरुद्ध जमीन खरीदने वालों पर नोटिस देकर मुकदमा दर्ज करने की तैयारी कर रही है। अब तक 700 नाली से अधिक भूमि संबंधी मामला सामने आ चुका है।
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अल्मोड़ा जिले में तेजी से बढ़ा पलायन
राज्य बनने के बाद से अल्मोड़ा जिले में पलायन तेजी से बढ़ा। पलायन के मामले में जिला प्रदेश में नंबर एक पर है। वहीं दूसरी ओर जिले में बाहरी लोगोें की तादात भी इसी अनुपात में बढ़ती चली गई। सरकार ने स्थानीय लोगों के पलायन रोकने के लिए तो इन वर्षों में कोई कारगर नीति नहीं बनाई। लेकिन बाहरी राज्यों के पूंजीपतियों के लिए नीति जरूर तैयार कर दी।2003 में बने नए भू-कानूनों ने बाहरी लोगों को उत्तराखंड में पांव पसारने का मौका दिया। जिसके बाद इन दो दशकों में तो बाढ़ जैसी आ गई। पूंजीपतियों के साथ नेताओं, प्रशासकों, बालीवुड स्टारों की नजर यहां के पर्यटन क्षेत्रों की जमीनों पर पड़ी। जिसके बाद बेतहाशा जमीनों की खरीद फरोख्त हुई।
जिले के पर्यटन क्षेत्रों रानीखेत, मजखली, द्वाराहाट, लमगड़ा, कसारदेवी, बिनसर, मानिला, मार्चुला में आज स्थानीय लोगों की जमीनों में बाहरी क्षेत्रों के लोगों का कब्जा है। कईयों ने होटल, रिसार्ट बना लिए हैं। कई तैयारी कर रहे हैं।
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भू कानूनों के अनुसार अगर राज्य से बाहरी क्षेत्रों के व्यक्तियों ने उद्योग के नाम पर जमीन खरीदी है तो उसे तय समय पर अपना इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करना होता है। लेकिन इन लोगों ने जमीन खरीदने के बाद एक कोठी बनाकर छोड़ दी। जिस प्रयोजन के लिए जमीन खरीदी वह कार्य नहीं किया। बीते 20 वर्षों से यह खेल चल रहा है। यह भी पढ़ें- उत्तराखंड में पांच ग्लेशियर झील बेहद खतरनाक! विशेषज्ञों ने बताया-भीषण आपदा से बचने का प्लानस्थानीय लोगों ने छोड़ा गांव
अल्मोड़ा में बीते 15 वर्षों में 59 गांव व तोक पूरी तरह खाली हो गए है। सुविधाओं के अभाव में 11 ब्लाकों के 1407 गावों के 5926 लाेग स्थाई पलायन कर चुके हैं। वहीं 11 ब्लाकों के 1090 गांवों में कुल 54519 लोग अस्थाई पलायन कर चुके हैं।लगातार कार्रवाईयां की जा रही हैं। कुछ मामले कोर्ट में चल रहे हैं। सभी संबंधितों को निर्देशित किया गया है। - आलोक कुमार पांडेय, जिलाधिकारी, अल्मोड़ा