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Uttarakhand: बैंकिग संबंधी धोखाधड़ी के मामले में कंपनी संचालक दंपती को 5-5 साल की सजा, प्रदेश का ऐतिहासिक फैसला

जमाकर्ताओं और उपभोक्ताओं के साथ धोखाधड़ी करने के मामले में कंपनी के संचालक दंपती को पांच-पांच वर्ष की सश्रम कारावास की सजा हुई है। साथ ही एक-एक लाख रुपये के अर्थदंड से दंडित भी किया है। कंपनी पर 30 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है। धारा-3 उत्तराखंड विशेषक जमाकर्ता हित संरक्षण अधिनियम 2005 के तहत उत्तराखंड में यह पहला मामला है जिसमें सजा सुनाई गई है।

By ghanshyam joshiEdited By: Shivam YadavUpdated: Wed, 16 Aug 2023 10:34 PM (IST)
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जुर्माने की राशि जमा नहीं करने पर छह-छह माह की अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी।

बागेश्वर, जागरण संवाददाता: जिला एवं सत्र न्यायाधीश राजीव खुल्बे ने जमाकर्ताओं और उपभोक्ताओं के साथ धोखाधड़ी करने के मामले में कंपनी के संचालक दंपती को पांच-पांच वर्ष की सश्रम कारावास की सजा सुनाई है। साथ ही, एक-एक लाख रुपये के अर्थदंड से दंडित भी किया है। कंपनी पर 30 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है। धारा-3, उत्तराखंड विशेषक जमाकर्ता हित संरक्षण अधिनियम 2005 के तहत उत्तराखंड में यह पहला मामला है, जिसमें सजा सुनाई गई है। 

दरअसल, डुंगरगांव निवासी ललित मोहन सिंह परिहार ने जिलाधिकारी को लिखित रिपोर्ट दर्ज कराई, जिसमें उन्होंने बताया कि धार मल्टीपल प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड अवध प्लाजा बीएल रोड लालबाग लखनऊ उत्तर प्रदेश में है। यह कंपनी कृषि क्षेत्र में पैरा बैंकिंग का कार्य करती है। कंपनी का मुख्य कार्य सदस्य बनाकर उनके मध्य लेनदेन, उनके खाते खोलना, सदस्यों को ऋण देना, स्थानीय स्तर पर सर्वे कर प्रोजेक्ट बनाना आदि है। कंपनी का अपना कार्यालय बागेश्वर तहसील मार्ग पर स्थित था। कंपनी ने सदस्य बनाकर दैनिक और मासिक खाते खोले। इसके अलावा एफडी भी बनाई गई। ​

शिकायत के बाद भी नहीं की थी कार्रवाई

शिकायतकर्ता ने खुद को कंपनी की शाखा में नियुक्त होने की बात भी कही है। कंपनी ने लोगों की धनराशि जमावधि पूरा होने के बाद भी नहीं लौटाई। कंपनी के एमडी अभय श्रीवास्तव व सीएमडीएस दीपा श्रीवास्तव ने कोई कार्रवाई नहीं की। 

कंपनी की बागेश्वर शाखा में खाताधारकों का 19 लाख रुपये से अधिक धन जमा था। 60 हजार कार्यालय का किराया था। छह-छह महीने का वेतन कंपनी ने दिया था। इस मामले में कोतवाली में कंपनी के एमडी व सीएसडी के विरुद्ध 2019 में मुकदमा दर्ज हुआ। इसके बाद आरोप पत्र न्यायालय में पेश हुआ। धारा 120 बी, 420, 405 एवं धारा-3, उत्तराखंड विशेषक जमाकर्ता हित संरक्षण अधिनियम 2005 के तहत मामला प्रस्तुत किया गया। 

पांच-पांच साल का सश्रम कारावास 

अभियोजन की ओर से जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी गोविंद बल्लभ उपाध्याय, सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता चंचल पपोला ने पैरवी की और 18 गवाह पेश किए। जिला सत्र न्यायाधीश खुल्बे ने बुधवार को पत्रावलियों को पढ़ने व गवाहों को सुनने के बाद सीएसडी दीपा श्रीवास्तव व एमडी अभय श्रीवास्तव को धारा-3, उत्तराखंड विशेषक जमाकर्ता हित संरक्षण अधिनियम 2005 के तहत दोषी पाते हुए पांच-पांच साल का सश्रम कारावास की सजा सुनाई। साथ ही एक-एक लाख रुपये का आर्थिक दंड भी लगाया है। जुर्माने की राशि जमा नहीं करने पर छह-छह माह की अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी।

 इस अधिनियम में पहला निर्णय

कंपनी पर 30 लाख का जुर्माना लगाया है। जुर्माने की राशि जमा करने पर संबंधित खाताधारकों को उचित शिनाख्त के बाद देने के निर्देश दिए हैं। सत्र न्यायालय पर इस अधिनियम में उत्तराखंड का यह पहला निर्णय है। अभियुक्तगण पति-पत्नी हैं। अन्य धाराओं में उन्हें दोषमुक्त किया है।