Uttarakhand Oldest Ayurvedic Medicine Factory उत्तराखंड की सबसे पुरानी आयुर्वेदिक दवा बनाने वाली फैक्ट्री के निजीकरण के विरोध में प्रियंका गांधी ने सरकार की मंशा पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि आयुर्वेद को बढ़ावा देने और उद्योगों में स्थानीय लोगों को रोजगार मुहैया कराने संबंधी दावे के उलट फैक्ट्री में कार्यरत 500 से ज्यादा कामगारों के हितों से खिलवाड़ क्यों किया जा रहा है।
संस, जागरण. सल्ट (रानीखेत): Uttarakhand Oldest Ayurvedic Medicine Factory: मोहान में उत्तराखंड की सबसे पुरानी आयुर्वेदिक दवा बनाने वाली आइएमपीसीएल कारखाने को निजी हाथों में सौंपे जाने के विरोध के बीच वरिष्ठ कांग्रेस नेत्री प्रियंका गांधी वाड्रा ने भी सरकार की मंशा पर सवाल खड़े किए हैं।
सवाल उठाया है कि आयुर्वेद को बढ़ावा देने और उद्योगों लगा स्थानीय लोगों को रोजगार मुहैया कराने संबंधी दावे के उलट फैक्ट्री में कार्यरत 500 से ज्यादा कामगारों के हितों से खिलवाड़ क्यों किया जा रहा है। इधर निजीकरण के विरुद्ध कर्मचारी संगठन ने आंदोलन और तेज करने का ऐलान किया है।
फैक्ट्री परिसर में प्रदर्शन
इधर पूर्व सीएम के साथ ही नेताप्रतिपक्ष यशपाल आर्या का वीडियो भी वायरल होने से आंदोलन को बल मिला है।
आइएमपीसीएल के निजीकरण के विरुद्ध मंगवलार को भी अल्पसंख्यक अधिकारी कर्मचारी कल्याण संगठन ने नारेबाजी कर फैक्ट्री परिसर में प्रदर्शन किया।
संगठन पदाधिकारियों का कहना था कि 1978 में स्थापित आयुर्वेदिक व यूनानी दवा बनाने वाली इंडियन मेडिसिंस फार्मास्युटिकल कारेपोरेशन लिमिटेड (आईएमपीसीएल) को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार के पोर्टल पर स्पष्ट है कि आइएमपीसीएल में स्टैंड औषधि बनती है। इसके बावजूद सरकार कारखाने को निजी हाथों में सौंप कर्मचारियों व कामगारों के हितों से खिलवाड़ पर आमादा है। प्रदर्शन करने वालों में संगठन संरक्षक आरबी चौधरी, अध्यक्ष पनीराम आर्या, सचिव गोपाल राम, उपाध्यक्ष संजय चंद्र, संयुक्त सचिव भुवन चंद्र, प्रचार मंत्री दयाल राम, संगठन मंत्री दानीराम, सदस्य मनोज कुमार, रमेश राम आदि शामिल रहे।
रामनगर में इकाई स्थापना पर जोर
प्रदर्शनकारियों ने रामनगर के भवानीगंज स्थित भूखंड पर भी आइएमपीसीएल की यूनिट बनाए जाने की पुरजोर मांग उठाई। कहा कि वर्ष 2003 में इकाई स्थापित करने के लिए 50 करोड़ रुपये अवमुक्त हुए थे। मगर अब तक नहीं बन सकी है।
घाटा न होने पर भी निजीकरण
कारखाना सूत्रों की मानें तो आइएमपीसीएल घाटे पर भी नहीं चल रही है। इसके बावजूद निजीकरण गलत है। 2020-21 में फैक्ट्री का टर्न ओवर करीब 163 करोड़ रुपये रहा। शुद्ध लाभांश 11 करोड़ रुपये के आसपास रहा। अगले वर्ष टर्नओवर का आंकड़ा करीब ढाई सौ करोड़ जबकि लाभांश 33 करोड़ रहा। 2022-23 में 226 करोड़ का टर्नओवर व शुद्ध लाभांश बीस करोड़ रुपये रहा।
‘वर्ष 2002 में अटल सरकार में आइएमपीसीएल को विनिवेश सूची में शामिल किया गया। चूंकि फैक्ट्री घाटे में नहीं रही। विरोध पर इसे सूची से हटा दिया गया। अब फिर निजीकरण किया तो वृहद आंदोलन करेंगे।
- आरबी चौधरी, संगठन संरक्षक’
‘निजीकरण का निर्णय वापस न लिए जाने तक बेमियादी आंदोलन चलता रहेगा। हमारी मांग पर पूर्व सीएम हरीश रावत ने निजीकरण के विरुद्ध पदयात्रा की घोषणा की है।
- पानी राम आर्या, अध्यक्ष, एससीएसटी व ओबीसी अधिकारी कर्मचारी कल्याण संगठन’
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