Ghee Sankranti 2023: उत्तराखंड में मनाई जा रही है घी संक्रांति, घरों में बने पकवान; जानें इस दिन का महत्व
Ghee Sankranti आज उत्तराखंड का प्रसिद्ध लोकपर्व घी संक्रांति है। ये माना जाता है कि ग्रहों के राजा सूर्य देव जब कर्क राशि से निकलकर अपनी राशि सिंह में प्रवेश करते हैं तो उस दिन घी संक्रांति या सिंह संक्रांति मनाई जाती है। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने के बाद सूर्य देव की पूजा करते हैं और दान करते हैं। स्नान और दान करने से पुण्य मिलता है।
By Jagran NewsEdited By: Swati SinghUpdated: Thu, 17 Aug 2023 01:25 PM (IST)
बागेश्वर, जागरण संवाददाता। उत्तराखंड में आज यानी कि 17 अगस्त को घी संक्रांति मनाई जा रही है। उत्तराखंड का ये प्रसिद्ध लोकपर्व है। संक्रांति को सिंह संक्रांति के नाम से भी जाना जाता है। इसी कड़ी में आज बागेश्वर में धूमधाम से इस पर्व को मनाया जा रहा है। पितरों और देव मंदिरों में फल और मौसमी सब्जियां चढ़ाई गई। भादो के आगमन पर खेती और पशुपालन से यह घी त्यार विशेष पर्व माना जाता है।
उत्तराखंड में माह का प्रत्येक एक दिन यानी संक्रांति को लोक उत्सव के रूप में मनाने की प्रथा है। भाद्रपद (भादो) मास की संक्रांति, जिसे सिंह संक्रांति भी कहा जाता है। इस दिन सूर्य सिंह राशि में प्रवेश करता है इसलिए इसे सिंह संक्रांति भी कहा जाता है। घी त्योहार जिले में धूमधाम से मनाया गया। लोगों ने घरों में मीठे पकवान बनाए। बीते बुधवार की रात घी और उड़त की दाल को पीसकर रोटी बनाई गई। घी के साथ उन्हें खाया गया। गुरुवार की सुबह देव मंदिरों में पूजा-अर्चना की गई। फल, सब्जी और पकवानों का भोग लगाया गया।
अच्छी फसल की कामना
घी त्यार अंकुरित फसल बोने के बाद मनाया जाने वाला त्योहार है। यह खेती और पशुपालन से जुड़ा एक ऐसा लोकपर्व है। यही वह समय है जब वर्षा के मौसम में उगाई जाने वाली फसलों में अंकुर आना शुरू हो जाते हैं। इसलिए किसान अच्छी फसल की कामना करके जश्न मनाते हैं।पर्व को लेकर किंबदंती
पर्व को लेकर किंबदंती भी है। जो व्यक्ति इस दिन घी नहीं खाता है तो अगले जन्म में उसे घोंघे की योनी प्राप्त होती है। इसलिए सभी लोग सूर्य भगवान की पूजा करने के बाद घी का सेवन जरूर करते हैं। नए अनाज अपने पितरों और कुल देवताओं को चढ़ाया गया।