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Bageshwar News: भारी बारिश से बागेश्वर में जनजीवन अस्त-व्यस्त, खेत-खलिहान और मकानों पर मंडरा रहा खतरा

Bageshwar Newsबागेश्वर जिला भूकंप और भूस्खलन की दृष्टि से जोन पांच में आता है। आपदाओं से जानमाल की क्षति होते रहती है। वर्ष 1983 में कर्मी गांव में अतिवृष्टि हुई। जब भूस्खलन के बाद बहकर आई शिला ने गधेरे का प्रवाह रोक दिया था। पानी गांव के आठ घरों को बहा ले गया था। अब एक बार फिर से ऐसी ही स्थिति आ खड़ी हुई है।

By ghanshyam joshiEdited By: Swati SinghUpdated: Wed, 12 Jul 2023 03:18 PM (IST)
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भारी बारिश से बागेश्वर में जनजीवन अस्त-व्यस्त, खेत-खलिहान और मकानों पर मंडरा रहा खतरा
बागेश्वर, जागरण संवाददाता। हिमालयी गांवों में रुक रुककर हो रही वर्षा से जन जीवन पर असर पड़ने लगा है। सड़क, बिजली, पानी, रास्ते, संचार व्यवस्था पटरी से उतरने लगे हैं। आपदाग्रस्त गांवों में भूस्खलन का खतरा बढ़ गया है। जिसके कारण लोगों के खेत-खलिहान और मकानों पर खतरा मंडराने लगा है।

इसके अलावा अत्यधिक बारिश वाले गांवों में रास्ते बंद होने के कारण जरूरी सामान की दिक्कतें हैं। हालांकि जिला प्रशासन बंद सड़कों को खोलने के लिए लोडर मशीनें लगा रहा है। लेकिन रास्तों की मरम्मत के लिए अभी बरसात बंद होने का इंतजार करना होगा।

वर्ष 1983 में भी आई थी ऐसी स्थिति

बागेश्वर जिला भूकंप और भूस्खलन की दृष्टि से जोन पांच में आता है। आपदाओं से जानमाल की क्षति होते रहती है। वर्ष 1983 में कर्मी गांव में अतिवृष्टि हुई। जब भूस्खलन के बाद बहकर आई शिला ने गधेरे का प्रवाह रोक दिया था। पानी गांव के आठ घरों को बहा ले गया। आठ परिवारों के 37 लोग और उनके मवेशी मारे गए। कृषि योग्य भूमि पानी के तेज बहाव में बह गई थी।

साल 2010 में हुआ था भू-धंसाव

18 अगस्त 2010 में सुमगढ़ में भू-धंसाव हुआ। सरस्वती शिशु मंदिर के दो कमरों में मलबा भर गया। 18 बच्चे जमींदोज हो गए थे। गांव के सात पैदल पुल गए। कृषि योग्य भूमि को नुकसान हुआ। उसी दिन रेवती घाटी में कई अतिवृष्टि हुई। हरसिंग्याबगड़ में एक महिला की दबकर मृत्यु हो गई थी।

1996 में बादल फटने से हुई थी मौत

1996 में कन्यालीकोट से स्यालढुंगा तोक में बादल फटने से तीन लोग मारे गए। ग्राम पंचायत में कृषि क्षेत्र को भारी नुकसान हुआ। 1980 में कपकोट के ही बघर गांव में अतिवृष्टि हुई। बागेश्वर ब्लाक के हड़बाड़ में 1995 में अतिवृष्टि ने एक महिला की जान ली। 1956 में सुडिंग लोहारखेत में आधा गांव तबाह हो गया था।

बागेश्वर के आपदा प्रभावित क्षेत्र

  • मल्लादानपुर कपकोट के पिंडर, सरयू घाटी।
  • बिचला दानपुर कपकोट के रामगंगा, रेवती, महरगाड़घाटी।
  • तल्ला दानपुर कपकोट के कनलगढ़, खीरगंगा घाटी।
  • नाकुरी पट्टी, पुंगरघाटी।
  • बागेश्वर में लाहुरघाटी, कुलूरघाटी।

जिलाधिकारी ने कही ये बात

आपदा प्रबंधन केंद्र मुस्तैद है। सरकारी महकमे, पुलिस अलर्ट है। एसडीआरएफ और एनडीआरएफ नियुक्त है। खोज बचाव दलों के पास उपकरणों की कोई कमी नहीं है। स्वास्थ्य, जिला पूर्ति, सड़क महकमे ने आपदा पूर्व तैयारी की है। -अनुराधा पाल, जिलाधिकारी, बागेश्वर

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