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अब कुमाऊंनी में पढ़ सकेंगे ऋग्वेद, उत्‍तराखंड के साहित्‍यकार मोहन जोशी ने किया तीसरे भाग का भावानुवाद

Rigveda in Kumaoni चार वेदों में से एक ऋग्वेद को अब कुमाऊंनी में पढ़ सकेंगे। साहित्यकार मोहन जोशी ने ऋग्वेद के तीसरे भाग का कुमाऊंनी में भावानुवाद किया है। वह साल 2022 में ऋग्वेद के प्रथम भाग और वर्ष 2023 में दूसरे भाग का कुमाऊंनी में भावानुवाद कर चुके हैं। जोशी पिछले कई वर्षों से कुमाऊंनी बोली को बढ़ावा देने में लगे हैं।

By ghanshyam joshi Edited By: Nirmala Bohra Updated: Fri, 07 Jun 2024 04:03 PM (IST)
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Rigveda in Kumaoni: आधा दर्जन पुस्तकों का कुमाऊंनी में अनुवाद कर चुके हैं साहित्यकार जोशी

संवाद सूत्र, जागरण, गरुड़ : Rigveda in Kumaoni: चार वेदों में से एक ऋग्वेद को अब कुमाऊंनी में पढ़ सकेंगे। साहित्यकार मोहन जोशी ने ऋग्वेद के तीसरे भाग का कुमाऊंनी में भावानुवाद किया है। यह कुमाऊंनी साहित्य के लिए बहुत बड़ी उपलब्धि है। जोशी पिछले कई वर्षों से कुमाऊंनी बोली को बढ़ावा देने में लगे हैं।

हिंदी में दर्जनों काव्य संकलनों की रचना करने वाले कवि मोहन जोशी अब तक श्रीरामचरितमानस व श्रीमद्भगवत गीता समेत आधा दर्जन पुस्तकों का कुमाऊंनी में भावानुवाद कर चुके हैं। वह साल 2022 में ऋग्वेद के प्रथम भाग और वर्ष 2023 में दूसरे भाग का कुमाऊंनी में भावानुवाद कर चुके हैं।

मोहन कृति पटल के माध्यम से भी प्रतिदिन दर्जनों लोगों को जोड़कर कुमाऊंनी बोली व भाषा की सेवा करने में जुटे हैं। आज जबकि कुमाऊंनी बोली, भाषा व संस्कृति को लोग भूलते जा रहे हैं, ऐसे में कवि मोहन जोशी की पुस्तकें बोली, भाषा व संस्कृति के संरक्षण में मील का पत्थर साबित हो रही हैं। कवि जोशी का कहना है कि ऐसी पुस्तकों से हमारी बोली व भाषा को बचाने में काफी मदद मिलेगी तथा युवा पीढी़ अपनी माटी की जड़ों से जुड़ी रहेगी।

पांच- छह महीने लगा समय

कवि जोशी को ऋग्वेद के एक भाग का अनुवाद करने में लगभग पांच-छह महीने का समय लगता है। अब वह चौथे भाग का अनुवाद करने में जुट गए हैं। पुस्तक प्रकाशन के लिए उन्हें कहीं से कोई मदद नहीं मिली। उन्होंने ज्ञानार्जन प्रिंटर्स व पब्लिसर्स से तीनों भाग प्रकाशित किए हैं।

यह मिले सम्मान, सरकार भूली

कवि मोहन जोशी को अनेक संस्थाओं से कई सम्मान तो मिले, लेकिन अब तक उन्हें सरकारी अमले से कोई पुरस्कार नहीं मिल पाया है। 1989 से लगातार लेखन जारी है। निजी विद्यालय संचालित कर आजीविका चलाते हैं।

पुस्तकों का किया कुमाऊंनी में भावानुवाद

  • कुमाऊंनी श्रीमद्भगवद् गीता भावानुवाद (प्रथम संस्करण 2014, द्वितीय संस्करण- 2020)
  • कुमाऊंनी कामायनी 2014 (भावानुवाद)
  • ''कुमाऊंनी रामलीला नाटक'' 2014
  • कुमाऊंनी श्रीरामचरितमानस(प्रथम संस्करण संस्करण - 2013 ) (गोस्वामी तुलसीदास कृत श्रीरामचरितमानस का कुमाऊंनी भावानुवाद ।
  • ऋग्वेद(भाग-1): कुमाउनी भावानुवाद 2022
  • गंगा लहरी -कुमाउनी भावानुवाद 2022 ( पंण्डितराज जगन्नाथ विरचित गंगा लहरी का कुमाऊंनी भावानुवाद)
  • ऋग्वेद ( भाग - 2 ) कुमाऊंनी भावानुवाद 2023
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