नमो देव्यै महादेव्यै: सबको सबला बनाने में जुटी चंद्रा भी अब नहीं अबला, पति से अलग होने के बाद बेटी को बनाया सशक्त
बागेश्वर की चंद्रा मेहता ने विपरीत परिस्थितियों में भी हार नहीं मानी और अपने संघर्षों से उबरकर सफलता प्राप्त की। पति से अलग होने के बाद उन्होंने ब्यूटीपार्लर शुरू किया और उद्योग विभाग से ऋण लेकर व्यवसाय को आगे बढ़ाया। आज वे अपने ब्यूटी पार्लर फिटनेस सेंटर और जल्द शुरू होने वाले महिला कैफे के माध्यम से स्थानीय महिलाओं को प्रशिक्षण और रोजगार दे रही हैं।
घनश्याम जोशी, बागेश्वर। मां दुर्गा का तीसरा रूप चंद्रघंटा है। यह स्वरूप मोहक, अलौकिक, कल्याणकारी व शांतिदायक है। विपरीत हालात से लड़ खुद को अपने दम पर साबित कर दिखाने वाली ऐसी ही एक चंद्रघंटा हैं बागेश्वर की चंद्रा मेहता, जिन्होंने न केवल स्वयं को सबला बनाया बल्कि पारिवारिक व आर्थिक रूप से जरूरतमंद महिलाओं को संबल देकर आगे बढ़ा रही हैं।
सरयू व गोमती के संगम पर बसे बागेश्वर की चंद्रा मेहता का 2004 में विवाह हुआ और अनबन के बाद 2009 में पति से अलग हो गईं। अपने साथ-साथ अब चार साल की बेटी के भविष्य की भी चिंता थी।
एक वर्ष ऊहापोह में रही। आगे अकेली महिला के लिए समाज व लोगों के ताने और आर्थिक संकट की भी चिंता थी। आखिरकार वह हिम्मत जुटाकर मायके लौट आई। अपने पैरों पर खड़ा होकर दिखाने के लिए स्वरोजगारी बनने का लक्ष्य रखा। 2010 में अपनी जमा पूंजी से 25 हजार रुपये निवेश कर ब्यूटीपार्लर शुरू किया।
काम चलने लगा तो उसे आगे बढ़ाने के लिए उद्योग विभाग से पांच लाख रुपये का ऋण लिया। स्थिति यह है कि धीरे-धीरे करके 10 महिलाओं को यहां से रोजगार भी देने लगीं। फिर 2018 में लेडीज फिटनेस सेंटर भी खोल लिया। जहां ट्रेनर व ट्रेनी भी महिलाएं ही हैं।
इस दीपावली चंद्रा एक और कदम आगे बढ़ाने जा रहीं हैं। वह जिले का पहला महिला कैफे खोलने की तैयारी कर चुकी हैं, जिसमें शेफ, वेटर तथा अन्य स्टाफ भी आसपास की जरूरतमंद महिलाएं ही होंगी। उद्योग विभाग से इसके लिए 10 लाख रुपये का ऋण स्वीकृत हो गया है और चंद्रा कैफे को फाइनल टच देने में जुटी हैं।
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।अपनी बेटी के साथ ही मायके की बेटियों का भी ख्याल
पति से अलग होने के बाद बेटी दीया मेहता को साथ लेकर निकली चंद्रा ने उसकी शिक्षा-दीक्षा में कोई कमी नहीं रखी। आज 19 वर्ष दीया दिल्ली में पढ़ाई के साथ मेकअप आर्टिस्ट का कोर्स कर रही है। मायके में भाभी गीता खेतवाल को लेडीज रेडीमेड गारमेंट्स का काम दिलाते हुए आज उन्हें भी एक सशक्त कारोबारी बना दिया है। गीता की बेटी खुशी खेतवाल ही अब महिला कैफे का संचालन करेंगी। चंद्रा अपने ब्यूटी पार्लर व फिटनेस सेंटर में स्थानीय जरूरतमंद महिलाओं को प्रशिक्षण भी दिला रही हैं। चंद्रा बताती हैं कि कि प्रतिवर्ष 12 से 15 लाख रुपये का टर्नओवर है, जिसमें 25-30 प्रतिशत मार्जिन से उनका परिवार तथा कर्मचारियों का भरण-पोषण अच्छे से हो रहा है। देखकर अच्छा लगता है कि घरेलू व कामकाजी महिलाएं भी इस अपेक्षाकृत छोटे शहर में अपनी फिटनेस व सेहत के लिए जागरूक हुई हैं। आज जरूरत है कि छोटे शहरों की महिलाएं अपने हौसले को कतई छोटा न समझें। सामाजिक व पारिवारिक विपरीत स्थिति में हिम्मत व हुनर का इस्तेमाल करेंगी तो सफलता जरूर मिलेगी।महिलाएं अच्छा काम कर रही हैं। सरकार की योजनाओं का लाभ उठा रहीं हैं। ब्यूरी पार्लर, जिम तथा अब महिला कैफे खोलने जा रहीं चंद्रा मेहता महिला के जज्बे और समर्पण को देखते हुए ही उद्योग विभाग से उन्हें हरसंभव ऋण व प्रशिक्षण समेत हरसंभव सहायता दी जा रही है।
-आरसी तिवारी, मुख्य विकास अधिकारी, बागेश्वर।