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OMG: बदल गया पिंडारी ग्लेशियर का स्थान, आधा किमी पीछे खिसका; चौंकाने वाली ग्राउंड रिपोर्ट

Pindari Slipped Back पिंडारी ग्लेशियर का स्थान बदल गया है जो कि जलवायु परिवर्तन का संकेत हो सकता है। पद्मश्री अनूप साह ने चिंता व्यक्त की है और कहा है कि क्षतिग्रस्त रास्तों की मरम्मत नहीं हो सकी है। कफनी ग्लेशियर का ट्रैक अभी बंद है। इस यात्रा में उनके साथ प्रसिद्ध छायाकार धीरेंद्र बिष्ट भी थे। जो 38 वर्ष पहले भी पिंडारी गए।

By ghanshyam joshi Edited By: Nirmala Bohra Updated: Wed, 23 Oct 2024 06:17 PM (IST)
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Pindari Slipped Back: 60 वर्ष के बाद पिंडारी गए पद्ममश्री अनूप साह ने व्यक्त की चिंता. Jagran
जागरण संवाददाता, बागेश्वर । Pindari Slipped Back: पिंडारी ग्लेशियर का स्थान बदल गया है। यह अच्छे संकेत नहीं हो सकते हैं। 60 वर्ष बाद पिंडारी गए पद्मश्री अनूप साह ने चिंता व्यक्त की है। कहा कि क्षतिग्रस्त रास्तों की मरम्मत नहीं हो सकी है। कफनी ग्लेशियर का ट्रैक अभी बंद है।

75 वर्षीय पदमश्री अनूप साह ने कहा कि वह इसी सप्ताह पिंडारी ग्लेशियर से लौटै हैं। वर्ष 1964 में पहली बार पिंडारी ग्लेशियर गए थे। तब उनकी आयु 15 वर्ष थी। उनके पिता व नैनीताल पर्वतारोहण क्लब के संस्थापक ने पिंडारी के लिए पहला अभियान आयोजित किया था। इस यात्रा में उनके साथ प्रसिद्ध छायाकार धीरेंद्र बिष्ट भी थे। जो 38 वर्ष पहले भी पिंडारी गए।

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अब लगभग 31 किमी रह गई कुल ट्रैकिंग

अनूप बताते हैं कि पिंडारी ग्लेशियर का जीरो प्वाइंट तब से लगभग आधा किमी पीछे खिसक गया है। पहले कपकोट से पैदल चलना होता था। लगभग 115 किमी की ट्रैकिंग होती थी। जिसमें धाकुड़ी की चढ़ाई सबसे रोमांचक थी। अब खाती गांव तक मोटर रोड है। अब कुल ट्रैकिंग लगभग 31 किमी रह गई है। पहले ट्रैकिंग रूटों का रखरखाव बहुत ही अच्छा होता था। वर्तमान में पैदल रास्ते बहुत खराब दशा में है।

खाती से द्वाली की दूरी लगभग तीन किमी बढ़ गई है। रास्ता बहुत खराब हो गया है। रास्तों की मरम्मत नहीं होने के कारण कफनी ग्लेशियर अब तक बंद है। जगंलों में वन्यजीवों की संख्या तेजी से घट रही है। चरवाहों की भेड़ों तथा घोड़ों को हिम तेंदुआ और भालू मार दे रहे हैं। पिछले दिनों 11 घोड़े, 12 भेड़ों को मार दिया गया था। उन्हें किसी प्रकार का मुआवजा नहीं मिला।

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पाडली की चट्टान से गिरे पत्थरों की चपेट में आने से बच गए कई यात्री वाह

गरमपानी : अल्मोड़ा हल्द्वानी हाइवे पर अतिसंवेदनशील पाडली क्षेत्र में पहाड़ी से एकाएक गिरे पत्थरों की चपेट में आने से यात्री वाहन बाल बाल बच गए। घटना से अफरा तफरी मच गई। कार सवारों ने वाहन से बाहर निकल बामुश्किल जान बचाई। पत्थर व मलबा गिरने से उठे धूल के गुबार से आवाजाही भी ठप हो गई। पहाड़ी से पत्थरों के गिरने का क्रम थमने के बाद बामुश्किल यातायात सुचारु हुआ।

बुधवार को हाइवे पर पाडली क्षेत्र में उस वक्त बड़ी अनहोनी टल गई जब पहाड़ी से एकाएक धूल के गुबार के साथ पत्थर व मलबा हाईवे पर आ गिरा। आवाजाही कर रहे यात्रियों से भरा यात्री वाहन व दो अल्टो कार तथा एक स्कूटी सवार बाल बाल बच गए। हो हल्ला होने पर वाहन के अंदर से यात्री बाहर की ओर निकल सुरक्षित स्थान की और दौड़ गए। वाहन चालकों ने भी आनन फानन में वाहनों को पीछे कर लिया।

घटना से हाईवे पर हड़कंप मच गया। काफि देर तक आवाजाही भी ठप रही। यात्री वाहनों के चालक वाहनों को आगे बढ़ाने की हिम्मत नहीं जुटा सके। दोनों ओर वाहनों की लंबी कतार लग गई। पहाड़ी से पत्थर व मलबा गिरने का क्रम थमने के बाद बामुश्किल यातायात सुचारु हो सका।

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