Move to Jagran APP

गाय के दूध से बना पनीर खाया होगा, लेकिन क्‍या कभी चखा है याक के दूध से बने चुरपी का स्‍वाद?

Yak Milk Paneer जीबी पंत राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण संस्थान कोसी कटारमल के वैज्ञानिकों ने याक के दूध से बने पनीर जिसे स्थानीय भाषा में चुरपी कहा जाता है को नई पहचान दी है। उन्होंने चुरपी को मानकीकृत कर मशीनों के माध्यम से पहली बार प्रसंस्करण करने में सफलता पाई है। जल्द ही याक के दूध से बना पनीर बाजार में दिखाई देगा।

By santosh bisht Edited By: Nirmala Bohra Updated: Thu, 19 Sep 2024 02:43 PM (IST)
Hero Image
Yak Milk Paneer: याक दूध के पनीर चुरपी को मिलेगी नई पहचान. Jagran
संतोष बिष्ट, जागरण अल्मोड़ा। Yak Milk Paneer: जीबी पंत राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण संस्थान, कोसी कटारमल के विज्ञानियों ने याक दूध से बने पनीर स्थानीय भाषा में चुरपी को नई पहचान दी है। उन्होंने चुरपी को मानकीकृत कर मशीनों के माध्यम पहली बार प्रसंस्करण करने में सफलता पाई है। जल्द ही याक के दूध से बना पनीर बाजार में दिखाई देगा।

राष्ट्रीय हिमालयी अध्ययन मिशन के तहत विज्ञानियों ने वर्ष 2021 में हिमालयी राज्य सिक्किम के लाचेन व कुपुप गांवों में याक के दूध से पनीर को नई पहचान दिलाने के लिए कार्य शुरु किया। तीन साल के अनुसंधान में विज्ञानियों को परंपरागत उत्पादन को न केवल मानकीकृत करने वरन यांत्रिक विधि से उसे प्रसंस्करण करने में भी सफलता मिली है।

यह भी पढ़ें- Nainital के इतिहास से नहीं लिया सबक, भूगोल से किया खिलवाड़; कहीं दोबारा न मच जाए 1880 जैसी तबाही

विज्ञानियों का दावा है कि आने वाले समय में यह अन्य हिमालयी राज्यों के लिए लाभप्रद होगी। जम्मू कश्मीर, अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम ऐसा राज्य है, जहां सर्वाधिक याक पाए जाते हैं।

समुद्र तल से लगभग तीन हजार मीटर से अधिक ऊंचाई पर पाए जाने वाले याक इन राज्यों में परिवहन, गोबर और खाल के साथ अपने पौष्टिक दूध के कारण पाले जाते हैं। पुराने दौर से ही याक इन राज्यों की ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ बने हैं। पारंपरिक रूप से इसके दूध का विभिन्न उत्पाद बनते रहे हैं।

स्थानीय लोगों की आय बढ़ाने में होगी मददगार

विज्ञानियों ने हिमालयी राज्यों में याक पालकों को चुरपी आधारित आजीविका से लाभ पहुंचाने के उद्देश्य यह योजना शुरु की। सघन अनुसंधान के बाद याक के दूध से बने उत्पाद तैयार किया जाने लगा है। जो स्थानीय लोगों के आय को बढ़ाने में मददगार साबित होगा।

बहुउद्देशीय प्लांट विकसित करने में भी पाई सफलता

अनुसंधान कार्य के तहत पूर्वी सिक्किम में कुपुप गांव में एक 50 लीटर प्रति लाट की क्षमता का बहुद्देशीय माडल प्लांट भी विकसित किया है। इस प्लांट में दूध के क्रीम अलग करने के साथ, भाप आधारित उबालने की क्षमता और पनीर तैयार की सुविधा उपलब्ध है। यह अनुसंधान केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, प्रसंस्करण एवं खाद्य अभियांत्रिकी विभाग, कृषि अभियांत्रिकी कालेज रानीपूल सिक्किम के डा. राकेश कुमार रैगर ने नेतृत्व में की गई।

यह भी पढ़ें- अब 'रानी लक्ष्मीबाई' बनेंगी उत्‍तराखंड के सरकारी स्कूल की बेटियां, दी जाएगी जूडो-कराटे और ताइक्वांडो की ट्रेनिंग

28 दिन तक चलेगा पनीर

विज्ञानियों ने बताया की पनीर को बाजार के अनरूप तैयार किया जा रहा है। पनीर को 28 दिन तक भी संरक्षित रखा जा सकता है। आधुनिक मशीनों से इसकी शुद्धता और गुणवत्ता का भी विशेष ध्यान दिया है।

गाय के दूध की तुलना में अधिक पोषक तत्व चुरपी कैल्शियम, फास्फोरस, मैग्नीशियम और जिंक के साथ विभिन्न प्रकार के विटामिन, प्रोटीन और ओमेगा-3 का बड़ा स्रोत है।

परियोजना अनुसंधान उल्लेखनीय है, चुरपी बनाने की मशीन अभी माडल रूप से कार्य कर रही है, भविष्य में यह अन्य हिमालयी राज्यों के लिए लाभप्रद होगी। - एमएस लोदी, प्रभारी नोडल अधिकारी एनएमचएस, जीबी पंत संस्थान कोसी कटारमल, अल्मोड़ा

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।