Bageshwar News: मछली पालन में बागेश्वर कर रहा तरक्की, सुधर रही जिंदगियां; जानिए कितना होता है उत्पादन
Bageshwar News उत्तराखंड के बागेश्वर में मछली पालन अब बड़े स्तर पर हो रहा है। मछली पालन के क्षेत्र में जिला लगातार तरक्की कर रहा है। पारंपरिक खेती बाड़ी के साथ किसान आत्मनिर्भर बनने के लिए मछली पालन को अपना रहे हैं। कपकोट तहसील क्षेत्र के 10 गांवों में क्लस्टर बने हैं। यहां हर तरह की मछलियों का उत्पादन हो रहा है।
By Jagran NewsEdited By: Swati SinghUpdated: Thu, 05 Oct 2023 02:10 PM (IST)
जागरण संवाददाता, बागेश्वर। मछली पालन के क्षेत्र में जिला लगातार तरक्की कर रहा है। पारंपरिक खेती बाड़ी के साथ किसान आत्मनिर्भर बनने के लिए मछली पालन को अपना रहे हैं। कपकोट तहसील क्षेत्र के 10 गांवों में क्लस्टर बने हैं। 22 समितियों के माध्यम से 270 लोग मछली पालन कर आय अर्जित कर रहे हैं।
जिला बनने से पूर्व लोगों तक सरकारी योजनाओं का लाभ कम पहुंचता था। अब सरकारी योजनाओं गांव पहुंच रही हैं। वर्ष में एक समिति की पांच से सात लाख रुपये की शुद्ध आय हो रही है।
इन गांवों में हो रहा मछली पालन
- गांव - कलस्टर - तालाब
- जगथाना - 7 - 70
- बड़ेत - 3 - 30
- लीती - 2 - 20
- रमाड़ी - 2 - 20
- चचई - 2 - 20
- फरसाली - 2 - 20
- लीली - 1 - 10
- भनार - 1 - 10
- तीख - 1 - 10
ट्राउट, पंगास, कार्प का उत्पादन जिले में
हाइब्रिड ट्राउट, पंगास और कार्प मछली का उत्पादन हो रहा है। प्रतिवर्ष 270 क्विंटल कार्प, 90 क्विंटल ट्राउट और 40 क्विंटल पंगास पैदा हो रही है। अधिकतर मछलियां स्थानीय बाजार में बेची जा रही हैं। देहरादून की उत्तरा फिश शॉप में भी ट्राउट मछली भेजी जाती है।मत्स्य निरीक्षक ने कही ये बात
वर्जन समितियों के माध्यम से मछली उत्पादन हो रहा है। पैदावार और विपणन में आपसी सहयोग भी करते हैं। कपकोट में चार समितियां और बनाई जाएंगी। विभाग मछली पालकों को हर संभव सहयोग दे रहा है। भविष्य में अधिकाधिक लोगों को मछली पालन से जोड़ा जाएगा। -मनोज मियान, मत्स्य निरीक्षक, बागेश्वर
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